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गत्यात्मक आलोचना प्रणाली

गत्यात्मक आलोचना प्रणाली आलोचना की वह विधा है जिसमें माना जाता है कि साहित्य एक गतिशील संस्था है और गति ही साहित्य की आत्मा है। समय और परिवेश में लगातार परिवर्तन होता रहता है और उसके कारण साहित्य का स्वरूप भी निरन्तर गतिमान रहता है। इसलिए इस आलोचना प्रणाली में साहित्य का आकलन किसी सुनिश्चित सिद्धान्त के आधार पर नहीं, जैसा कि अविचल आलोचना प्रणाली में किया जाता है, बल्कि बदलते समय और परिवेश को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।

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गद्य, गद्य-काल, गन्ध, गन्ना, गया

Page last modified on Monday May 26, 2025 03:20:57 GMT-0000