Loading...
 
(Cached)

गुह्य साधना

भारतीय धर्म साधना पद्धतियों में तन्त्र साधना को गुह्य या गुप्त साधना कहा जाता है। तन्त्र साधना को गुप्त इसलिए रखा जाता था क्योंकि यह परम्परागत मान्य धार्मिक साधनाओं से अलग होती थी और इसका समाज में व्यपाक विरोध होता था। इसे गुप्त रखने की बाध्यता का एक कारण मैथुन साधना है जो सामाजिक रूप से कभी स्वीकार्य नहीं रही है। इसलिए तन्त्र शास्त्रों में कहा गया है कि तन्त्र साधना को गुप्त रखा जाना चाहिए क्योंकि उसे प्रकट कर देने पर यह निष्फल हो जाता है। गुप्त रखे जाने की व्यवस्था के कारण ही इसका नाम गुह्य साधना पड़ गया।

गुप्त साधना के सिद्धान्तों का विवेचन भी प्रतीकों या कूट शब्दों में किया जाता है ताकि सामान्य जन कुछ और समझें तथा सम्प्रदाय विशेष में दीक्षित लोग उस वास्तविक अर्थ को समझें जो बताया जा रहा हो। प्रवचन आदि की ऐसी भाषा को गुह्य वाणी कहा जाता है।

उदाहरण के लिए बिन्दु को ऊर्ध्वमुखी करने के लिए साधना। इसका वास्तविक अर्थ और साधना की प्रक्रिया को वही समझ सकते हैं जो इस साधना में दीक्षित हैं। अन्य केवल अनुमान ही लगा सकते हैं। इसी प्रकार योगिनियों की चर्चा होती है जिसका अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग होता है। कुछ लोग चौंसठ योगिनियों की पूजा करते हैं जिन्हें देवियां माना जाता है। परन्तु तन्त्र साधकों की योगिनियां योग में योगी का साथ देने वाली स्त्री होती है।

आसपास के पृष्ठ
गूढ़ोक्ति, गेटवे ऑफ इंडिया, गेय काव्य, गोगाबिल पक्षी अ‍भयारण्‍य, गोंडी, गोप-सखा


Page last modified on Monday June 26, 2023 15:45:29 GMT-0000