तरणिजा तरणिजा हिन्दी साहित्य में एक छन्द है। यह वर्णिक छन्द के समवृत्त का एक भेद है। इसके प्रत्येक चरण में नगण तथा गुरु होता है। उदाहरण - वरणिवो, वरणसी। जगत को, शरण सो।