नित्य
नित्य वह है जो विद्यमान है परन्तु जिसका कोई कारण नहीं है। अर्थात् जो स्वयं में विद्यमान था, है तथा रहेगा, क्योंकि उसके विद्यमान रहने के पीछे कोई कारण ही नहीं है।फिर जब कोई कारण ही नहीं है तो जो विद्यमान है उसके कभी भी विद्यमान न होना का प्रश्न ही नहीं उठता इसलिए वह नित्य है।
इस प्रकार नित्य वह है जिसमें कार्य और कारण का सम्बंध नहीं होता।