असल में पी चिदंबरम,कपिल सिब्बल और स्वंय मनमोहन सिंह को राजनीतिक रूप से अपरिवक्व माना जाता है। कांग्रेस प्रवक्ता मणीष तिवारी भी वकील हैं और पहली बार सांसद बने हैं। दूसरे प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी राज्यसभा के सांसद है और पेशे से वकील हैं। फ्रंट में रहने वाले एक और नेता रासिद अली साल्वी का भी कोई राजनीतिक आधार नहीं है। ऐसे में सरकार के संकठमोचक माने जाने वाले प्रवण मुखर्जी की चुप्पी आश्चर्यजनक रही है। कुल मिला कर कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक और राहुल गांधी के सामने आने के बाद की स्थितियां संभलती नजर आने लगी। और अब अन्ना को रामलीला मैदान में 14 दिन तक अनशन करने की इजाजत मिल चुकी है।
मालूम हो कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे हज़ारे पक्ष और दिल्ली पुलिस के बीच अनशन स्थल और अवधि को लेकर गतिरोध बुधवार देर रात समाप्त हो गया और गांधीवादी हजारे ने आज से 14 दिनों तक रामलीला मैदान में अनशन करने की पेशकश को स्वीकार कर लिया। हजारे के सहयोगी किरण बेदी, प्रशांत भूषण, मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल तथा दिल्ली पुलिस आयुक्त बीके गुप्ता के बीच देर रात चाणक्यपुरी स्थित गुप्ता के आवास पर करीब 30 मिनट तक चली बातचीत के बाद गतिरोध समाप्त हुआ। इस आशय की घोषणा हजारे के सहयोगियों ने तिहाड़ जेल के बाहर भी की जिसका जेल के बाहर जमा सैकड़ों समर्थकों ने हर्ष ध्वनि से स्वागत किया।
दिल्ली पुलिस की ओर से रामलीला मैदान में अनशन की अनुमति दिये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए पूर्व विधि मंत्री शांति भूषण ने आज कहा कि अन्ना को 14 दिनों तक अनशन करने की अनुमति दिया जाना इस बात को दर्शाता है कि उनकी मांग जाय्ाज थी। उन्होंने कहा कि सरकार को हजारे पक्ष से विचार विमर्श कर नया लोकपाल विधेयक लाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि हजारे पक्ष की ओर से पेश लोकपाल का मसौदा पूरी तरह से संविधान सम्मत है।
राजनीतिक सुझबूझ के अभाव में भद्द पिटी सरकार की
एस एन वर्मा - 2011-08-18 15:21
नई दिल्ली: सरकार तथा कांग्रेस पार्टी की ओर से टीम अन्ना के खिलाफ मोर्चा संभाल रहे सांसदों व केंद्रीय मंत्रियों की राजनीतिज्ञ अपरिपक्वता के कारण अन्ना को इतनी देर से अनशन की इजाजत अपने शर्तों पर मिली। सरकार तथा पार्टी की किरीकिरी करा चुकने के बाद सांसद मणीष तिवारी,केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आगे कर दियां । प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह का संसद में दिया गया बयान भी असरकारक नहीं रहा जिस कारण पूरा विपक्ष सरकार के खिलाफ एक जुट हो कर उस पर हल्ला बोल दिया।