यह आर्सेलर मित्तल के साथ भागीदारी में पर्यावरणीय शिक्षा केन्द्र (सीईई) द्वारा कार्यान्वित पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की एक पहल थी । अभियान का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, इसके कारण और प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना था । इस अभियान को पूरे देश में चलाया गया । आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए किसी भी व्यक्ति को चुना जा सकता था ।

ऐसा कौन सा चेहरा है जो पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कोशिशों के लिए रोल मॉडल साबित हो सकता है ... कोई सूची नहीं, कोई भी नाम । क्षमता युक्त उम्मीदवार के खण्ड हेतु श्रेणियां नहीं थीं, इसके लिए प्राध्यापक से लेकर विद्यार्थी , अभिनेता, राजनेता कोई भी हो सकता था जो मतदाताओं के विचारानुसार पर्यावरण के मुद्दों पर कार्य कर सके और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से लोगों को अवगत करा सके। संक्षेप में यह सही अर्थों में मूल्यांकित व्यक्ति की खोज थी जो लोगों से सही मायनों में जुड़ा हो और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहा हो ।

अभियान का उद्देश्य सीईई के जलवायु परिवर्तन शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के विषय में बच्चों को शिक्षित करना भी है ।

इस अभियान में विद्यार्थियों को शामिल करने के लिए सीईई ने जलवायु परिवर्तन शिक्षा पैकेज डिजाइन किया था । इसे विद्यालयों में भेजा गया था और उपलबध कराई गयी सामग्री से जलवायु परिवर्तन के बारे में बच्चों को पढा़या गया था । पैकेज को 20,000 विद्यालयों में 15 भाषाओं में तैयार किया गया था । लगभग 2 लाख विद्यार्थियों ने इसमें भाग लिया । कुल 200 से ज्यादा बैठकों, प्रशिक्षणों, कार्यशालाओं आदि का आयोजन किया गया । इसमें विद्यार्थियों , अध्यापकों और अन्यों के साथ एक का एक से संवाद और वार्ताएं भी शामिल हैं ।#