इस नीति के बावजूद मुख्यमंत्री चौहान ने भोपाल में आवास बोर्ड के मकान के लिए आवेदन किया है, जबकि निर्वाचन आयोग को उन्होंने अपने नामांकन के समय जो जानकारी दी थी, उसके अनुसार भोपाल में उनकी पत्नी के नाम एक मकान है। बोर्ड में अपना आवेदन देते समय उन्होंने इस तथ्य को छिपा लिया।

बोर्ड से संबंधित कानून के अनुसार इस तरह तथ्यों को छिपाकर मकान पाने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान है। दोषियों को इसके कारण 7 साल की सजा मिल सकती है। गलत जानकारी देकर भोपाल में हाउसिंग बोर्ड का मकान खरीदने वाले लोगों में मुख्यमंत्री ही नहीं, बल्कि राज्य के अनेक मंत्री और विधायक भी शामिल हैं।

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के सांसद बेटे संदीप दीक्षित को भी एक मकान नियमों को ताक पर रखकर बेचा गया है। नियम कहता है कि राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति को मकान नहीं बेचा जा सकता, लेकिन इस नियम का यहां भी उल्लंघन हुआ है।

वोट के लिए नोट मामले में भी मध्यप्रदेश की राजनीति गर्म हो रही है। इस मामले में भाजपा के दो पूर्व सांसद जेल में हैं। उनमें से एक मध्यप्रदेश के हैं। वे हैं फगन सिंह कुलस्ते। वे मांडला लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे। राज्य के वे सबसे बड़े भाजपाई आदिवासी नंेता हैं। मध्यप्रदेश के एक और सांसद अशोक अर्गल भी इस मामले में नामजद हैं। फिलहाल वे फरार है। इन दोनों के कारण राज्य में भाजपा की फजीहत हो रही है। भाजपा भी कुलस्ते की गिरफ्तारी के खिलाफ आदिवासियों के बीच आंदोलन चला रही है।

मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा घपला फिलहाल शेहला मसूद की हत्या है। उनकी हत्या के बाद उनके भाजपा नेताओं के साथ अंतरंग रिश्तों के चर्चे भोपाल मे ंचल रहे हैं। भाजपा के सांसद तरुण विजय के साथ उनके रिश्ते की खास तौर पर चर्चा है। श्री विजय भी उस रिश्तों को स्वीकार चुके हैं। दोनों एक साथ कई बार कश्मीर की यात्रा कर चुके हैं। मसूद एक इंवेंट मैनेजमेंट कंपनी भी चलाती थीं। उस कंपनी को श्री विजय बार बार काम देते थे।

लोगांे को आश्चर्य इस बात पर हो रहा है कि श्री विजय मध्यप्रदेश के नहीं हैं, उसके बावजूद भोपाल की एक महिला के वे करीबी बन बैठे। राज्य सरकार ने हत्या के इस मामले को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया है। कहते हैं कि सीबीआई तरुण विजय का नार्को टेस्ट भी करा सकती है। श्री विजय खुद कह रहे हैं कि वे जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग करेंगे और शेहला के हत्यारों को गिरफ्तार कराने मे उनसे जो भी संभव हो सकेगाध् वे करेंगे।

शेहला के अन्य भाजपा नेताओं के साथ के रिश्ते की खबर भी लगातर उड़ रही है। कहा जा रहा है कि वे भाजपा में शामिल होने वाली थी। यह भी कहा जाता है कि भाजपा के कई नेता उनके द्वारा अपने विरोधियों के खिलाफ आरटीआई के पेटीशन डलवाया करते थे। आरटीआई के पेटीशन के कारण भी उनकी हत्या हो सकती है, इसके बारे मे भी चर्चा चल रही है। (संवाद)