अपने पत्र में श्री जार्ज ने लिखा है कि उस जज को मुख्यमंत्री व अन्य लोगों के खिलाफ मामले की फिर से जांच के आदेश देने का अधिकार ही नहीं है। वह यह आदेश तभी दे सकते हैं, जब सरकारी वकील इसकी मांग करें। दिलचस्प बात यह है कि पीसी जार्ज ने कहा है कि उन्होंने यह शिकायत विधायक अथवा विधानसभा में सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक के रूप में नहीं की है, बलिक एक आम नागरिक के रूप में की है।
एलडीएफ और खासकर सीपीएम का कहना है कि यदि जार्ज को आम नागरिक के रूप में यह शिकायत करनी थी, तो उन्हें सादे कागज पर लिखकर यह शिकायत करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने यह शिकायत सत्तारूढ़ पक्ष के मुख्य सचेतक के पैड पर की है। और यदि उन्हें किसी जज से शिकायत है, तो यह शिकायत उनके ठीक ऊपर के जज से करनी चाहिए थी न कि देश के राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश से। सच तो यह है कि जार्ज ने एक जज के खिलाफ निजी तौर पर अभियान शुरू कर दिया है, जो अदालत और न्यायपालिका के सम्मान के खिलाफ है।
एक तरफ तो जार्ज कहते हैं कि वे अदालत का सम्मान करते हैं और दूसरी ही सांस में जज की शिकायत करते हैं। दिलचस्प बात है कि उसी जज की अदालत में पी सी जार्ज के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा भी चल रहा है। इससे भी दिलचस्प कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चेनिंथाला का वह बयान है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जार्ज की उस चिटठीबाजी में न तो उनकी कोर्इ भूमिका है और न ही कांग्रेस की कोर्इ भूमिका है। 24 घंटे के अंदर चेनिंथाला ने अपनी बात से पलटते हुए कह डाला के जार्ज को इस मामले में अलग थलग नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्होंने निजी हैसियत से वह चिटठी लिखी।
मुख्यमंत्री चांडी भी परस्पर विरोधाभाषी बातें कर रहे हैं। एक तरफ वे कहते हैं कि वे अदालत और न्यायपालिका का पूरा सम्मान करते हैं और दूसरी तरफ जार्ज के खिलाफ किसी तरह की कार्रवार्इ से इनकार करते हैं। जाहिराना तौर पर जार्ज ने मुख्य सचेतक के अपने पद का दुरुपयोग किया है, लेकिन इसके लिए वे उनसे अपने उस पद से इस्तीफा मांगने को भी तैयार नहीं दिखते। इसके कारण मुख्यमंत्री की छवि और भी खराब हो रही है।
मुख्यमंत्री भले दो तरह की बातें कर रहे हों, लेकिन उनकी पार्टी के ही दो विधायकों ने जार्ज की उस चिटठीबाजी के लिए आलोचना की है। वे विधायक हैं वी डी सतीशन और टीएन प्रतापन। उनका कहना है कि जार्ज की वह हरकत असंवैधानिक है और उससे एक गलत परंपरा की शुरुआत होती है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी आर कृष्णन अययर ने भी पत्र लिखने के लिए जार्ज की आलोचना की है, जबकि वे खुद भी विजिलेस कोर्ट के उस आदेश को सही नहीं मानते। (संवाद)
पी सी जार्ज की हरकतों से मुख्यमंत्री की छवि खराब
न्यायपालिका के प्रति सम्मान की यह कैसी मिसाल?
पी श्रीकुमारन - 2011-09-26 12:22
त्रिअनंतपुरम: न्यायपालिका के प्रति सम्मान के मामले में यूडीएफ के नेताओं की कथनी और करनी मे बहुत फर्क है। कम से कम पी सी जार्ज को देखते हुए तो यही कहा जा सकता है। पी सी जार्ज केरल कांग्रेस (मणि) के विधायक हैं। वे विधानसभा में सत्तापक्ष के मुख्य सचेतक भी हैं। उन्होंने राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायधीश को एक चिटठी लिखी है। अपनी उस चिटठी में उन्होंने विजिलेंस कोर्ट के जज पी के हनीफा के खिलाफ शिकायत की है। गौरतलब है कि जज हनीफा ने पामोलीन केस के मामले में मुख्यमंत्री चांडी व अन्य के खिलाफ फिर से जांच करने का आदेश जारी किया है।