‘सबके लिए इंटरनेट‘ लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध सरकार ने अन्य सम्बद्ध पक्षों के सहयोग से इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं। ऐसे ही एक कदम के तहत, वल्र्ड वाइड वेब कंसार्शीअम (डब्ल्यू 3 सी) भारत कार्यालय की 6 मई 2010 को औपचारिक शुरूआत की गई। इसके लांच के अवसर पर वल्र्ड वाइड वेब: प्रौद्योगिकी, मानक और अंतर्राष्ट्रीयकरण पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। 15 सितम्बर 2011 को डब्ल्यू3सी भारत कार्यालय का उद्घाटन सीजीओ कॉम्पलेक्स स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन में किया गया। डब्ल्यू3सी भारत के नए कार्यालय के खुलने से उसे स्थायी अस्तित्व मिलेगा और अब वह भारत को सही मायनों में ज्ञान आधारित समाज बनाने के लिए आईसीटी उद्योग और उपभोक्ताओं के बीच डब्ल्यू3सी मानकों के प्रसार की दिशा में ज्यादा सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।

वर्ल्‍ड वाइड वेब कंर्सोटियम (डब्ल्यू3सी)

वल्र्ड वाइड वेब कंर्सोटियम (डब्ल्यू3सी) एक मानक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिसका मुख्यालय मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्‍नॉलोजी, अमेरिका में है। यह संस्था सभी को वेब तक निर्बाध पहुंच उपलब्ध कराने के लिए मानक/बेहतर प्रक्रियाएं विकसित करती है/सिफारिशें देती है। डब्ल्यू3सी के दुनिया भर में 19 कार्यालय हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य डब्ल्यू3सी मानकों का प्रचार, प्रसार और उन्हें स्वीकार कराना तथा स्थानीय भाषाओं और संस्कृति के अनुसार उनका कार्यान्वयन कराना है। डब्ल्यू3सी का विज़न ‘‘सबके लिए वेब और हर चीज पर वेब है। डब्ल्यू3सी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानक तय करने वाली यूनीकोड, आईईटीएफ, आईसीएएनएन और आईएसओ जैसी संस्थाओं के तालमेल से काम करता है। डब्ल्यू3सी ने अब तक वेब टेक्‍नॉलोजी और भावी वेब मानकों में काम करने के लिए 183 मानक प्रकाशित किए हैं। डब्ल्यू3सी द्वारा विकसित सिफारिशें बहुत से प्रौद्योगिकीय कार्यक्षेत्रों में संचालित होती हैं।

डब्ल्यू3सी भारत कार्यालय की स्थापना की आवश्यकता

जगरूकता, शिक्षा एवं सहायता डब्ल्यू3सी भारत कार्यालय का मुख्य ध्येय है, जो डब्ल्यू3सी सिफारिशों के अनुमोदन का मार्ग प्रशस्त करेगा। ये वेब मानक दुनिया भर के लिए अनुकूल हैं, लेकिन फिर भी इनमें से कुछ को स्थानीय भाषाओं और संस्कृति के लिए विशिष्ट बनाने की जरूरत है। इन जरूरतों को लगातार पूरा करते हुए और डब्ल्यू3सी के साथ तालमेल बैठाकर काम करते हुए निर्बाध बहुभाषायी वेब सम्भव हो सकता है।

भारत में संविधान द्वारा स्वीकृत 22 भाषाओं के साथ भाषायी विविधता है और 11 जटिल लिपियों में पूरे यूरोपीय संघ से ज्यादा विविधता है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार संवैधानिक तौर पर स्वीकृत इन 22 भाषाओं के अलावा भारत में 100 अन्य प्रमुख भाषाआंे और 2371बोलियों सहित समृद्ध भाषायी विविधता है। भारत में, भाषा बहुत सी लिपियों पर आधारित हो सकती है। बहुत सी भाषाएं एक ही लिपि पर आधारित हो सकती हैं, ये भाषाएं समान लिपि का इस्तेमाल करते हुए भी क्षेत्र के आधार पर सांस्कृतिक तौर पर अलग होती हैं।यहां तक कि देश के विभिन्न हिस्सों में समान भाषा के इस्तेमाल के प्रयोग में व्यापक विविधताएं हैं। रोमन जैसी रेखामय लिपियों का आकार परिवर्तित नहीं होता, इसलिए वर्ण (केरेक्टर) साथ-साथ होते हैं-एक के बाद दूसरा जबकि भारतीय भाषाओं में जटिल संयुक्त वर्ण होते हैं। भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध वर्तनी -हिज्जे, बोलियों की विविधता आदि जैसे बहुत से प्रमुख मसले हैं जो प्रमाणित करते हैं कि 22 भारतीय भाषाओं में डब्ल्यू3सी मानकों को समर्थ बनाने के लिए प्रत्येक भाषा की अपनी विशिष्ट जरूरते होती हैं, जिनकी सावधानीपूर्वक पड़ताल की जानी चाहिए। भारतीय भाषाओं में सभी डिवाइस और प्लेटफार्म में निर्बाध वेब पहुंच के लिए डब्ल्यू3सी मानकों का कार्यान्वयन, इसे भारी-भरकम और चुनौतीपूर्ण कार्य बनाता है।

राष्ट्रव्यापी प्रमुख ई-गर्वनेंस कार्यक्रम और सीएससी के माध्यम से विविध राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय मिशन प्रणाली वाली परियोजनाओं और नागरिक सेवाओं की शुरूआत भारत में डब्ल्यू3सी की भूमिका को नया आयाम देती हैं। भारतीय संदर्भ में डब्ल्यू3सी मानकों का अंतर्राष्ट्रीयकरण और जटिल भाषायी जरूरतें हल करते हुए उनका कार्यान्वयन भारत में डब्ल्यू3सी की मुख्य भूमिका होगी। डब्ल्यू3सी भारत उद्योग, शैक्षिक समुदाय, उपभोक्ताओं का राष्ट्रीय मंच भी है, जो भारत से सिफारिशें/दिशानिर्देश हासिल करता है।

डब्ल्यू3सी भारत की पहल से इस देश की जनता द्वारा वेब की पहुंच ही व्यापक बनाने में सहायता नहीं करेगी, बल्कि उन्हें इस योग्य भी बनाएगी कि वे स्थानीय स्तर पर प्रासांगिक संदर्भ इंटरनेट पर उपलब्ध करा सकें। ऐसे प्रयास गरीबी में कमी लाने, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार, शिक्षा, अच्छे प्रशासन का विस्तार और समस्त स्थानीय चुनौतियों का वैश्विक स्तर पर हल मुहैया कराने में महान भूमिका निभाएंगे।

इंटरनेट के भावी मसलों को उपभोक्ताओं, सेवाओं और नेटवर्क के अनुप्रयोगों के आकलन को ध्यान में रखते हुए समग्र नजरिये से हल किए जाने की जरूरत है। नेटवर्क वाले भावी समाज के सहयोग के लिए नवीन एसएमई और विकसित माध्यमों, इंटरफेस और नेटवक्र्स एवं सेवाओं को शामिल करते हुए विविध विषयों वाले नजरिए की जरूरत पड़ती है।

भारत की ओर से भागीदारी है लेकिन कुछ सदस्यों द्वारा अपनी रुचि के विशिष्ट क्षेत्रों के बारे में डब्ल्यू3सी से सम्पर्क किए जाने की वजह से यह भागीदारी काफी सीमित हैं। भारत को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि आधिकारिक तौर पर स्वीकृत उसकी सभी 22 भाषाएं डब्ल्यू3सी सिफारिशों में उचित ढंग से प्रस्तुत की जा सकती हैं, ताकि वेब भारतीय भाषाओं में सुलभ हो सके और इसके मद्देनजर भारत की भूमिका, विशेषकर अंतर्राष्ट्रीयकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हो जाती है।

डब्ल्यू3सी भारत कार्यालय

डब्ल्यू3सी भारत कार्यालय का गठन डीआईटी में ‘ह्यूमन सेंटर्ड कम्प्यूटिंग डिवीजन‘ के तत्वावधान में हुआ है। यह डिवीजन ‘‘भारतीय भाषाओं के लिए तकनीकी विकास(टीडीआईएल)कार्यक्रम का कार्यान्वयन कर रहा है। टीडीआईएल कार्यक्रम डब्ल्यू3सी सिफारिशों का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की दिशा में कार्य करने के लिए देश के सभी सम्बद्ध पक्षों के साथ 2006 से सक्रिय रूप से जुड़ा रहा है।

डीआईटी में जेएस श्री एन. रवि शंकर इसके संरक्षक हैं जबकि श्रीमती स्वर्ण लता डब्ल्यू3सी भारत कार्यालय की कंट्री मैनेजर हैं।

डब्ल्यू3सी भारत कार्यालय का उद्देश्य डेवलपर्स, अनुप्रयोग निर्माताओं तथा मापदंड तय करने वालों के बीच डब्ल्यू3सी की सिफारिशे अंगीकार करने को बढ़ावा देना तथा भावी सिफारिशे तय करते समय सम्बद्ध पक्षों को शामिल करने को प्रोत्साहन देना है।

12 सितम्बर 2011 को डब्ल्यू3सी भारत ने ‘’ई गवर्नेंस सुविधाओं का अंतर्राष्ट्रीयकरण: सर्वोत्तम प्रथाएं’ विषय पर अध्ययन जारी किया था। डब्ल्यू 3 सी भारत ने ई गवर्नेंस अनुप्रयोगों के लिए उनके अंतर्राष्ट्रीयकरण और स्थानीयकरण की सर्वोत्तम प्रथाओं का एक सेट दिशा निर्देशों के तौर पर तैयार किया है, ताकि भारतीय भाषाओं में ई गवर्नेंस के वेब आधारित अंतर्राष्ट्रीयकरण को मजबूती मिल सके। इन दिशा निर्देशों का सबसे ज्यादा उपयोग कंप्यूटर अनुप्रयोग डेवलपर तथा ई गवर्नेंस के क्षेत्र में इसके उपयोगकर्ताओं और नीति निर्माताओं के लिए है।

डब्ल्यू3सी की सदस्यता हर प्रकार के संगठनों (वाणिज्यिक, शैक्षिक और सरकारी) और व्यक्तियों के लिए खुली है। सदस्य बनने के लिए सदस्यता समझौते पर दस्तखत करने होते हैं। सदस्य लाभकारी या गैर लाभकारी संगठनों के लिए हो सकते हैं। ज्यादातर सदस्य वेब-आधारित उत्पाद विकसित करने, सक्षम माध्यम के रूप में वेब प्रौद्योगिकियों को इस्तेमाल करने, वेब पर शोध करने या डब्ल्यू3सी कार्य पर आधारित विशिष्टता विकसित के लिए वेब प्रौद्योगिकियांे में महत्वपूर्ण संसाधनों का निवेश करते हैं। प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान क्षेत्रों में डब्ल्यू3सी भारत कार्यालय की सिफारिशों का प्रभावी प्रदर्शन सदस्यों के वांछित हितों पर आधारित डब्ल्यू3सी के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से सीधे तौर पर सम्बद्ध है।

डब्ल्यू3सी भारत कार्यालय वेबसाइट्स को 22 भारतीय भाषाओं में समर्थ बनाने के दूरगामी विजन के साथ शुरू किया गया। इससे भारतीय भाषाओं में वेब के विकास में तेजी आएगी। आज के प्रौद्योगिकी प्रधान विश्व में आईसीटी के लाभ जनता तक पहुंचाने के लिए सूचना तक पहुंच महत्वपूर्ण है। सभी जरूरी मानक तैयार करने में डब्ल्यू3सी से सम्पर्क करने से, वल्र्ड वाइड वेब पर भाषा, स्थान, क्षमता, पीढ़ी, उम्र और आय की सीमाओं से परे जाकर सूचनाएं सहज उपलब्ध होंगी। यह परिवर्तन लाने वाला कदम साबित होगा।