वर्ष 2007-08 में देश के सकल घरेलू उत्पाद और नौकरियों में पर्यटन का योगदान क्रमशः 5.92 फीसदी और 9.24 फीसदी रहा। वर्ष 2007-08 में देश के पर्यटन क्षेत्र में कुल नौकरियां 4 करोड़ 98 लाख रहीं। पर्यटन क्षेत्र के वर्तमान विकास में वृद्धि करने या 12वीं योजना की अवधि में इसे बरकरार रखने की चुनौतियों में होटल, सड़कें, वाहन, रास्ते की सुख-सुविधाएं सुगम बनाने वाले केंद्र जैसी अतिरिक्त पर्यटन अवसंरचना सुविधाओं का सृजन करना शामिल है। प्रशिक्षित कर्मियों, गाइड्स, भारत के लिए महत्वपूर्ण स्रोत बाजारों के साथ - साथ भारत के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के बीच बेहतर सम्पर्क आदि जैसी अन्य चुनौतियां हो सकती हैं। आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के क्षेत्र में पर्यटन की अपार सम्भावनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने 23 जून 2011 को प्रधानमंत्री के समक्ष एक प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में, 12 वीं योजना में पर्यटन के विकास के लिए आवश्यक विविध पहलों पर भी चर्चा की गई। योजना आयोग द्वारा पर्यटन पर गठित किए गए कार्यसमूह के विभिन्न उपसमूहों में प्रस्तुति की विषयवस्तु पर भी विचार-विमर्श किया गया। व्यापक विचार-विमर्श के बाद कार्यसमूह ने 12वीं योजना में पर्यटन के विकास के लिए निम्नलिखित रणनीतियों की सिफारिश की:
पर्यटन क्षेत्र के लिए विविध लक्ष्य
पर्यटन क्षेत्र, सेवा उद्योग के प्रमुख घटकों में से एक है। इस नाते, इसके विकास लक्ष्यों को 12वीं पंचवर्षीय योजना में सेवा क्षेत्र की लक्षित वृद्धि के साथ जोड़ना होगा। 12वीं योजना की अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की 9 से 9.5 फीसदी अनुमानित वृद्धि के लिए पर्यटन क्षेत्र को योजना अवधि में अनुमानित 12 फीसदी वृद्धि हासिल होगी, पर्यटन क्षेत्र को सेवा क्षेत्र के लिए वर्तमान 9 फीसदी वृद्धि के विपरीत अनुमानित 12 फीसदी वृद्धि हासिल करनी होगी। वृद्धि के इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्यटन क्षेत्र को निम्नलिखित हासिल करना होगाः-
- 12वीं योजना के अंत तक भारत के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन की हिस्सेदारी कम से कम एक फीसदी बढ़ाना-वर्ष 2011 और 2016 के दौरान 12.38 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि सालाना फीसदी की जरूरत।
- घरेलू पर्यटन के लिए उचित सुविधाएं उपलब्ध कराना ताकि 12वीं योजना के दौरान 12.16 (हाल के वर्षों में देखी गई) फीसदी वृद्धि बरकरार रखी जा सके।
लक्ष्यों के परिणाम
- विदेशी पर्यटक आगमन (एफटीए):
वर्ष 2016 में एफटीए और विदेशी पर्यटक दौरों (एफटीवी) की तादाद क्रमशः एक करोड़ 12 लाख 40 हजार और तीन करोड़ 59 लाख 50 हजार रहने का अनुमान है।
-घरेलू पर्यटन:
वर्ष 2016 में घरेलू पर्यटकों के दौरे (डीटीवी) एक अरब 45 करोड़ 14 लाख 60 हजार रहने का अनुमान है।
-पर्यटन से अतिरिक्त विदेशी मुद्रा की आय (एफईई):
वर्ष 2010 में पर्यटन से विदेशी मुद्रा की आय 64889 (14.19 अरब अमरीकी डॅालर)करोड़ रूपये से बढ़कर वर्ष 2016 में 134383 करोड़ रुपये (30.3 अरब अमरीकी डॉलर) हो जाने का अनुमान है।
वर्ष 2010-2016 में पर्यटन से अतिरिक्त एफईई 69494 करोड़ रुपये (15.7 अरब अमरीकी डॉलर) रहने का अनुमान है।
रोजगार सृजन
देश की कुल नौकरियों में पर्यटन की हिस्सेदारी के पर्यटन सेटेलाइट लेखों (टीएसए) से उपलब्ध वर्ष 2002-03 के आंकड़ों और वर्ष 2007-08 तक के अनुमानों का इस्तेमाल करते हुए, पर्यटन क्षेत्र में वर्ष 2010 की 5 करोड़ 30 लाख नौकरियों के विपरीत वर्ष 2016 में 7 करोड़ 75 लाख कुल नौकरियां (प्रत्यक्ष और परोक्ष) रहने की सम्भावना है। इस तरह से वर्ष 2010 से 2016 के दौरान 2 करोड़ 45 लाख अतिरिक्त रोजगार (प्रत्यक्ष और परोक्ष) सृजित किए जा सकते हैं।
लक्ष्य हासिल करने के लिए पहल
12वीं योजना के दौरान पर्यटन क्षेत्र के विविध लक्ष्यों को हासिल करने और चुनौतियों को हल करने के लिए निम्नलिखित पहल किए जाने का प्रस्ताव है:
कौशल विकास
आतिथि सत्कार शिक्षा की संस्थागत अवसंरचना में विस्तार करने के लिए निम्नलिखित उपाय करना:
o नए इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम) और फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट्स (एफसीआई) खोलना।
o वर्तमान आईएचएम/एफसीआई की क्षमता में वृद्धि करना।
o निजी क्षेत्र के निवेश को सुगम बनाना।
- निम्न क्षेत्रों को शामिल कर आतिथि सत्कार शिक्षा को व्यापक बनाना
o विश्वविद्यालय/काॅलेज
o बहुकला संस्थान
o औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान
o सीबीएसई और राज्य स्तरीय बोर्ड के माध्यम से 12वीं कक्षा के स्तर पर व्यवसायिक शिक्षा
हुनर से रोजगार के जरिए कौशल विकास
o उपर्युक्त वर्णित शैक्षिक प्रशिखण संस्थान
o वर्गीकृत सितारा श्रेणी के होटल
o वर्तमान सेवा प्रदाताओं के कौशल को आवश्यक प्रक्रिया के माध्यम से प्रमाणित कराना ताकि उनमें रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकें।
o नए क्षेत्रों की पहचान
o मिसाल के तौर पर ऐतिहासिक धरोहर का जीर्णोद्धार करने वाले कामगार (नीमराना)
o योजना आयोग, मानव संसाधन विकास, श्रम एवं ग्रामीण विकास मंत्रालयों को मिलाना
o ढांचागत विकास
o बड़ी तादाद में आगंतुकों को आकृष्ट करने की क्षमता वाले प्रमुख परिपथों/गंतव्यों की पहचान-मिशन मोड के विकास के लिए।
o विकसित/अल्पविकसित/पर्यटकों के आकर्षण वाले नए क्षेत्र में टूरिज्म उद्यानों का विकास करना
o पर्यटन उत्पादों के रूप में विकास के लिए अनूठे शिल्प, पारम्परिक कला वाले ग्राम समूहों की पहचान करना
o पर्यटन मंत्रालय की वर्तमान योजना में शामिल वर्तमान परिपथों/गंतव्यों का विकास करना
- स्वच्छता एवं सफाई
o स्वच्छता, ठोस कचरा प्रबंधन और स्वच्छ जल पर्यटकों की मुख्य चिंताएं
o सभी जरूरी सम्बद्ध पक्षों को संवेदनशील बनाना और जागरूकता फैलाना
o मंत्रालय द्वारा ‘अतिथि देवो भवः‘ के पहल के तहत प्रमुख सामाजिक जागरूकता अभियान चलाना
- विपणन, ब्रांडिंग एवं प्रचार
o नए बाजार विकसित करना-सीआईएस, आसियान, पश्चिम एशिया और अफ्रीकी देश
o व्यापक पहुंच के लिए विदेश में नए प्रतिनिधि कार्यालय खोलना
o नए पर्यटन उत्पादों का विकास और प्रचार
o गोल्फ पोलो, वैलनेस एंड मेडिकल,एमआईसीई, कारवां, क्रूज, एडवेंचर एंड वाइल्डलाइफ टूरिज्म
कराधान
वर्तमान में पर्यटन क्षेत्र पर लगने वाले कर बहुत अधिक हैं। पर्यटन से अत्याधिक लाभांश हासिल करने के लिए पर्यटन उद्योग पर लगने वाले कर एकीकृत, तर्कसंगत और वैश्विक तौर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने होंगे।
अभिसरण
पर्यटन के एक बहु-वर्गीय गतिविधि होने के नाते सर्वोत्तम नतीजे पाने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के वास्ते विभिन्न क्षेत्रों के संसाधनों को सक्रिय रूप से मिलाना आवश्यक है। रूपांतरण में बेहतर निष्कर्ष हासिल करने के लिए निम्न उपाय किए जाने की जरूरत है:-
-प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में संस्कृति, नागरिक उड्डयन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, शहरी विकास आदि जैसे सम्बद्ध मंत्रालयों के सदस्यों वाली एक समिति गठित की जा सकती है।
-प्रत्येक राज्य/संघशासित प्रदेश में मुख्यमंत्री/प्रशासक की अध्यक्षता में सम्बद्ध राज्य/संघशासित प्रदेश के मंत्रालयों के सदस्यों के साथ एक समिति गठित की जा सकती है।
पर्यटन विकास में राज्यों/संघशासित प्रदेशों की सहभागिता
o अभिसारिता के माध्यम से एकीकृत पर्यटन विकास के लिए राज्यों की सक्रिय भागीदारी
o पर्यटन विकास मंत्रालय एसोचेम,सीआईआई, फिक्की, पीएचडीसीसीआई, आईसीसी के सहयोग से आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के क्षेत्र में राज्यों में पर्यटन की सम्भावनाओं के बारे में जागरूता बढ़ाने के प्रयास करे
o राज्य पर्यटन गंतव्यों के लिए अवसंरचना की कमियों की पहचान करें और इसे राजनीतिक एजेंडा बनाने के लिए मुख्यमंत्री स्तर पर हस्तक्षेप सुनिश्चित करें
o राज्यों की टिकाऊ, सुरक्षित और मानदेय (ऑनरेरियम) पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए।
- पर्यटन क्षेत्र के लिए भूमि
- भूमि की जरूरत
- होटलों
- सम्मेलनों/प्रदर्शनी स्थलों
- थीम पार्क
- कम्पोजिट हीट्स
-उद्योगों को आवंटित की जाने वाली भूमि की पद्धति पर
-राजस्व बंटवारे के आधार पर दी गई भूमि
-होटलों के लिए उच्च एफएआर
पर्यटन मंत्रालय को 12वीं योजना में विविध प्रस्तावित रणनीतियां लागू करने में सक्षम बनाने के लिए, इसकी योजना की रूपरखा को बहुत अधिक संवर्द्धन की जरूरत होगी। 12वीं योजना के दौरान पर्यटन मंत्रालय के लिए 11वीं योजना के 5156 करोड़ रुपये के आवंटन के विपरीत अनुमान के तौर पर 21500 करोड़ रुपये की निधि की जरूरत होगी। अनुमानित लागत का बहुत अधिक हिस्सा पर्यटन अवसंरचना, मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण और प्रोत्साहन एवं प्रचार को बेहतर बनाने के लिए आवंटित किए जाने का प्रस्ताव है।
पर्यटन मंत्रालय की प्राथमिकता, देश की अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देने के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करने के वास्ते पर्यटन से संबंधित अवसंरचना को सृजित/ विकसित करना है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की मदद से 10 + 2 के पाठ्यक्रम में पर्यटन को शामिल कराने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि आने वाली पीढि़यां न सिर्फ मसलों के प्रति जागरूक हों बल्कि पर्यटन क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने को भी तैयार हों।
अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 27 सितम्बर पर विशेष
भारत में पर्यटन: एक सिंहावलोकन
समीर सिन्हा - 2011-09-27 13:03
पर्यटन को आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का एक सशक्त माध्यम माना जाता है। पर्यटन क्षेत्र देश का सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, इसका महत्व आर्थिक विकास और विशेष तौर पर देश के दूर-दराज के हिस्सों में रोजगार सृजन का एक माध्यम होने में हैं।