कुमारी शैलजा ने कहा कि हम ऐसे विश्‍व में रह रहे हैं, जहां शहरी आबादी तेजी से बढ़ रही है। महाराष्‍ट्र की शहरी आबादी 45 दशमलव 23 प्रतिशत है और यह भारत के सकल घरेलू उत्‍पाद का 60 प्रतिशत है। इसके 2030 तक बढ़कर 70 प्रतिशत से अधिक हो जाने की उम्‍मीद है। उन्‍होंने कहा कि आज हमारे सामने शहरी गरीबी सबसे बड़ी चुनौती है। अधिकतर शहरी गरीब मलिन बस्तियों अथवा मलिन बस्तियों जैसी स्थिति में रहते हैं। भारत की मलिन बस्तियों में रहने वाली आबादी का लगभग 20 प्रतिशत महाराष्‍ट्र में है। ये मलिन बस्तियां इस बात को दर्शाती हैं कि कम कीमत वाले मकानों की कितनी भयानक कमी है।

शहरी गरीबी बढ़ने के साथ सस्‍‍ते आवास की कमी का हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और इसलिए इस पर तत्‍काल ध्‍यान देने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि उनका मंत्रालय ऐेसे मलिन ब‍स्‍ती मुक्‍त भारत के सपने को साकार करने के लिए कार्य कर रहा है जहां रहने के लिए सस्‍ती जगह और नागरिक तथा सामाजिक सुविधाओं का प्रावधान हो। शहरी गरीबों की कार्य कुशलता में सुधार और स्‍वरोजगार के उद्यमों की स्‍थापना करके उनकी आय को बढ़ाने का भी प्रयास किया जा रहा है।

कुमारी शैलजा ने कहा कि इस समय उनका मंत्रालय 933 शहरों में मकानों के निर्माण के लिए सहायता कर रहा है। महाराष्‍ट्र में मकानों के निर्माण के लिए 87 शहरों/कस्‍बों को शामिल किया गया है। उन्‍होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) ने राजीव आवास योजना तैयार करने में मदद की है। राजीव आवास योजना में मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को कानूनी अधिकार के जरिये कम कीमत पर आवास देकर मलिन बस्‍ती मुक्‍त भारत की कल्‍पना की गई है।

कुमारी शैलजा ने कहा कि उनका मंत्रालय मलिन बस्‍ती मुक्‍त भारत के सपने को साकार करने के लिए निजी क्षेत्र के योगदान को बढ़ावा दे रहा है। उन्‍होंने कहा कि निजी क्षेत्र की भागीदारी तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक शहरी गरीबों के लिए ऋण की व्‍यवस्‍था सु‍निश्चित की जाए। इसके लिए हम ऋण गांरटी कोष बना रहे हैं। इसमें शहरी गरीबों के लिए बैंक से उधार लेने के जोखिम को शामिल किया जाएगा।

शहरी आजीविका के मु्द्दे को हल करने के लिए उनके मंत्रालय ने स्‍वर्ण्‍जयंती शहरी रोजगार योजना को लागू किया है। इसमें 2009 में व्‍यापक बदलाव किये गये हैं। उन्‍होंने कहा कि उनका मानना है कि अकुशल मजदूरों को काम देने का मनरेगा मॉडल शहरी इलाकों के लिए उपयुक्‍त नहीं है और हमें शहरी गरीबों की कार्यकुशलता के विकास और ऋण की उपलब्‍धता पर जोर देना चाहिए ताकि उन्‍हें आर्थिक विकास की मुख्‍य धारा में शामिल किया जा सके।

इस सम्‍मेलन का आयोजन आवास और शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय और महाराष्‍ट्र सरकार ने संयुक्‍त रूप से किया।