इन दोनों के बीच चल रही रस्साकशी और वर्चस्व की लड़ार्इ का असर दिल्ली में हुर्इ स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक में भी देखने की मिली। दोनों नेताओं के बीच का टकराव लखनऊ से दिल्ली भी पहुंच गया।

वािष्ठ नेताओं ने एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाए और उन आरोपों में एक आरोप यह भी था कि वे पार्टी टिकट को बेच रहे हैं। जब यह आरोप रीता बहुगुणा जोशी पर लगा, तो उन्होंने इपने हाथ का कागज तो बैठक की मेज पर फेंक मारा ही, वे बैठक से बाहर भी आ गर्इं।

कांग्रेस ने 73 उम्मीदवारोें की एक सुची जारी कर दी है। अब एक दूसरी सूची भी जारी होनी है, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ट नेताओं के बेटे, बेटियों और नजदीकी रिश्तेदारों के नाम होने की उम्मीद है।

राजनैतिक पर्यवेक्षको का मानना है कि जैसे ही सूची में इन कांग्रेसी नेताओं के रिश्तेदारों के नाम आएंगे, राज्य भर में कांग्रेसियों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो जाएगा। अनेक कांग्रेसी नेता टिकट पाने की उम्मीद में अपने अपने क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। टिकट से वंचित होने पर वे हंगामा शुरू कर देंगे।

इस बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने जिला अध्यक्षों का कहा है कि जमीनी स्तर पर काम करने के लिए वे जिला संगठन को पूरी तरह तैयार कर लें।

जिला अध्यक्षों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के महासचिन परवेज हाशमी ने कहा कि प्रखंड स्तर पर कांग्रेस की बैठकें आयोजित की जानी चाहिए और उन सभी बैठकों मे संबंधित जिला अध्यक्ष आवश्यक रूप से भागीदारी करें।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी की अध्यक्षा रीता बहुगुणा जोशी ने जिला र्इकाइयों को निर्देश दिए कि नवंबर 2011 तक सभी बूथों की कमिटियों का गठन हो जाना चाहिए।

इस बीच सांसद राज बब्बर को ज्यादा जिम्मेदारियां दी गर्इ हैं। उन्हें कहा गया है कि वे अभियान समिति की सहायता करें बौर मीडिया अभियान की जिम्मेदारी भी संभालें।

पार्टी नेताओं के अनुसार सोनिया गांधी और राहुल गांधी की सभाओं के बारे में रणनीति दशहरा की छुटिटयों के बाद तय की जाएगी।

राजनैतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस नेताओं को भारी मुशिकलों का सामना करना पड़ेगा। अन्ना के आंदोलन से गलत तरीके से निबटने और और कांग्रेस के नेताओं के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोपों का जनमानस पर असर पड़ रहा है, जिसका खामियाजा कांग्रेस को उत्तर प्रदश चुनावों में भुगतना पड़ सकता है। (संवाद)