वामपंथी विशेषज्ञ भी यह समझ पाने में विफल है कि आखिर सीपीएम पूर्व मंत्री सुशांतों घोष का लगातार बचाव क्यों कर रही है। वे आजकल मिदनापुर जेल में हैं और उनके ऊपर नरसंहार का आरोप लगा हुआ है। पार्टी उनका यह कहते हुए बचाव कर रही है कि वे एक साजिश का शिकार हैं और साजिशकत्र्ताओं में साम्राज्यवादी शकितयां भी शामिल हैं। पार्टी के प्रमुख नेता उनके खिलाफ लगाए गए आपराधिक आरोपों को गलत बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि वाम आंदोलन को बदनाम करने के लिए उन्हें फंसाया जा रहा हैं।
यदि सुशांतो घोष का बचाव सीपीएम के राज्य सचिव बिमान बोस ही करते तो किसी को आश्चर्य नहीं होता, क्योकि वे इस तरह की बातें करते ही रहते हैं। जब वाममोर्चे की सरकार थी, तो तपन घोष और शुकुर अली के खिलाफ भी हत्या के आरोप लग रहे थे। उस समय बिमान बोस ने उनका समर्थन किया था। उस समय सीपीएम के उन दोनो नेताओं के खिलाफ पुलिस ने कोर्इ कार्रवार्इ नहीं की थी, क्योंकि तब उनकी पार्टी की सरकार थी। अब जब सरकार बदल गर्इ है, तो तपन घोष और शुकुर अली दोनों फरार हैं और पुलिस उनके पीछे पड़ी हुर्इ है।
पर आश्चर्य तो तब होता है, जब लोग देखते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री बुदधदेव भटटाचार्य भी सुशांताें घोष का बचाव कर रहे हैं। कम से कम उनसे ऐसी उम्मीद नहीं की जा रही थी। श्री घोष पर आरोप है कि उन्होंने 7 सितंबर, 2002 को पशिचम मिदनापुर में 7 लोगों की हत्या करवा दी। वे सातों लोग उनके राजनैतिक विरोधी तृणमूल कांग्रेस के सदस्य थे। उनकी हत्या सीपीएम के हथियरबंद दस्ते ने की थी। हत्या के बाद उनके शव को सुशांतो घोष के विधानसभा क्षेत्र गरबेटा के बेनछपरा में गाड़ दिया गया।
हाल ही में शिकार लोगों के नरकंकाल मिले। उनमें से एक की पहचान उसके बेटे ने की। बाद में डीएनए टेस्ट द्वारा उसकी पुषिट भी हो गर्इ। श्री घोष ने अंटीसिपेटरी बेल पाने की कोशिश भी की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। सरकारी आंकड़े इस बात का खंडन नहीं कर सके कि उन शवों के गाड़े जाने के दिन वे अपने विधानसभा क्षेत्र में नहीं थे। उसके कारण उनपर शक और भी बढ़ गया है। गिरफतारी के बाद उन्होंने बीमारी का बहाना किया और अस्पताल में भर्ती हो गए। लेकिन अस्पताल वालों ने उनको भला चंगा करार दिया, हालांकि उस प्रकि्रया में पूछताछ विलंबित हो गया। उसके बाद उनके वकील उनकी जमानत की बार बार कोशिश कर रहे हैं, पर वे काशिशें लगातार विफल हो रही हैं। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी श्री घोष गरपेटा चुनाव क्षेत्र से चुनाव जीत गए हैं।
यह कहना अभी कठिन है कि उनका पर लगा मुख्य आरोप साबित हो पाएगा या नहीं, लेकिन उनके बारे में जो खबरें आ रही हैं, वे निश्चय ही चौंकाने वाली है। दिलचस्प बात यह है कि उनकी पार्टी के वे नेता जो उनको बचाने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं, उनसे संबंधित उन चौंकानेवाली बातों पर कुछ भी नही बोलते।
उदाहरण के लिए श्री घोष, उनके भार्इ और नजदीकी रिश्तेदारों ने मिदनापुर, कोलकाता और उड़ीसा में अनेक फलैट, गाड़ी वे अन्य संपतितयां खरीद रखी हैं। यह सब दस साल के दौरान ही हुआ। लोग पूछ रहे हैं कि इतनी सारी संपतित उन्होंने कहां से खड़ी कर ली और वह भी सिर्फ 10 सालों में। (संवाद)
पश्चिम बंगाल में सीपीएम हो गई है दिशाहीन
ममता बनर्जी इसका उठा रही हैं फायदा
आशीष बिश्वास - 2011-10-03 17:52
कोलकाता: कुछ मायने में पश्चिम बंगाल मे सीपीएम अपनी गलतियों से सबक सीखने को तैयार नहीं है। इसने अपनी हार से भी कुछ नहीं सीखा है। आज वह एक अजेय योदधा के पद से गिरकर एक पराजित योदधा की गति पा चुकी है, लेकिन वह फिर भी अपने आपको बदलने के लिए तैयार नहीं दिखती। इसका फायदा ममता बनर्जी को हो रहा है।