इसमें शक नहीं कि भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कर्इ बार दुहराया है कि उनकी पार्टी चुनाव के बाद भी बसपा से का्रेर्इ गठबंधन नहीं करेगी। उनके अलावा पार्टी के अन्य नेता भी बार बार यही दावा कर रहे हैं। पार्टी के अंदर यह स्वीकार किया जा रहा है कि बसपा के साथ गठबंधन करने और मायावती को बार बार मुख्यमंत्री बनने में सहायता करने के कारण पार्टी का जनाधार कमजोर होते गया है। इसके कारण भाजपा जहां कमजोर हुर्इ है, वहीं बसपा उसकी कीमत पर मजबूत होती चली गर्इ है।
पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह भाजपा के सत्ता में आने की सूरत में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि वे बसपा के साथ किसी तरह के गठबंधन अथवा तालमेल के खिलाफ हैं। वे बसपा के इतने खिलाफ हैं कि उन्होंने पार्टी के 5 हजार दलित कार्यकत्र्ताओं को एकत्र किया और उन्हे यह शपथ खिलार्इ कि वे कभी भी बसपा से किसी तरह का कोर्इ वास्ता नहीं रखेंगे। राजनाथ सिंह मथुरा से अपनी यात्रा की शुरुआत करने वाले हैं और वे अपनी यात्रा के दौरान राज्य सरकार और मायावती के खिलाफ आग उगलने वाले हैं।
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष इस बात को नहीं भूल सकते कि 2007 के चुनाव में उनकी पार्टी की हार इसलिए हुर्इ क्याेंकि उसे मतदाताओं ने समाजवादी पार्टी की बी टीम के रूप में देखा। चुनाव के बाद पार्टी महासचिव अरुण जेटली, जो उस चुनाव में भाजपा के चुनाव प्रभारी भी थे, का भी यही मानना था।
बनारस के भारत माता मंदिर से कलराज मिश्र राज्य में भाजपा की दूसरी रथयात्रा की शुरुआत करने वाले हैं। वे भी बार बार इस बात को दुहरा रहे हैं कि चुनाव के बाद भी मायावती और उनकी पार्टी से भाजपा किसी प्रकार का ताल्लुकात नहीं रखेगी। अपनी यात्रा के दौरान वे भी राजनाथ सिंह की तरह मायावती के खिलाफ ही आग उगलने वाले हैं।
दरअसल भाजपा नेता जनता को बार बार यह भरोसा देना और दिलाना चाहते हैं कि उनका बसपा के साथ कोर्इ संबंध नहीं बनने वाला है, लेकिन पार्टी के अंदर लालजी टंडन जैसे नेताओं की कमी नहीं है, जिनका संबंध मायावती के साथ बहुत ही अच्छा है और जो चुनाव के बाद बसपा से संबंध बनाने में परहेज नहीं करेंगे। वैसे नेताओं का मानना है कि पार्टी को चुनाव के बाद बसपा का समर्थन करना चाहिए और 2014 के लोकसभा चुनाव के पार्टी को बसपा के साथ कड़ी सौदेबाजी करनी चाहिए।
इस बीच जनक्रांति पार्टी के नेता पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का कहना है कि यदि बसपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती है, तो भाजपा को उसका समर्थन करने मे कोर्इ झिझक नहीं होगी। भाजपा मायावती के साथ मिलकर राज्य में सत्ता में भागीदारी करेगी और 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए कड़ी सौदेबाजी करेगी। उन्होंने कहा कि वे मतदाताओं को कहेंगे कि वे भाजपा को समर्थन नहीं करें, क्योंकि भाजपा का समर्थन करने का मतलब होगा बसपा और मायावती का समर्थन करना।
उत्तर प्रदेश विशेष
बसपा से गठबंधन का मसला
भाजपा में एक राय नहीं
प्रदीप कपूर - 2011-10-04 13:07
लखनऊ: अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद भारतीय जनता पार्टी का ग्राफ ऊंचा होता दिखार्इ पड़ रहा है, लेकिन पार्टी के अंदर इस बात को लेकर भारी दुविधा है कि बसपा के साथ चुनावी गठबंधन किया जाय या नहीं। चुनाव के पहलं पार्टी का बसपा के साथ कोर्इ गठबंधन नहीं होने जा रहा है, लेकिन सवाल यह है कि चुनाव के बाद क्या भाजपा बसपा से एक बार और गठबंधन करना चाहेगी या नहीं? गौरतलब है कि भाजपा ने अब तक तीन बार बसपा के साथ गठबंधन किए हैं और तीनों बार उसने मायावती को मुख्यमंत्री बनाया है।