हिसार उपचुनाव से कांग्रेस और टीम अन्ना के बीच सीधा टकराव शुरू हो गया है। अन्ना ने घोषणा कर रखी है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में वे कांग्रेस के खिलाफ काम करेंगे, यदि जनलोकपाल कानून नहीं बनाया जाता है। हालांकि अभी उन्होंने लोगों से उन चुनावों के बहिष्कार की अपील करने का भी फैसला किया है और फिलहाल इस बात को लेकर थोड़ा भ्रम भी बना हुआ है।
हाल के दिनों में लोकसभा के किसी उपचुनाव ने उतनी दिलचस्पी नहीं पैदा की, जितना हिसार लोकसभा के उपचुनाव ने कर दी है। इसका कारण यह है कि अन्ना ने इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार का विरोध करने को लोगों से अपील की है और टीम अन्ना हिसार में लोगों से कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ मत डालने के लिए अभियान चला चुकी है।
हिसार उपचुनाव के मतदान हो चुके हैं। नतीजे आने बाकी हैं। वहां तीन मुख्य उम्मीदवार हैं और तीनों के पास काफी बाहुबल और धनबल है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोर्इ एक प्रमुख उम्मीदवार हैं, तो दूसरे प्रमुख उम्मीदवार हरियाणा के एक अन्य लाल - देवीलाल के पोते अजय सिंह चौटाला हैं। उनके पिता ओमप्रकाश चौटाला भी हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तीसरे उम्मीदवार कांग्रेस क जयप्रकाश हैं, जो कर्इ बार इस लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
तीनों ही बहुत ताकतवर उम्मीदवार हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला देवीलाल और भजनलाल के वंशजों के बीच में ही है। अन्ना की अपील ने कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश के काम और भी कठिन कर दिए हैं, हालांकि हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपींदर सिंह हुडडा भी कांग्रेस उम्मीदवार के पीछे अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के उम्मीदवार को ज्यादा से ज्यादा मत दिलाने के लिए कोर्इ कसर छोड़ नहीं रखी है।
अन्ना द्वारा हिसार में कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ वोट डालने की अपील करने के बाद कांग्रेस ने भी अन्ना के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है। अब अन्ना पर भाजपा और आरएसएस के साथ सांठगांठ का आरोप लगाया जा रहा है। विजयादशमी के दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भाषण का भी हवाला दिया जा रहा है।
अन्ना ने हिसार उपचुनाव में कूदकर गलती कर दी है। उनके आंदोलन को अबतक किसी पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं माना जा रहा था। वे अपने मंच पर किसी पार्टी के नेता को नहीं आने देते थे। इससे लग रहा था कि उनका आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ है और उनका किसी पार्टी विशेष से न तो लगाव है और न ही विरोध। पर हिसार चुनाव में वे कांग्रेस के खिलाफ साफ साफ तौर पर आ गए हैं।
सवाल उठता है कि अन्ना सिर्फ कांग्रेस के खिलाफ ही क्यों बोल रहे हैं? कर्नाटक में भी तो कुछ समय पहले उपचुनाव हुए। वहां अन्ना ने हस्तक्षेप क्याें नहीं किया? अन्ना को अपने आंदोलन के दौरान जबर्दस्त जनसमर्थन मिला है। यह समर्थन भ्रष्टाचार के खिलाफ मिला है। यदि चुनाव सुधार अथवा किसी अन्य मुददे पर अन्ना आंदोलन करें, तो इतना बड़ा जनसमर्थन उन्हें शायद ही मिले। इसलिए उन्हें प्रत्येक कदम सोच समझकर उठाना चाहिए, नहीं तो खतरा यह है कि सारी की सारी कोशिशें बेकार साबित हो सकती हैं। (संवाद)
अन्ना का आंदोलन और हिसार उपचुनाव
टीम अन्ना की भावी रणनीति क्या होगी?
कल्याणी शंकर - 2011-10-14 13:36
क्या टीम अन्ना राजनैतिक रूप से बहुत महत्वाकांक्षी हो गई है? क्या हिसार लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को नकारने की टीम अन्ना की अपील को वहां की जनता सुनेगी अथवा वह यह जता देगी कि वह अपने अनुसार सोचती है? चुनाव नतीजे आने के बाद ही इन दोनों सवालों के जवाब मिलेंगे।