वैसी ही एक घटना 14 अक्टूबर को विधानसभा के पटल पर घटी। विपक्ष के दो विधायक टीवी राजेश और जेम्स मैथ्यूज एक मसले पर उत्तेजित होकर स्पीकर की कुर्सी की ओर झपट पड़े। स्पीकर को सुरक्षा प्रदान करने की नीयत से वहां उपस्थित प्रहरियों ने उनके आगे घेरा बना डाला। उस घेरे को तोड़ने की कोशिश में एक महिला प्रहरी की टोपी जमीन पर आ गिरी।
इस घटना को सत्ता पक्ष ने एक मुद्दा बना लिया और आरोप लगाया कि उन दोनों विपक्षी विधायकों ने उस महिला प्रहरी के साथ छेड़छाड़ कर डाली थी। दोनो विधायकों ने इसका खंडन किया। वीडीयोे क्लिप देखने से भी यही पता चला कि विपक्षी विधायकों ने महिला प्रहरी के साथ कोई दुव्र्यहार नहीं किया था, बल्कि टोपी वैसे ही झोंक में गिर गई थी।
इस मसले पर बैठक के बाद मामले को सुलझा लिया गया। अगले दिन स्पीकर ने सदन को बताया कि दोनों विपक्षी विधायकों ने सदन में अपने व्यवहार के लिए खेद जताया है। इस पर दोनों विधायकों ने विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने वैसा कुछ नहंी किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई खेद नहीं जताया, बल्कि मात्र इतना ही कहा कि उन्हें वैसा नहीं करना चाहिए था।
इस पर स्पीकर ने मुख्यमंत्री से जानना चाहा कि उनकी अब क्या राय है। मुख्यमंत्री ने अपनी राय व्यक्त करते हुए दोनों विधायकों के सदन से स्थगन का प्रस्ताव पेश कर दिया और जिसे सदन ने पारित भी कर दिया। मुख्यमंत्री द्वारा वैसा करना गलत है, क्योंकि किसी तरह का प्रस्ताव पेश करने के पहले स्पीकर की पूव्र अनुमति आवश्यक है। इस मामले में मुख्यमंत्री ने स्पीकर से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली थी। इसलिए उनके द्वारा प्रस्ताव पेश किया जाना गलत था।
स्पीकर को भी अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए उस प्रस्ताव को प्रस्ताव नही मानना चाहिए था, लेकिन उन्होंने वैसा कुछ नहीं किया और प्रस्ताव को पारित घोषित कर दिया। उसके बाद विपक्षी विधायकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। उस हंगामे के कारण सदन को दिन भी के लिए स्थगित कर दिया।
विपक्ष जब अपने दो विधायकों के खिलाफ सदन में सत्याग्रह कर रहा था, तो एक मंत्री केपी मोहनन ने आपत्तिजनक व्यवहार किया था। उन्होंने महिला सदस्यों के साथ भी गलत व्यवहार किया और विपक्ष के नेता को भी नहीं छोड़ा था। जब विपक्ष के नेता वीएस अच्युतानंन ने उस मंत्री को सदन से निलंबित करने के लिए स्पीकर से आग्रह किया, तो उस आग्रह को उन्होंने अस्वीकार कर दिया। विडीओ फुटेज में मोहनन का आपत्तिजनक व्यवहार साफ देखा जा सकता था। जाहिर है, वैसा कर स्पीकर सरकार को बचा रहे थे। इसका कारण यह है कि सदन में सरकार के पास नाम मात्र का बहुमत है। पहले से ही दो सत्तारूढ़ विधायक अस्पताल में हैं और वे सदन की कार्रवाई में भाग नहीं ले पाते। यदि स्पीकर सत्तारूढ़ पक्ष से किसी एक को भी निलंबित कर दें, तो फिर सरकार को सदन में अपना बहुमत बनाए रखना भी कठिन पड़ जाएगा। यही कारण है कि स्पीकर ने विपक्ष के नेता की बात नहीं मानी और गलत व्यवहार के दोषी मंत्री मोहनन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि दो विपक्षी विधायकों को बिना कोई खास वजह के ही निलंबित कर दिया गया था। (संवाद)
केरल की राजनीति पतन की ओर
मुख्यमंत्री ने स्पीकर के अधिकारों को भी धता बताया
पी श्रीकुमारन - 2011-10-22 19:14
तिरुअनंतपुरमः केरल की राजनीति में एक के बाद एक अभूतपूर्व घटनाएं घट रही हैं। इन घटनाओं से खासकर सत्तारूढ़ मोर्वे की छवि को झटका लग रहा है और खुद मुख्यमंत्री ओमन चांडी की प्रतिष्ठा भी धूमिल हो रही है। विप़क्षी मोर्चा के नेता भी कभी कभी ऐसी हरकतें करते हैं, जिनके कारण उन्हें बाद में खेद व्यक्त करना पड़ता है।