हालांकि मायावती ने अपने मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद कार्रवाई भी की है, लेकिन इसके बावजूद लोगों के बीच में यह संदेश तो जा ही रहा है कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार में भारी पैमाने पर लिप्त है।
दूसरी तरफ विपक्ष मुख्यमंत्री पर आरोप लगा रहा है कि वे कार्रवाई करने के मामले में पक्षपात कर रही हैं। वे सभी भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही हैं। वे सिर्फ उन्हीं लोगो ंके खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं, जो पार्टी में कहीं और से होकर आए हैं। जो शुरू से ही बसपा में हैं और भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैं, उनके खिलाफ मुख्यमंत्री कार्रवाई नहीं कर रही हैं।
मुख्यमंत्री के सामने एक समस्या यह आ रही है कि उन्होंने जिन क्षेत्रों मंे कार्रवाई के बाद अपनी पार्टी के उम्मीदवार बदल दिए हैं, उन क्षेत्रों में उनके पुराने लोग बागी हो गए हैं।
मायावती ने पार्टी के जिला समन्वयकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जबकि उनके खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। सच तो यह है कि ये जिला समन्वयक पार्टी के विधायकों से भी ज्यादा ताकतवर हुआ करते थे। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कह रखा था कि वे जिला समन्वयकों की बातों को तरजीह दें। उन्हें ही पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करने का जिम्मा दिया गया था।
इस बार लोगों में मंत्रियों, सांसदों, विधायकों व अन्य प्रतिनिधियों के खिलाफ असंतोष है। इसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ रहा है। मुख्यमं.त्री तक पार्टी के इन जनप्रतिनिधियों की पहुंच भी नहीं हो पाती है। इसके कारण भी पार्टी उम्मीदवारों को नुकसान हो रहा है।
चूंकि मुख्यमंत्री कुछ चुनिंदा मंत्रियों ओर अधिकारियों के अलावा किसी और से नहीं मिलतीं, इसलिए उन्हंे जमीनी हकीकत के बारे में सही जानकारी नहीं मिलती है।
काबिले गौर है कि कुड महीने पहले जब मुख्यमंत्री विकास कार्याें का जायजा लेने के लिए राज्य का दौरा कर रही थीं, तो अनेक लोग उनसे मिलना चाहते थे, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया गया।
अलीगढ़ में जब कुछ महिलाओं ने मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश की तो उन्हें मिलने से तो रोका ही गया, उन्हें उसके बाद जेल भी भेज दिया गया।
मायावती खुद भी आय से अधिक मामले को लेकर परेशान हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। मुख्यमंत्री ने बहुत कोशिश की कि वह मुकदमा बंद हो जाए। इसके लिए उन्होंने कई बार हलफनामा भी दिया, लेकिन सीबीआई उनके खिलाफ अभियोग प़त्र जारी करने के लिए कृतसंकल्प दिखाई पड़ रही है। यदि उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुआ, तो मुख्यमंत्री का संकट और भी बढ़ जाएगा।
केन्द्र के मंत्री मायावती के पास बार बार चिट्ठियां लिखकर बता रहे हैं कि केन्द्रीय योजनाओ में भ्रष्टाचार हो रहा है। 12 केन्द्रीय योजनाओं पर ठीक से अमल न होने की शिकायत भी की जा रही है।
ताजा मामला केन्द्रीय ग्रामीण मंत्री जयराम रमेश द्वारा मुख्यमंत्री मायावती को लिखी गई चिट्ठी का है। श्री रमेश ने आरोप लगाया है कि राज्य के 7 जिलों में महात्मा गांधी नेशनल रूरल इंप्लायमेंट गारंटी कार्यक्रम में भ्रष्टाचार हुए। उन्होंने उस भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने की मांग की।
इसी तरह की माग केन्द्रीय मंत्री एसपी जायसवाल ने भी की है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रमोद तिवारी ने 12 केन्द्रीय योजनाओं के अमल को लेकर राज्य सरकार से श्वेत पत्र. जारी करने की मांग की है। (संवाद)
भ्रष्टाचार के आरोपों से मायावती घिरी
भ्रष्ट मंत्रियों ओर विधायकों के खिलाफ कार्रवाई काम नहीं आ रही
प्रदीप कपूर - 2011-10-29 11:14
लखनऊः अब जब उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के कुछ महीने ही रह गए हैं, मुख्यमंत्री मायावती अपनी सरकार के अंदर से ही समस्या का सामना कर रही है। यह समस्या उनकी सरकार के भ्रष्टाचार से संबंधित है। उनकी पार्टी के मंत्रियों और विधायकों पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं और नौकरशाही भी भ्रष्टाचार में गहरे फंसी नजर आ रही है।