भारतीय जनता पार्टी भी इस संधर्ष में पीछे नहीं हैं। भारतीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रमुख के सी सुदर्शन ने पिछले दिनों लखनऊ में शिया नेता सादिक काल्बे से मुलाकात की। मुलाकात का मतलब भाजपा के लिए उनका समर्थन हासिल करना ही था।

काल्बे के साथ सुदर्शन की मुलाकात का खास मतलब निकाला जा रहा है। काल्बे सिर्फ शिया नेता ही नहीं हैं, बल्कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के उपाध्यक्ष भी हैं।

मुलाकात के बाद सुदर्शन और काल्बे ने लोगों से अपील की कि वे जाति और संप्रदाय के आधार पर मतदान न करें। वे वैसे उम्मीदवारों के पक्ष में वोट डालें, जो साफ सुथरी छवि के हों। उन्होंने चुनाव सुधारों की भी वकालत की।

समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद आजम ने सुदर्शन और काल्बे की मुलाकात के एजेंडे पर सवाल उठाए। उन्होंने उन दोनों से कहा कि वे लोगों को यह बताएं कि उनकी मुलाकात के दौरान क्या क्या बातें हुईं।

केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी एक धमाका किया और कहा कि केन्द्र सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में एक विधेयक संसद मे लाएगी, जिसके तहत पिछड़े वर्गों के मुसलमानों को अलग से 6 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। गौरतलब है कि पिडछ़े वर्गों के मुसलमान फिलहाल ओबीसी के लिए तय 27 फीसदी में आरक्षण पाते हैं।

सलमान खुर्शीद के उस बयान से आहत समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव और मोहम्मद आजम खान ने मुस्लिम मतों के लिए राजनीति करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की।

समाजवादी पार्टी के नेताओं ने मांग की कि यूपीए सरकार को रंगनाथ मिज्ञ आयोग और सच्चर कमिटी की अनुशंसाओं को तुरंत लागू करना चाहिए।

मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जब उनकी पार्टी की सरकार थी, तो पुलिस की नियुक्तियों में मुसलमान का कुल योगदान 16 फीसदी था। उसके पहले मुसलमानों का पुलिस नियुक्ति में उतना योगदान कभी नहीं हुआ था। उन्होंने मायावती सरकार पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल हुई पुलिस नियुक्ति में मुसलमानों का योगदान सिर्फ डेढ़ फीसदी ही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी की सरकारों के दौरान मुसलमानों की भारी उपेक्षा की कई।

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान बाबरी मस्जिद के विघ्वंस के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इस विघ्वंस से उसने न केवल अपने देश के मुसलमानों बल्कि दुनिया भी के मुसलमानों की भावनाओं को आहत किया।

दूसरी ओर मुस्लिम इतेहाद ए मिलाद के चेयरमैन सिराज मेंहदी ने कहा कि मुसलमान अब पुरानी घटनाओं को भुलाने की कोशिश कर रहे हैं। वे उन घटनाओं से सबक ले रहे हैं। उनकी राय में सिर्फ कांग्रेस ही मुसलमानों की सामाजिक और आर्थिक दशा को ठीक कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमान समय के साथ अब आगे बढ़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री मायावती ने भी केन्द्र सरकार को अनेक पत्र लिखे हैं और मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग की है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने मुसलमानों की उपेक्षा की है और उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित किया है। उन्होंने दावा किस उनकी सरकार मुसलमानों के लिए काम करती रही हैं और उनके हित में अनेक निर्णय लिए गए हैं।

सच तो यह है कि पीस पार्टी के उदय ने मुस्लिम मत पाने की आस लगाए पार्टियों की नींद हराम कर रखी है। पीस पार्टी को मुसलमानों का भारी समर्थन मिल रहा है। यह समर्थन खासकर उत्तर प्रदेश में देखा जा सकता है।

उपचुनावों के दौरान डाॅक्टर अयूब की पीस पार्टी के उम्मीदवारों ने डुमरियागंज, लखीमपुर खेरी व कुछ अन्य क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया। डाॅक्टर अयूब मुसलमानों के मत हिंदुओं की अगड़ी जातियों के उम्मीदवारों को दिलवाने मंे सफल रहे। अभी तक मायावती ही दलितों का मत अपनी पार्टी की अगड़ी जातियों के उम्मीदवारों को दिला पाती थीं।

राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस समय मुसलमानों और राजनैतिक पार्टियों के लिए यह अनुमान लगाना कठिन हो रहा है कि चुनाव में किसकी जीत होगी। (संवाद)