मीडिया पर पहला हमला केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने किया। उन्होंने मीडिया के खिलाफ न केवल अनाप शनाप बयानबाजी की, बल्कि उनके खिलाफ स्टिंग आपरेशन करने वाले एक हिंदी चैनल पर लंदन, दिल्ली व कुछ अन्य जगहों पर मानहानि का दावा भी ठोक दिया है। उस चैनल ने उनके और उनकी पत्नी के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था और बताया था कि एक पूर्व राष्ट्रपति के नाम पर बने ट्रस्ट के द्वारा वह केन्द्र सरकार से विकलांगों के कल्याण के लिए धन प्राप्त कर उसे विकलांगों के कल्याण में नहीं लगा रहे हैं। उन ट्रस्ट की प्राजेक्ट डायरेक्टर उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद हैं और वे खुद उस ट्रस्ट के चेयरमैन हैं। उस स्टिंग आपरेशन को लेकर ही सलमान मीडिया पर हमला कर रहे हैं।
दूसरा हमला कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल ने किया। उनके हमले का शिकार एक अन्य हिंदी समाचार चैनल हुआ। नवीन जिंदल ने उस चैनल के खिलाफ खुद भी स्टिंग आपरेशन करवाया और यह साबित करने की कोशिश की कि उनसे वह चैनल प्रति साल 100 करोड़ रुपये का विज्ञापन मांग रहा था। जिंदल का नाम कोयला घोटाले से जुड़ा है। वे एक उद्योगपति हैं और कांग्रेस के सांसद भी हैं। कायेला घोटाला मे सबसे ज्यादा लाभ उन्हीं के होने की बात की जा रही है। वह चैनल कोयला घोटाले पर अभियान चला रहा है। जिंदल का कहना है कि वह चैनल विज्ञापन के एवज में उनकी कंपनियों के खिलाफ खबरें नहीं दिखाने का भरोसा दे रहा था। दूसरी तरफ चैनल का कहना है कि जिंदल उसे घुस देने की कोशिश कर रहे थे। वे 20 करोड़ रुपये का विज्ञापन देने को तैयार बैठे थे, लेकिन हमने उसे लेने से मना कर दिया। चैनल के खिलाफ जिंदल ने मुकदमा दर्ज किया है और चैनल ने भी उनके खिलाफ मानहानि का दावा किया है।
मीडिया पर तीसरा हमला विजय माल्या ने किया है। वह किसी चैनल विशेष अथवा अखबार विशेष के खिलाफ आग नहीं उगल रहे हैं, बल्कि पूरी मीडिया की ही आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि किंगफिशर एअरलाइंस के मामले को मीडिया जरूरत से ज्यादा ही उछाल रहा है। वे यह नहीं बताते कि उनके एअरलाइंस से संबंधित मीडिया की कौन सी खबर गलत थी। वे कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दे पा रहे थे। इसकी खबर आर रही थी। इसमें क्या गलत था? उनेक एक स्टाफ की पत्नी ने आर्थिक तंगी से आत्महत्या कर ली। यह खबर भी दिखाई गई। इसमें क्या गलत था? कर्मचारी हड़ताल पर गए। इसकी भी खबर दिखाई गई। किंगफिशर एअरलाइंस के खिलाफ केन्द्र सरकार ने कार्रवाई की। उसकी खबर भी दिखई गई। उसमें क्या गलत थी- यह भी विजय माल्या नहीं बता पा रहे हैं। बस उनका कहना है कि मीडिया उनके साथ अच्छा नहीं कर रहा है।
पिछले दो साल से भ्रष्टाचार का मामला मीडिया मे छाया हुआ है। अधिकांश मामले मीडिया में इसलिए नहीं है कि उसने इन मामलों को उठाया है। सच तो यह है कि कैग, सीवीसी व अन्य सांवैघानिक संस्थाओं के कारण भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे रहे हैं और मीडिया सिर्फ उन्हें कवर कर रहा है। अदालतों में भ्रष्टाचार के मामले चलते हैं। मीडिया उनको भी कवर करता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोला चल रहे हैं। उसे भी मीडिया कवर करता है, लेकिन भ्रष्टाचार को कोई भी बड़ा मामला मीडिया अपननी तरफ से नहीं ला रहा है। सलमान खुर्शीद का मामला एक अपवाद है, लेकिन उनका भ्रष्टाचार रकम की दृष्टि से बहुत बड़ा नहीं है, हालांकि जिस पर वे बैठे हुए हुए हैं, वहां रहकर वह भ्रष्टाचार करना भी बहुत ही गंभीर मामला है।
भ्रष्टाचार पूरे देश में एक बहुत बड़ा मसला बन गया है। आने वाले दिनों में भी इसके नये नये मामले आते रहने की पूरी संभावना है। मामला आएगा, तो मीडिया उसे कवर करेगा ही। वैसे माहौल में भ्रष्टाचार के आरोपों से त्रस्त लोगों का मीडिया पर हमला भी तेज हो सकता है। जाहिर है मीडिया के लिए यह चुनौती भरा समय है। (संवाद)
मीडिया पर भ्रष्टाचार का हमला
चैथे खंभे की विश्वसनीयता मिटाने की कोशिश
नंतु बनर्जी - 2012-11-01 11:44
भारत में मीडिया पर आज जिस तरह के हमले हो रहे हैं, वैसे पहले कभी नहीं हुए थे। 1970 के दशक में आपातकाल के दौरान मीडिया पर सरकार की ओर से अनेक बंदिशें लगा दी गई थीं। अखबारों और पत्रिकाओं में सरकार और सत्तारूड़ कांग्रेस के खिलाफ किसी तरह की खबरें छापना माना था। वह अलग दौर था। उस समय सरकार ने घोषित रूप से वह प्रतिबंध लगा रखा था। पर आज हमला अलग किस्म का है। अब सत्ता में बैठे और अन्य ताकतवर लोग मीडिया पर हमला कर रहे हैं। मीडिया के खिलाफ वे स्टिंग आपरेशन भी कर रहे हैं।