फिलहाल पलटाना में 40 से 50 मेगावाट बिजली का उत्पादन रोज हो रहा है, जबकि 363 मेगावाट के दो और संयंत्र लगाने का काम जारी है।

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि पलटाना के संयंत्रों से पूर्वोत्तर राज्यों में बिजली की आपूर्ति बढ़ाने का काम किया जा सकता है। इस समय इस क्षेत्र की स्थिति बहुत ही बदतर। पलटाना से असम, मेघालय, मणिपुर व कुछ अन्य राज्यों को भी बिजली की आपूर्ति की जाएगी। रोजाना होने वाली बिजली कटौती के कारण पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक विकास का काम लगातार बाधित होता आ रहा है। गर्मी के दिनों में तो स्थिति और भी खराब हो जाती है।

इस परियोजना की सफलता सिर्फ पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों और उनके विकास के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसके कारण बांग्लादेश के साथ सहयोग में भी बहुत सहायता मिलेगी। यहां स्थापित होने वाले उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा हल्दिया बंदरगाह से बांग्लादेश होते हुए पहुंचा है। बांग्लादेश की नदियों का इसके लिए इस्तेमाल किया गया और इसे संभव बनाने के लिए दोनों देशों के बीच एक समझौता भी हुआ है। यह समझौता दोनों देशों के सहयोगी संबंधों के इतिहास में मील का एक पत्थर साबित होने वाला है। परियोजना में इस्तेमाल होने वाले अनेक उपकरण भेल व अन्य भारतीय कंपनियों स ेले जाए गए।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में बिजली के उत्पादन में वृद्धि होने वाली है और इसके साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों में इस तरह की परियोजनाओं की सफलता की संभावना बढ़ गयी है और इसके कारण आने वाले समय में 10 हजार करोड़ रुपये के निवेश की संभावना भी प्रबल हो गई है।

पूर्वोत्तर राज्यों की मीडिया में आई खबरों में इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजींग और फिनांशियल सर्विसेज के सुधीन्द्र दुबे के हवाले से बताया बया है कि 726 मेगावाट के दो संयंत्रों के सफल कमिशनिंग के बाद त्रिपुरा के गैस संसाधनों का बेहरत तरीके से इस्तेताल हो सकता है। इस प्रोजेक्ट में सुधीन्द्र दुबे की कंपनी भी एक पार्टनर है।

पूर्वोत्तर राज्यों के बिजली संकट का समाधान 2013 तक हो जाने की संभावना है, क्योंकि तबतक 363 मेगावाट वाले दोनों संयंत्रों से बिजली का उत्पादन होने लगेगा। बिजली को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का लाइन भी पूरा कर लिया गया है। बोंगाईगांव और सिलचर नेटवर्क को तैयार कर लिया गया है। जब बिजली की कमी होगी, तो नेशनल पावर ग्रिड प्राधिकरण को बिजली की आपूर्ति बरकरार रखने का जिम्मा दिया जाएगा।

बांग्लादेश ने भी पलटाना संयंत्रों से बिजली खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। वहां भी बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत और बांग्लादेश के अधिकारियों के बीच इसके लिए लगातार बातचीत जारी है। दोनों देश ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए गंभीरता से बातचीत कर रहे हैं। बांग्लादेश पश्चिम बंगाल से मांग बढ़ जाने की स्थिति में 500 मेगावाट बिजली लेने में सक्षम हो जाय, इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। दोनों देश म्यान्मार की पनबिजली परियोजनाओं में भी हिस्सा ले रहे हैं। (संवाद)