हालांकि तीन दिनों के बाद श्री एंटोनी ने जो सफाई पेश की, लेकिन उसके बाद भी उनके मूल बयान से जो भ्रम की स्थिति पैदा हुई है, वह समाप्त होती नहीं दिखाई दे रही है। उन्होंने अपना मूल बयान तिरुअनंतपुरम में उस समय दिया था, जब वे ब्रह्मोस एयरोस्पेस पर एक मिसाइल इंटिग्रेशन परिसर का उद्घाटन कर रहे थे।
एंटोनी को एक मृदुभाषी राजनेता माना जाता है। वे विवादास्पद बयान देने से हमेशा परहेज करते रहे हैं। उन्होंने अपने शुरुआती बयान की धार को कुंद करने के लिए जो सफाई पेश की है, वह बयान के बाद उपजे विवाद एवं भ्रम को समाप्त करने में सफल नहीं हुई है।
सवाल उठता है कि आखिर रक्षा मंत्री ने उस तरह का बयान दिया ही क्यों? तो इसका तात्कालिक कारण यह था कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस के कर्मचारी उस उद्धाटन समारोह का बहिष्कार कर रहे थे। बहिष्कार करने वालों मंे कांग्रेस से जुड़ी इंटक संगठन के मजदूर भी थे।
एंटोनी मुख्यमंत्री चांडी और राज्य सरकार के अन्य मंत्रियों से इसलिए नाखुश थे कि उन्होंने कार्यक्रम के बहिष्कार होने की स्थिति को पैदा होने से क्यों नहीं रोका। यह परियोजना केन्द्रीय रक्षा मंत्री के लिए प्रतिष्ठा का सवाल थी। बहुत प्रतिरोधों का सामना करने के बाद उन्हें इस परियोजना को केरल लाने में सफलता मिली थी। उनके मंत्रालय के अधिकारी तो इस परियोजना को हैदराबाद में शुरू करना चाहते थे। ऐसी प्रतिष्ठित परियोजना के उद्धाटन समारोह का प्रदेश की राजधानी में ही विरोध हो, इस रक्षा मंत्री पचा नहीं सके और उन्होंने राज्य सरकार के काम करने के तरीकों की आलोचना कर डाली।
उन्होनें गुस्से में कहा था कि यदि कोई नई परियोजना शुरू करने में हमारा साथ न दे और हमारे साथ आकर भी नहीं खड़ा हो, तो फिर हम इस तरह की परियोजनओं को शुरू करने की तकलीफ क्यों उठाएं? उन्होंने राज्य सरकार में बैठे लोगों से सीधा सवाल किया कि यदि आपके सहयोग की गारंटी नहीं हो, तो फिर हम केन्द्र सरकार से नई परियोजनाएं शुरू कराने की जहमत क्यों मोल लें?
साफ है कि रक्षा मंत्री केरल कांग्रेस (मणि) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग द्वारा राज्य सरकार के काम में बार बार टांग अड़ाने की घटना से भी अपने आपको आहत महसूस कर रहे थे। कांग्रेस की प्रदेश कमिटी के गठन में जिस तरह गुटबाजी हो रही है और गंदे खेल खेले जा रहे हैं, उससे भी रक्षा मंत्री दुखी थे। ब्रह्मोस के उस समारोह ने रक्षामंत्री को अपनी भड़ास निकालने का मौका दे दिया।
उस समारोह में मुख्यमंत्री के अलावा उद्योग मंत्री भी उपस्थित थे। उन दोनों के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि श्री एंटोनी ने उनकी सरकार को लताड़ा ही नहीं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन और उनकी सरकार के उद्योगमंत्री की प्रशंसा भी कर दी और कहा कि उनके समय में रक्षा मंत्रालय से संबंधित अनेक परियोजनाएं शुरू हुईं और उनमें किसी तरह की परेशानी अथवा विरोध का सामना नहीं करना पड़ा था। उन्होंने तब के मुख्यमंत्री अच्युतानंदन और उद्योग मंत्र?ी एलामारन करीम का नाम लेकर प्रशंसा की और बताया उन दानों का रवैया बहुत ही सहयोग देने वाला हुआ करता था।
एंटोनी के उस बयान के बाद कांग्रेस के अंदर बवाल मच गया है। मुख्यमंत्री के विरोधियों को मौका मिल गया है और वे इसका राजनैतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। (संवाद)
यूडीएफ सरकार पर भड़के एंटोनी
सत्तारूढ़ मोर्चा सदमे में
पी श्रीकुमारन - 2012-11-20 12:41
तिरुअनंतपुरमः क्या सच है अथवा क्या गलत- इससे ज्यादा यह रखता है कि लोग सच किसे मानते हैं। पिछले दिनों केन्द्रीय रक्षामंत्री ए के एंटोनी ने केरल की चांडी सरकार के खिलाफ जो भड़ास निकाली उसका अर्थ लोग यही लिकाल रहे हैं कि गृहमंत्री राज्य सरकार के काम करने के तरीके से बेहद नाराज हैं।