यह सच है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने केरल से आने वाले केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों के भारी दबाव के बाद दिल्ली मेट्रो के कोच्चि प्रोजेक्ट में शामिल होने पर सहमत हो गए हैं।
इसमें केन्द्रीय रक्षा मंत्री ए के एंटोनी ने बहुत भूमिका निभाई। उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ पर काफी दबाव डाला। इसका नतीजा हुआ कि पिछले सप्ताह दिल्ली में केरल के मुख्यमंत्री के साथ बातचीत में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अपना रुख लचीला बना लिया।
पर कमलनाथ ने जिस तरह से अपनी सहमति दी, वह कोई शुभ संकेत नहीं देता। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने कहा कि वे बहुत ही झिझक के साथ दिल्ली मेट्रो कार्पोरेशन लिमिटेड को कोच्चि मेट्रो परियोजना में सहयोग करने की इजाजत दे रहे हैं।
अभी भी अनेक सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं। सबसे पहला सवाल तो यही है कि दिल्ली मेट्रो की इसमें किस तरह की भूमिका होगी। संकेत मिल रहे हैं कि दिल्ली मेट्रो को कोच्चि प्रोजेक्ट का पूरा भार नहीं दिया जाएगा, बल्कि इसकी भूमिका सीमित रहेगी।
इसके कारण मेट्रो मैन ई श्रीधरन की भूमिका संदिग्ध हो गई है। उन्होंने साफ कह दिया है कि यदि दिल्ली मेट्रो कार्पोरेशन का पूरा सहयोग उन्हें नहीं मिला, तो वे इस परियोजना के साथ नहीं जुड़ेंगे। यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि जिस बैठक में केरल के मुख्यमंत्री की दिल्ली की मुख्य मंत्री और केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री की बातचीत हो रही थी, उस बैठक में श्री श्रीधरन शामिल नहीं थे।
गौरतलब है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने कोच्चि परियोजना में श्री श्रीधरन की भूमिका को लेकर कुछ भी नहीं कहा है।
संदेह को इसलिए भी पंख मिल रहे हैं, क्योंकि दिल्ली मेट्रो और श्री श्रीधरन की भूमिका को तय करने के लिए एक समिति बनी है। उस समिति के तीन सदस्य हैं। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव सुधीर कृष्ण उसके चेयरमैन हैं और दो दिल्ली व केरल के मुख्य सचिव उसके दो अन्य सदस्य हैं।
यह एक ज्ञात तथ्य है कि दिल्ली और केरल की आइएएस लाॅबी कोच्चि प्रोजेक्ट में श्रीधरन को किसी तरह की भूमिका देने के पक्ष में नहीं है। इसके कारण इसमें संदेह पैदा हो गया है कि श्रीधरन इस परियोजना में शामिल होंगे भी या नहीं, क्योंकि उनकी भूमिका के बारे में निर्णय लेने का अधिकार तीन आइएएस अधिकारियों को ही दे दिया गया है। यदि श्रीधरन को पूरा अधिकार नहीं दिया गया, तो वे शायद खुद को इससे अलग ही रखें।
इसमें कोई शक नहीं कि यदि श्रीधरन को हाशिए पर डाल दिया गया, तो कोच्चि परियोजना को इससे काफी नुकसान होगा। यदि उन्हें अलग थलग किया गया, तो इससे प्रदेश की जनता भी नाराज हो सकती है औ इसका खामियाजा राज्य सरकार को भी उठाना पड़ सकता है।
अगले 4 दिसंबर को कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड के बोर्ड की बैठक है। अब उस बैठक के नतीजों पर सबकी नजर टिकी हुई है। (संवाद)
कोच्चि मेट्रो सवालों के घेरे में
श्रीधरन की भूमिका पर अनिश्चितता
पी श्रीकुमारन - 2012-11-29 11:56
तिरुअनंतपुरमः कोच्चि मेट्रो प्रोजेक्ट से केरल सरकार और यहां के लोगांे को काफी उम्मीदें हैं। दिल्ली मेट्रो कार्पोरेशन लिमिटेड के सहयोग से इस परियोजना को पूरा होने की बात बहुत दिनों से चल रही है। अब मुख्यमंत्री ओमन चांडी कह रहे हैं कि दिल्ली मेट्रो के सहयोग पर चल रही अनिश्चितता अब समाप्त हो गई है। पर सच्चाई यह है कि अभी भी संदेह बना हुआ है।