अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मोदी ने काफी नाम कमाया है। एक समय था, जब अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से मना कर दिया था। आज ब्रिटेन उनके साथ व्यापार की बातें करना चाहता है। वे जापान जा चुके हैं और चीन तक अपनी पहुंच बना चुके हैं। अमेरिका की टाइम पत्रिका ने उन्हें अपने कवर स्टोरी का पात्र बनाया है। उन्हें अच्छी सरकार देने और विकास करने के लिए चारों तरफ से प्रशंसा मिल रही है।

अपनी इस छवि के साथ नरेन्द्र मोदी अब राष्ट्रीय राजनीति में आना चाहेंगे और देश का अगला प्रधानमंत्री भी बनना चाहेंगे। गुजरात में उन्होंने काफी कुछ कर लिया है। अब वे प्रदेश की राजनीति से ऊब भी रहे होंगे। यदि उन्होंने विधानसभा चुनाव में तीसरी बार जीत हासिल कर ली, तो फिर उनकी भारी जयजयकार होगी। यदि 2007 में मिली सीटों से उनकी पार्टी को एक सीट भी ज्यादा इस बार मिल जाती है, तो प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी पार्टी के उम्मीदवार के सशक्त दावेदार बन जाएंगे।

लेकिन चीजें उस तरफ नहीं जा रही हैं, जैसा नरेन्द्र मोदी चाहते रहे हैं। भाजपा के अंदर के लोग कहते हैं कि कुछ समय पहले वे नागपुर गए थे और वहां उन्होंने आरएसएस के नेताओं से मांग की थी कि उन्हें अभी से भाजपा का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया जाय। उनका तर्क था कि इसके कारण गुजरात में उनकी जीत और भी ज्यादा दमदार होगी। लेकिन कहा जाता है कि आरएसएस ने उनकी मांग मानने से इनकार कर दिया। यही कारण है कि वह नागपुर से निराश होकर वापस लौटे थे।

इसलिए इसके बाद उनके पास यही विकल्प बचा था कि वे अपनी छवि को खुद चमकाने की कोशिश करें। वे ऐसा सफलता पूर्वक कर भी रहे हैं। गुजरात के विधानसभा चुनाव में वे एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने की लड़ाई लड़ रहे हैं, पर प्रचार में उन्हें अगले प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया जा रहा है। केन्द्र के भाजपा नेता जब गुजरात जाते हैं तो वहां के पत्रकार इस नेताओं से पूछते हैं कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी पर उनके क्या विचार हैं। उन नेताओं को परिस्थितियों वश यह कहना पड़ता है कि श्री मोदी इस पद के लिए पूरी तरह योग्य हैं। इस तरह पूरे गुजरात और देश की राजनीत मे यह संदेश जा रहा है कि भाजपा के सभी नेता नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में अगले लोकसभा चुनाव के दौरान पेश करने के पक्ष में हैं।

जब सुषमा स्वराज गुजरात गई थीं, तो उनसे यह सवाल पूछा गया और उन्हें कहना पड़ा कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने की सारी काबिलियत रखते हैं। सुषमा स्वराज लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के सांसदों के नेता हैं और इस तरह से लोकसभा में विपक्ष की नेता भी हैं। उनके द्वारा श्री मोदी को इस पर के लिए काबिल मानने का मतलब है कि सत्ता में आने के बाद वह लोकसभा की नेता के लिए खुद दावेदार नहीं होंगी, बल्कि श्री मोदी इस पद पर होंगे। इसी तरह का जवाब अरुण जेटली को देना पड़ रहा है, जो राज्य सभा में भाजपा संसदीय दल के नेता हैं।

इन सबके बावजूद भाजपा के अंदर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश करने को लेकर प्रतिरोध है। यह प्रतिरोध वे डाल रहे हैं, जो खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। प्रतिरोध का एक कारण यह बताया जा रहा है कि नरेन्द्र मोदी के कारण पूरे देश में राजनीति का ध्रुवीकरण होने लगता है और इस तरह के ध्रुवीकरण से पार्टी को नुकसान हो सकता है, क्योंकि बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दों के बीच पार्टी की जीत की संभावना पहले से ही प्रबल हैं। भाजपा के नेता एनडीए के घटकों के विचारों को भी आधार बनाकर नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अपनी राय पेश कर रहे हैंए क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी अथवा लालकृष्ण आडवाणी की तरह नरेन्द्र मोदी एनडीए के अन्य घटकों में फिलहाल बहुत लोकप्रिय नहीं हैं। (संवाद)