उन्होंने नये राज्य के गठन के लिए उन क्षेत्रों के पिछड़ापन को मुख्य मुद्दा बनाया। उनकी दलील है कि छोटे राज्यों के गठन से उन पिछड़े इलाकों का विकास हो जाएगा। पूर्वांचल के गठन की मांग करते हुए उन्होने पत्र में बताया कि पूर्वांचल उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा हुआ हिस्सा है।

राजनैतिक पंडितों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग के पीछे मायावती की असली मंशा कांग्रेस को राजनैतिक पटखनी देनी है। उन्हें यह भी लगता है कि विभाजन की मांग करने पर उन्हें उन ताकतों का समर्थन हासिल हो जाएगा, जो राज्य के विभाजन की मांग कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने यह वादा भी किया है कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार वे राज्य के विभाजन और नये राज्यों के निर्माण के लिए आवश्यक प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा से पारित करवा देंगी।

कांग्रेस के महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश के विभाजन से जुड़े सवालों के जवाग के लिए द्वितीय राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया जाना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा का कहना है कि उनकी पार्टी छोटे राज्यों के गठन के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसके लिए आमसहमति बनाये जाने की जरूरत है। उन्होंने भी कहा कि उत्तर प्रदेश के विभाजन और नये राज्यों के गठन के मसले को पुनर्गठन आयोग को सौंप दिया जाना चाहिए।

उन्होने पुनर्गठन आयोग को जरूरी बताते हुए कहा कि पूर्वांचल के गठन का मामला उत्तर प्रदेश के साथ साथ बिहार से भी ताल्लुकात रखता है और बुन्देलखंड के गठन का मसला मध्यप्रदेश से भी संबंध रखता है। और इन मसलों का निबटारा उत्तर प्रदेश सरकार नहीं कर सकती, बल्कि पुनर्गठन आयोग ही कर सकता है।

भाजपा के नेता हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि उनकी पार्टी भी छोटे राजयों के गठन का समर्थन करती है और इसके लिए द्वितीय राज्य पुनर्गठन आयोग का गइन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मायावती की सरकार ने जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं किया है और यही कारण है कि वह केन्द्र से पैसे की मांग कर रही है।

राष्ट्रीय लोकदल ने हरित प्रदेश के गठन की अपनी पुरानी मांग को फिर से उठाना शुरु कर दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग कर हरित प्रदेश के लिए आंदोलन तेज कर देने की उन्होंने घोषणा भी कर दी है।

राज्य के विभाजन पर सबसे ज्यादा तीखी प्रतिक्रिया समाजवादी पार्टी की तरफ से आई है। विधानसभा में समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश का बंटवारा नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि बंटवारे से उत्तर प्रदेश को देश का सबसे बड़ा हाने का जो राजनैतिक लाभ मिलता है वह समाप्त हो जाएगा। उन्होने कहा कि नया राज्य बनने से कितना नुकसान होता है वह हम उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के निर्माण के बाद देख चुके हैं। उनके निर्माण से वहां के लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ। इसके ठीक उलट राज्य की राजधानियों के निर्माण में भारी खर्च हुए। उन्होंने कहा कि जो उत्तर प्रदेश के और विभाजन की मांग कर रहे हैं उन्हें यह पता होना चाहिए कि अभी तक विभाजन के बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच संसाधनों के बंटवारे का काम पूरा नहीं हो सका है। (संवाद)