गौरतलब हो कि इसरो जासूसी का मामला कांग्रेस की वर्तमान राजनीति का एक संवेदनीशील मामला बना हुआ है। इसरो जासूसी का मामला 1990 के दशक से ताल्लुकात रखता है। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री के करुणाकरण थे। इस कुख्यात मामले को लेकर ही उन्हें तब अपने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद उनकी राजनीति को आघात लगा था। अब यह तथ्य सामने आया है कि जांच कर रहे कुछ पुलिस अधिकारियो ने भ्रष्ट तरीके से पी करुणाकरण के लिए ऐसी स्थिति पैदा की थी, जिसके कारण उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था।

अब यह तथ्य सामने आ जाने के बाद स्वर्गीय करुणाकरण के बेटे मुरलीधरन उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री चांडी ने उनकी मांग को मानने से इनकार कर दिया है। इसके बाद उन पर यह आरोप लगने का रास्ता प्रशस्त हो गया है कि वे सच्चाई से डर रहे हैं और पुलिस अधिकारियों के दोष की जांच करवाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने से डर रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस में पहले से ही गुटबाजी होती रही है। इसके बाद यह और भी तीखी होने लगेगी। लेकिन मुख्यमंत्री को लगता है कि इस मसले को नजरअंदाज करने के बाद यह अपने आप शांत हो जाएगा और समय बीतने के साथ इसे भुला दिया जाएगा। पर उनका यह सोचना गलत है। उनके ऐसा करने से करुणाकरण के समर्थक रहे नेताओं संकल्प और भी मजबूत होगा, जो समझते हैं कि केरल के पूर्व मुख्यमंत्री को जानबूझकर फंसाया गया था।

मुरलीधरन मुख्यमंत्री के फैसले से बेहद नाखुश हैं और संकेत दिया है कि उन पुलिस अधिकारियों को सजा दिलाने के लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। मुख्यमंत्री द्वारा मना कर देने के बाद फिलहाल मुरलीधरन के सामने अदालती रास्ता अपनाने का एक विकल्प खुला हुआ है।

मुख्यमंत्री ओमन चांडी की समस्या सिर्फ मुरलीधरन की ओर से नहीं खड़ी हो रही है, बल्कि प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रमेश चेनिंथाला गुट से जुड़े कांग्रेस नेता भी इस मसले पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री एमएम जैकब ने भी चांडी के निर्णय की निंदा की है। केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री एम रामचंद्रन ने भी इसकी आलोचना की है। कांग्रेस के एक अन्य महत्वपूर्ण नेता और चांडी सरकार में कभी मंत्री रहे के के रामचंद्रन मास्टर ने भी मुख्यमंत्री के फैसले की कड़ी आलोचना की है।

मुरलीधरन की मांग है कि उनके पिता कांग्रेस के केरल प्रदेश के एक गुट की साजिश के शिकार बन गए थे। इसके कारण उनकी प्रतिष्ठा को ठेंस पहुंची थी। अब उनके पिता नहीं रहे, लेकिन उनके साथ न्याय होना चाहिए और जिन लोगों ने उनके खिलाफ साजिश की उन्हें बेनकाब करके दंडित किया जाना चाहिए। उनकी इस मांग का उनकी बहन पद्मजा वेणुगोपाल और करुणाकरण के समर्थक रहे अन्य नेता भी समर्थन कर रहे हैं। यदि उनके द्वारा अदालती रास्ता अपनाया गया, तो मुख्यमंत्री चांडी के लिए भारी परेशानी खड़ी हो सकती है।

संकेत मिल रहे हैं कि इसरो जासूसी मसले पर एक लंबी अदालती लड़ाई लड़ी जाएगी और इसके कारण गुटबाजी से ग्रस्त कांग्रेस पर इसका बहुत ही खराब असर पड़ेगा। कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व इस मसले पर कौन सा रुख अपनाता है यह देखा जाना बाकी है। इसके कारण मुख्यमंत्री चांडी की कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है, क्योंकि कांग्रेस के गुट एक के बाद एक उनके खिलाफ होते जा रहे हैं। वे उनके काम करने के तरीके से भी नाखुश हैं। (संवाद)