इस घटना के बाद केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों की बैठक बुलाई थी। उसमें इस मसले पर सबने विचार विमर्श किया। अधिकांश अधिकारियों ने फांसी की सजा का पक्ष नहीं लिया। तमिलनाडु के अधिकारियों ने इस सजा के पक्ष में विचार रखे, क्योंकि वहां की मुख्यमंत्री जयललिता पहले ही बलात्कारियों के लिए फांसी की सजा की मांग कर चुकी है। इसके साथ पश्चिम बंगाल के अधिकारियों ने भी फांसी का पक्ष लिया, क्योंकि वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी फांसी की सजा की वकालत की है।

अंत में कांग्रेस ने भी यही फैसला किया कि बलात्कारियों को फांसी नहीं, बल्कि ताउम्र कारावास की सजा होनी चाहिए और बीच मंे उन्हें पेरोल पर भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए। न्यायमूर्ति जेएस वर्मा को इसी तरह का प्रस्ताव कांग्रेस ने अपनी ओर से दिया है। रासायनिक रूप से नपुंसक बनाने का भी कांग्रेस ने विरोध किया है। चर्चा थी कि कुछ कांग्रेसी इस तरह की सजा दिए जाने के पक्ष में थे।

फांसी की सजा को इसे लिए हतोत्साह किया जा रहा है, क्योंकि दुनिया के 188 देशों का 84 फीसदी इस सजा के खिलाफ है और उन देशों में इस सजा को प्रतिबंधित कर दिया गया है। भारत उन देशों में शामिल नहीं है और हमारे यहां अभी भी सजा का प्रावधान है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कह रखा है कि फांसी की सजा दुर्लभ में भी दुर्लभतम मामलों मंे दिया जाना चाहिए।

दूसरा कारण यह है कि यदि फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया, तो बलात्कारी फांसी के डर से पीडि़ता को बलात्कार के बाद जान से ही मार सकते हैं, ताकि उनके खिलाफ कोई मुकदमा न हो और सबूत न बचे। इसके कारण पीडि़ता को जान की जोखिम और भी बढ़ जाएगी।

रासायनिक रूप से नपुंसक बना देने में समस्या यह है कि दवा का इंजेक्शन दोषी को समय समय पर लगातार देना पड़ेगा और इस बीच वे कानून से भाग भी सकते हैं और उन्हें हमेशा पकड़ पाना कठिन होगा। इसके अलावा रासायनिक रूप से नपुंसक लोग बदले की आग में महिलाओं के खिलाफ हिंसक हो सकते हैं और अन्य तरीके से उनके लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।

यदि सांख्यिकी और अंतरराष्ट्रीय उसूलों को ध्यान में रखकर कोई कानून बनाया जाय, तो किसी सहमति पर पहुंचना आसान है, पर भाजपा जैसी पार्टियां और जयललिता जैसी नेता मामले को भावनात्मक बना देती हैं और फिर इस पर बौद्धिक बहस की गुंजायश कम हो जाती है। भाजपा ने तो फांसी की सजा का हमेशा समर्थन किया है और वह कहती रहती है कि बलात्कारियों और मुस्लिम आतंकियांे को फांसी पर चढ़ा दिया जाय।

भारतीय जनता पार्टी इस मसले पर संसद का विशेष सत्र चलाने की मांग इसीलिए कर रही थी, ताकि इस संवदेनशील और भावनात्मक मसले का वह ज्यादा से ज्यादा राजनैतिक लाभ उठा सके। वह कांग्रेस, वामदल व अन्य पार्टियों को घकियाना चाहती थी, क्योंकि ये पार्टियां बलात्कारियों के लिए फांसी की सजा का विचार नहीं रखतीं।

जयललिता लगातार भाजपा की ओर झुकती जा रही हैं। नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में उन्होंने हिस्सा भी लिया था और उम्मीद है कि वह जल्द राजग का हिस्सा बन जाएगी। यही कारण है कि फांसी के मसले पर वह भाजपा की ही भाषा बोल रही हैं।

कांग्रेस की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए कि उसने इस भावुक मसले पर अपने आपको संभाले रखा। मृत्यु तक बलात्कारी को जेल में रखने का इसका प्रस्ताव सही लगता है। अन्ना हजारे बलात्कारियों को सार्वजनिक तौर से फांसी पर लटकाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सभ्य समाज में पिछले 7 दशकों से ऐसा नहीं हुआ है। 1936 में अमेरिका में अंतिम बार किसी व्यक्ति को सार्वजनिक तौर पर मौत की सजा दी गई थी। (संवाद)