कांग्रेस ने पिछले मई महीने में हुई विधानसभा के चुनाव में बहुमत हासिल कर शानदार सफलता यहां हासिल की थी। लोकसभा में भी इसे यहां अच्छी सफलता मिला थी। आज यदि लोकसभा में कांग्रेस आरामदायक स्थिति में है, तो इसका श्रेय आंध्र प्रदेश को जाता है, जहां कांग्रेस ने चुनाव पूर्व अनुमानों को गलत साबित करते हुए यहां शानदार जीत हासिल की थी।
सोनिया गांधी के एक गलत फैसले ने कांग्रेस की स्थिति यहां खराब कर दी है। यह सच है कि केसीआर के अनशन के कारण प्रदेश की हालत खराब हो रही थी। हिंसा का माहौल गरमा रहा था। राव की हालत बिगड़ने के साथ साथ राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ती जा रही थी। यदि भूख हड़ताल से राव की मौत हो जाती तो माहौल और भी विस्फोटक हो जाता। इसलिए उनका अनशन तुड़वाना जरूरी हो गया था। लेकिन उनका अनशन तुड़वाने के लिए नये राज्य के गठन को एकाएक मंजूरी मिल जाना एक हैरतअंगेज घटना थी। अनशन पर बैठे चन्द्रशेखर राव को भी केन्द्र सरकार से एकाएक इस तरह की घोषणा की उम्मीद नहीं थी।
अनशन तुड़वाने के और भी तरीके थे। सोनिया गांधी तेलंगना के गठन के लिए राव को दिल्ली बातचीत के लिउ आमंत्रित करतीं, तो वे अनशन बंद कर दिल्ला के लिए रवाना हो जाते। सच तो यह है कि अनशन के शुरुआती दिनों में ही राव संकेत दे रहे थे कि यदि सोनिया उन्हें दिल्ला बुलाएं, तो वे वहां जाना पसंद करेंगे। श्री राव पर अनशन जारी रखने के लिए छात्रों का भारी दबाव था। सोनिया के दिल्ली बातचीत का निमंत्रण उन्हें छात्रों के दबाव से मुक्त करता और वे अनशन त्यागा सकते थे। उनके अनशन तुड़वाने का एक अन्य तरीका द्वितीय राज्य पुनर्गठन आयोग के गठन की घोषणा भी हो सकती थी।
लेकिन उन तरीकों का आजमाने के बदले सीधे सीधे तेलंगना के गठन की घोषणा ही कर दी गई। इसमें सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की राय तक नहीं ली गई। उन्हे इस फैसले के बारे में घोषणा के पहले बताया तक नहीे गया। कांग्रेस आलाकमान ने यह मान लिया कि प्रदेश विधानसभा में उनकी पार्टी का बड़ा बहुमत है। राव की पार्टी की मदद से आसानी से विधानसभा में अलग राज्य का प्रस्ताव पारित हो जाएगा। सोनिया गांधी ने यह सोचा तक नहीे होगा कि उनकी पार्टी के विधायक उनके फैसले के खिलाफ बगावत कर देंगे।
अबतक विघानसभा के 130 विधायक अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को लिखकर भेज चुके हैं। उनमें अधिकांश कांग्रेस के ही हैं। 20 मंत्रियों ने तो इस्तीफे की पेशकश तक कर दी, हालांकि मुख्यमंत्री ने उन्हें फिलहाल मना लिया है। विजयबाड़ा के कांग्रेसी सांसद राजगोपाल राव ने पहले मांग की कि अलग राज्य का प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया जाए। उन्होंने यह मांग इसलिए की ताकि उस प्रस्ताव को विधानसभा में पराजय का सामना करना पड़े और केन्द्र सरकार के अलग तेलंगना राज्य बनाने का निर्णय विधानसभा में पराजित हो जाय।
लेकिन मुख्यमंत्री ने सूझबूझ का निर्णय लेते हुए वह प्रस्ताव विधानसभा के सामने रखा ही नहीं। अलग राज्य के मसले पर विधानसभा में इतना हल्ला हंगाता हुआ कि उसकी कार्यवाही को ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर देना पड़ा। संसद में भी कांग्रेस की भारी किरकिरी हो रही है। रायलसीमा और तटीय आंध्र के कांग्रेसी सांसद भी तेलंगना राज्य के गठन के खिलाफ हैं और इस मसले पर वे कांग्रेस आलाकमान का अनुशासन मानने को तैयार नहीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वाइएसआर के बेटे जगनमोहन रेड्डी तो लोकसभा में तेलुगू देशम के सांसदो के साथ खड़े दिखाई दिए। विरोधी पार्टी के साथ खड़ा होने को उन्होंने सही ठहराया और कहा कि यदि वे चुप बैठे रहते, तो अलग राज्य के विरोध का सारा श्रेय तेलुगू देशम पार्टी ले जाती।
इस सारे घटनाक्रम से यदि कोई सबसे ज्यादा खुश है तो वे अनशन पर बैठे के चन्द्रशेखर राव हैं। 10 दिनों के अनशन के बाद उन्होने विजयी भाव में अपनी भूख हड़ताल तोड़ी। आजादी के बाद किसी भी अनशकारी को इती बड़ी पहले नहीं मिली थी। राव का राजनैतिक ग्राफ गिर रहा था। पिछले चुनाव में उनकी पार्टी बुरी तरह पिट गई थी। चुनाव में पिटी एक पार्टी के नेता ने अनशन के द्वारा एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली। अलग राज्य के विरोध के बीच में श्री राव कह रहे हैं कि वे राज्य के गठन के समय के मामले में केन्द्र सरकार पर कोई दबाव नहीं बनाएंगे और उन्होने केन्द्र की मनमोहन सरकार को अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी राज्य बनाने की छूट दे रखी है।
कांग्रेस के केन्द्रीय नेताओ ने अलग तेलंगना की मांग को स्वीकार करने के पहले यूपीए के अपने सहयोगी दलांे से भी राय मशविरा नहीं किया। इसके कारण उसके दो सहयोगी दल उससे खासे नाराज हैं। शरद पवार और ममता बनर्जी ने अपनी नाराजगी जाहिर भी कर दी है। जाहिर है कांग्रेस भारी मुसीबत में फंसी हुई है। तेलंगना के गठन का हड़बड़ी में किया गया यह फेसला सोनिया गांधी का अबतक का सबसे गलत फेसला है। (संवाद)
भारत
आंध्र प्रदेश का संकट
मुश्किल में है कांग्रेस
एस सेतुरमण - 2009-12-17 12:11
सोनिया गांधी और उनके खास लोगों ने मिलकर 9 दिसंबर की रात को तेलंगना के गठन का जो निर्णय लिया, उसके कारण कांग्रेस आंध्र प्रदेश में गंभीर संकट में फंस गई है। आंध्र प्रदेश का कांग्रेस के लिए खास महत्व है। देश का यही एकमात्र बड़ राज्य है, जहां कांग्रेस अपने बूते सत्ता में है।