इस बार प्रस्तावित ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जुड़ी परियोजना का मामला है। इस परियोजना में राज्य सरकार ने 10 फीसदी की हिस्सेदारी लेने का निर्णय किया है। गौरतलब हो कि यह निजी क्षेत्र की एक परियोजना है, जिसका स्वामित्व चेन्नई स्थित एक निजी कंपनी के पास है।

विपक्षी एलडीएफ ने सरकार के इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है। उसका यह विरोध समझा जा सकता है, पर इस निर्णय का विरोध कांग्रेस के अंदर भी हो रहा है। वी एम सुघीरन जैसे कांग्रेसी नेता इस निर्णय से नाखुश हैं। श्री सुधीरन ने राज्य सरकार द्वारा इस परियोजना में 10 फीसदी की भागीदारी का विरोध किया है और मांग की है कि सरकार इस निर्णय को वापस ले। दूसरी तरफ कवियित्री सुधीन्द्रकुमारी ने तो इस परियोजना को ही समाप्त करने की मांग की है।

इसमें सबसे अचरज की बात तो यह है कि जब कांग्रेस विपक्ष में थी, तो इस परियोजना का वह विरोध कर रही थी। विरोध करने वालों में वर्तमान मुख्यमंत्री ओमन चांडी भी शामिल थे। उन्होंने तक के एलडीएफ प्रशासन द्वारा इस परियोजना को स्वीकृति दिए जाने का विरोध किया था। लेकिन सरकार में आने के बाद ओमन चांडी को अब यह परियोजना अच्छी लगने लगी है। मुख्यमंत्री इसकी वकालत करते हुए वहीं तर्क दे रहे हैं, जो पूर्ववर्ती एलडीएफ सरकार दिया करती थी और जिन्हें श्री चांडी गलत मानते थे।

विधानसभा की पर्यावरण समिति ने इस परियोजना पर अपनी रिपोर्ट में इसके खिलाफ अपना मत व्यक्त कर रखा है। उसका मानना है कि इस परियोजना के तहत नियमों का उल्लंघन हो रहा है। धान के खेतों को फिर से खेती योग्य बनाने के मामले में नियमों का उल्लंघन किया गया है। इस समिति के मत को दरकिनार करते हुए राज्य की सरकार इस परियोजना के पक्ष में न केवल खड़ी हो गई है, बल्कि वह इसमें 10 फीसदी की भागीदार भी बन रही है।

यूडीएफ सरकार ने इस परियोजना द्वारा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का भी सही तरीके से अध्ययन नहीं कराया है। श्री सुधीरन का आरोप है कि इस परियोना को स्वीकृति देते समय भूमि सुधार कानून व केरल धान भूमि संरक्षण एवं नम भूमि कानून की भी अनदेखी की गई है।

इसके साथ ही हवाई अड्डे की कंपनी के बोर्ड में सरकार द्वारा एक निदेशक नामांकित करने पर भी सवाल खड़ा किया जा रहा है। सरकारी निदेशक को नियुक्त कर यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि यह सार्वजनिक हित से जुड़ी हुई परियोजना है। सरकार ने ऐसा करके एक गलत उदाहरण पेश किया है।

इस परियोजना के लिए जमीन के स्वामित्व की रजिस्ट्री को जिला अधिकारी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि इसमें जमीन उपयोगिता आदेश का उल्लंघन हुआ है। सरकार खुद भी दिन रात दावा करती रहती है कि वह धान के खेत और नम भूमि का संरक्षण करने के लिए प्रतिबद्ध है। पर इसके बावजूद वह इस परियोजना को संरक्षण दे रही है, जो धान के खेतों की कीमत पर खड़ी होती दिखाई दे रही है।

इस परियोजना के सख्त विरोध को देखते हुए राज्य सरकार को इसे तुरंत ही निरस्त कर देना चाहिए। इसके साथ ही उसे धान की पैदावार शुरू करने व क्षेत्र के जल संसाधनों की रक्षा के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए। अरमनूला में हवाई अड्डा बनाने का विरोध पी सी जाॅर्ज भी कर रहे हैं। वे केरल कांग्रेस(एम) के नेता हैं और विधानसभा में सरकारी पक्ष के मुख्य सचेतक भी हैं। गौरतलब है कि उनकी पार्टी यूडीएफ में भागीदार है।

उन्होंने मांग की है कि इस परियोजना से क्षेत्र के पर्यावरण को खतरा है। इसलिए उन्हें इसे तुरंत समाप्त घोषित कर देना चाहिए। (संवाद)