संसद में जब कभी महिला आरक्षण विधेयक की बात उठी है, सपा, राजद जैसे राजनीतिक दलों द्वारा इसके विरोध में स्वर उठे हैं। इसका नतीजा यह रहा कि यह विधेयक आज तक लटका हुआ है। जबकि पंचायतों में इसका प्रयोग सफल रहा है। महिलाओं ने अपनी कुशल कार्य क्षमता द्वारा इसकी उपयोगिता भी सिद्ध कर दी है।
लोकसभा तथा राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने की बात इस विधेयक में की गयी है। इसके विरोध में उठे मुखर स्वरों केा देखते हुए इस पर विचार विमर्श के लिए राज्य सभा की सांसद जयंती नटराजन की अध्यक्षता में एक स्थायी संसदीय समिति गठित की गयी थी। समिति ने विधेयक के संबंध में 80 विभिन्न राजनीतिक दलों , गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तिओं के साथ चर्चा की। अतंतः संसद की स्थायी समिति ने संसद अ©र विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने संबंधी विधेयक को उसके मूल रूप में ही पेश करने की आज सिफारिश की कर दी। समिति ने उम्मीद जताई है कि इसे संसद के बजट सत्र में पारित कर दिया जाएगा। इसके प्रतिवेदन को राज्यसभा में पेश कर दिया गया।
समिति में विधेयक पर किसी तरह का विरोध सामने आने के बारे में पूछे जाने पर समिति के अध्यक्ष जयंती नटराजन ने कहा कि 31 सदस्यों वाली स्थायी समिति में दो सदस्यों की अ¨र से विरोध के स्वर उठे। दोनों समाजवादी पार्टी के सदस्यों का विचार आरक्षण प्रतिशत को 20 प्रतिशत करने का था। समिति ने महिला आरक्षण लागू होने की तिथि से 15 वर्षों की अवधि की समाप्ति के बाद इसके प्रभावी नहीं रहने की भी सिफारिश की है।
विधेयक में लोकसभा तथा प्रत्येक राज्य की विधानसभा में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित सीटों सहित महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण का भी प्रस्ताव है। इस पर नटराजन ने कहा कि समिति महसूस करती है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षण की जरूरत इसलिए है ताकि वह अगड़े वर्गों की महिलाओं के साथ उचित प्रतिस्पर्धा करने में समर्थ बन सकें। उन्होंने कहा कि समिति का दृढ़ मत है कि विधेयक में दिया गया आरक्षण उनके राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है। महिला आरक्षण को चक्रानुक्रम रखने की सिफारिश के बारे में उन्होंने कहा कि समिति की राय है कि इसका चक्रानुक्रम होना लोकतंत्र के हित में होगा। महिला आरक्षण विधेयक पर सपा के अलावा किसी और राजनीतिक दल की ओर से विरोध के बारे में पूछे जाने पर नटराजन ने कहा कि राजद, पीएमके और एक-दो छोटे राजनीतिक दलों की ओर से सुझाव सामने आए लेकिन विरोध पत्र नहीं आया। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का पूरा विश्वास है कि संसद के बजट सत्र में इस विधेयक को पारित कर दिया जायेगा।#