इस मसले की सुनवाई के बाद केरल हाईकोर्ट ने इस कांड के मुख्य अभियुक्त के अलावा अन्य 35 अभियुक्तों को आरोपों से मुक्त घोषित कर दिया था। पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया। उसने उस मामले को फिर हाईकोर्ट के पास भेज दिया है और इसकी फिर से सुनवाई का आदेश दिया है। उसने फिर से सुनवाई कर छह महीने के अंदर ही फैसला करने का हुक्म भी दे डाला है।

कांग्रेस के लिए चिंता की बात यह है कि इस बलात्कार कांड में जिन 42 व्यक्तियों को शरू में अभियुक्त बनाया गया था, उनमें कांग्रेस के सांसद पी जे कुरियन भी एक थे। श्री कुरियन इस समय राज्यसभा के उपसभापति हैं। बलात्कार पीडि़ता ने मांग की है कि उस मामले की फिर से दुबारा जांच की जाय और खासकर पी जे कुरियन को फिर से जांच के दायरे में लाया जाय। पीडि़ता अपने आरोप को दुहरा रही है कि बलात्कार करने वाले लोगों में कुरियन भी शामिल थे।

1996 में इस बलात्कार कांड का भंडाफोड़ हुआ था। उस समय से ही पी जे कुरियन का नाम इस कांड के लिए लिया जा रहा है। पीडि़ता का कहना है कि कुल 42 लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया था और श्री कुरियन उनमें से एक थे। पीडि़ता ने अपने वकील को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की संभावना का पता लगाने के लिए कहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बलात्कार मामले में श्री कुरियन के खिलाफ मुकदमे को खारिज करने के आदेश दे रखे हैं।

श्री कुरियन अपने ऊपर लगाए जा रहे आरोपों से इनकार कर रहे हैं। वे उनके खिलाफ मामले की फिर से जांच किए जाने की मांग का भी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से उन्हें पहले से ही क्लीन चिट मिली हुइ है। वैसी हालत में उनके खिलाफ फिर से जांच करवाने का कोई मतलब नहीं बनता। वे कह रहे हैं कि उनके खिलाफ एक साजिश की जा रही है, ताकि उनको राजनैतिक रूप से खत्म किया जा सके। वे इस साजिश के लिए अपनी पार्टी के अपने विरोधियों को भी जिम्मेदार बता रहे हैं।

लेकिन बलात्कार पीडि़ता और उसके मां-बाप कुरियन की भूमिका की फिर से जांच करने की मांग पर लगातार जोर दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के नये आदेश के बाद फिर से जांच होने की उनकी उम्मीदें भी बढ़ गई है। विपक्षी एलडीएफ पीडि़ता की मांग का पुरजोर समर्थन कर रहा है।

फिर से जांच की मांग सत्तारूढ़ यूडीएफ और विपक्षी एलडीएफ के बीच जंग का एक बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार कह रही है कि कानूनी रूप से कुरियन के खिलाफ फिर से जांच संभव ही नहीं है। दूसरी ओर एलडीएफ कह रहा है कि जबतक पीडि़ता की मांग को मानते हुए दुबारा जांच के आदेश नहीं दिए जाते, तब तक वह विधानसभा की कार्रवाई को ही चलने नहीं देगा। इस मसले पर विधानसभा में पहले दिन खास हंगामा होता रहा। स्पीकर ने फिर बुधवार तक विधानसभा की कार्रवाई को स्थगित कर दिया।

दूसरी ओर बलात्कार पीडि़ता को सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली स्थित कुछ वकीलों ने बताया है कि कुरियन के खिलाफ दुबारा जांच शुरू किए जाने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है। वे पीडि़ता को सलाह दे रहे हैं कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की अभी कोई जरूरत नहीं है। केरल हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान ही कुरियन के खिलाफ जांच के मामले को उठाया जा सकता है।

इस विवाद का अंत चाहे जो भी हो, एक बात साफ है। इस मसले के कारण कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। दिल्ली की चलती बस में हुए बलात्कार के मामले के बाद देश भर में लोगों का मूड बलात्कार और उसके दोषियों के खिलाफ हो गया है। केरल भी इसका अपवाद नहीं है। ऐसे समय में सूर्यनेल्ली बलात्कार के मामले में कुरियन के खिलाफ फिर से जांच न करने के राज्य सरकार का निर्णय निश्चय ही देश के लोगों के मूड के खिलाफ जाना है।

सूर्यनेल्ली बलात्कार घटना 1996 में घटी थी। उस साल के जनवरी महीने में 16 साल की एक लड़की का अपहरण कर लिया गया था। अपहरण के बाद उसे राज्य के अनेक इलाकों में ले जाया गया और उसके दौरान उसके साथ 42 लोगों ने 40 दिनों तक बलात्कार किया। (संवाद)