कांग्रेस इस मामले पर हालांकि सावधानी बरत रहा है, पर उसका यह मानना है कि कुरियन की भूमिका की फिर से जांच कराने को लेकर किसी प्रकार की हड़बड़ी दिखाने की जरूरत नहीं है। दूसरी तरफ भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व कह रहा है कि फिर से कुरियन की भूमिका की जांच कराने की मांग राजनीति से प्रेरित है। वह यह भी कह रही है कि कुरियन को अपने पद से इस्तीफा देने की जरूरत तब तक नहीं है, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं करे।
दिलचस्प तथ्य यह भी है कि भाजपा की केरल ईकाई इस मसले पर अपने केन्द्रीय नेतृत्व से अलग मत रखती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी मुरलीधरन और महासचिव के सुरेन्द्रन सहित सभी स्थानीय नेता मांग कर रहे हैं कि कुरियन को इस मसले पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और जांच का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। पार्टी की महिला विंग भी इसी तरह की मांग कर रही है।
भाजपा के एक प्रदेश स्तरीय नेता के एस राजन ने जांच करने वाली टीम पर एक बेहद ही संवदेनशील आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जांच टीम ने उनकी गवाही को अपनी रिपोर्ट में गलत तरीके से पेश किया है। उन्होंने कहा कि जांच टीम ने इस मामले में उनसे भी गवाही ली थी। अपनी गवाही में उन्होंने जो समय बताया था, उससे अलग समय जांच टीम ने उनके हवाले से अपनी जांच रिपोर्ट मंे लिख डाली। उन्होंने कुरियन को घटना के दिन शाम 5 बजे इदिकुला के घर पर देखने की बात की थी, लेकिन रिपोर्ट मंे लिख दिया गया कि उन्होंनंे कुरियन को घटना की शाम 7 से 8 बजे के बीच उस घर इदिकुला के घर में देखा था।
गौरतलब है कि कुरियन पर आरोप है कि उन्होंने पीडि़ता के साथ 7 और 8 बजे के बीच ही बलात्कार किया था, लेकिन उस समय उनकी किसी और जगह उपस्थिति की बात जांच रिपोर्ट में के एस राजन के हवाले से कर दी गई। संयोग से श्री राजन भाजपा के नेता हैं और वे कह रहे हैं कि बलात्कार के समय किसी और स्थल पर उनके द्वारा कुरियन को देखे जाने की गलत रिपोर्ट जांच टीम ले लिख डाली है और उस गलत रिपोर्ट के कारण पहले हाई कोर्ट ने और फिर सुप्रीम कोर्ट ने कुरियन पर चल रहे मुकदमे को खारिज करने का आदेश जारी कर दिया।
इस बीच मुख्यमंत्री चांडी और गृहमंत्री राधाकृष्णन ने इस बात से इनकार किया है कि वे कुरियन के खिलाफ जांच की मांग को वे सिरे से अस्वीकार कर रहे हैं। उन दोनों का कहना है कि वे शुरू से ही कह रहे हैं कि इस पर किसी प्रकार का निर्णय सरकार प्रोसेक्यूशन के महानिदेशक से पूछ कर ही कर सकती है। उनका यह कहना उनके पहले दिए गए बयानों से अलग है, जिनमें वे फिर से जांच करने की बात को मानने से साफ इनकार कर रहे थे। वे कह रहे थे कि वर्तमान कानून व्यवस्था के अंदर उनके खिलाफ अब जांच की ही नहीं जा सकती।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों ने पीडि़ता को सलाह दी है कि इस मामले की फिर से जांच करवाने की मांग करते हुए उसे केरल हाईकोर्ट के समक्ष याचिका पेश करनी चाहिए। केरल सरकार के बदले रवैये का कारण कांग्रेस नेतृत्व का इस मामले में संभल संभल कर चलने की रणनीति हो सकता है। कुरियन को बचाने वाले कथित बयान पर गवाह द्वारा ही सवाल उठा दिए जाने के बाद की स्थितियों ने भी केरल सरकार को दुबारा विचार करने के लिए शायद विवश कर दिया है।
चांडी और राधाकृष्णन दुबारा जांच कराने की मांग को न मानने का कारण बताते हुए कह रहे थे कि संविधान की घारा 20(2) में प्रावधान है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ एक ही मामले के लिए दो बार मुकदमा चलाया नहीं जा सकता। लेकिन विशेषज्ञ बतला रहे हैं कि कुरियन के खिलाफ इस मामले को लेकर मुकदमा चला ही नहीं था। मुकदमा चलने के पहले ही उच्च् अदालतों ने उनके खिलाफ मामला खत्म करने के आदेश जारी कर दिए थे।(संवाद)
कुरियन मामले पर कांग्रेस और भाजपा का एक सुर
भाजपा की केरल ईकाई ने राष्ट्रीय नेताओं से अलग रुख अपनाया
पी श्रीकुमारन - 2013-02-11 12:59
तिरुअनंतपुरमः पी जे कुरियन का मामला केरल की राजनीति को गर्म कर रहा है, लेकिन इससे जुड़ा एक विचित्र चीज यह देखने को मिल रहा है कि इस मसले पर कांग्रेस और भाजपा का सुर एक दूसरे से मेल खा रहा है। सूर्यनल्ली बलात्कार कांड में कुरियन की भूमिका पर कांग्रेस और भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व एक तरह की बातें कर रहा है।