टीम के गठन में भाई- भतीजावाद, बेटा- बेटीवाद और अन्य तरह के परिवारवाद को बहुत तवज्जो दिया गया है और पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा कर दी गई है।
गौरतलब है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को नई कार्यकारिणी जगह देते हुए प्रदेश की पार्टी का महासचिव बना दिया गया है।
उसी तरह पार्टी के वरिष्ठ नेता और लखनऊ लोकसभा क्षेत्र से सांसद लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन, जिन्हें गोपाल टंडन के नाम से भी जाना जाता है, प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष बना दिए गए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में आशुतोष टंडन को लखनऊ विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन उस समय वे चुनाव हार गए थे।
कल्याण सिंह के बेटे पर भी कृपा बरसाई गई है। कल्याण सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेता रह चुके हैं। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी थे। वे भाजपा दो बार छोड़ने के बाद तीसरी बार इसमें फिर शामिल हुए है, हालांकि वे तकनीकी रूप से इसके सदस्य नहीं हैं, पर उनकी पार्टी का इसमे विलय हो चुका है। उनके बेटे राजवीर सिंह को भी भाजपा प्रदेश का उपाध्यक्ष बना दिया गया है। राजवीर सिंह भी उस समय की अपनी पार्टी से विधानसभा का चुनाव लड़े थे और उन्होंने भी उसमें हार का ही सामना किया था। राजवीर सिंह मुलायम सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
नीलिमा कटियार को पार्टी का प्रदेश सचिव बना दिया गया है। सुश्री कटियार पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रेमलता कटियार की बेटी हैं। उनके सचिव बनाए जाने से अनेक ऐसा नेता नाराज हो गए हैं, जो वरिष्ठ होने के बावजूद कोई पद पाने से वंचित रह गए हैं।
आरोप लगाया जा रहा है कि भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी और संगठन के पदों पर उन्हीं की नियुक्ति हुई है, जो या तो किसी बड़े नेता के परिवार से हैं अथवा जो बड़े नेताओं की चापलूसी करते रहते हैं।
पार्टी के वे नेता जो वरिष्ठ होने के साथ साथ कार्यकत्र्ताओं के बीच लोकप्रियता रखते हैं, उन्हें महत्व नहीं दिया गया है। लखनऊ के महापौर दिनेश शर्मा, पूर्व महापौर एससी राय, विधान परिषद के सदस्य हृदय नारायण दीक्षित और राधा मोहन अग्रवाल जैसे महत्वपूर्ण नेताओं का पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है। जिन्हें नजरअंदाज किया गया है, उनमें विंध्यवासिनी कुमार, ज्योत्सना श्रीवास्तव, महेन्द्र सिंह, सुभाष त्रिपाठी और विनोद पांडे भी शामिल हैं।
भारतीय जनता पार्टी के नेताओ को इस बात से हैरत हो रही है कि जो नेता पिछला चुनाव तक नहीं जीत पाए, उन्हें संगठन मे महत्वपूर्ण पद दे दिए गए हैं।
कार्यकारिणी के गठन के बाद संगठन के सामने युद्ध जैसी स्थिति बन गई है। लोकसभा चुनाव के पहले बनी यह स्थिति बेहद भयानक है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस विकट स्थिति का सामना करने की है।
जहां एक तरफ पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए पिछड़े और अत्यंत पिछड़े वर्गों के लोगों को अपनी ओर खींचने की कोशिश करने का फैसला किया है, वहीं इन वर्गों के लोगों को कार्यकारिणी के गठन में जगह नहीं दी गई है या बहुत कम दी गई है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने एक ही काम अच्छा किया है और वह यह है कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के उस प्रस्ताव का पालन किया है, जिसमें संगठन में एक तिहाई स्थान महिलाओं को देने की बात की गई है।
पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों की कुल संख्या 102 है और उनमें से 39 महिलाएं हैं।
प्रदेश अध्यक्ष एल के वाजपेयी दावा कर रहे हैं कि उन्होंने पार्टी कार्यकारिणी के उस प्रस्ताव को पूरी तरह लागू किया है। (संवाद)
परिवारवाद की गिरफ्त में उत्तर प्रदेश भाजपा
पुराने दिग्गज को कर दिया गया उपेक्षित
प्रदीप कपूर - 2013-03-02 19:00
लखनऊः जब लोकसभा के चुनाव बहुत नजदीक दिख रहे हैं, वैसे समय में उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एलके वाजपेयी द्वारा गठित की गई प्रदेश कार्यकारिणी की नई टीम ने पार्टी के लिए मुसीबतें खड़ा कर दी हैं।