केरल को केन्द्र की आम बजट से बहुत उम्मीदें थीं। उसने उम्मीदों की एक सूची बना रखी थी, लेकिन उसका कोई भी उम्मीद पूरी नहीं हो पाई।

केरल की एक बहुत ही पुरानी मांग है। वह मांग है प्रदेश में एक आई आई टी संस्थान की स्थापना की। उसे लगता है कि यदि एक आई आई टी प्रदेश को मिला, तो इससे तकनीकी शिक्षा को प्रदेश में बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा कोच्चि में दिए गए एक भाषण में लोगों की उम्मीदें बढ़ा दी थीं। उन्होंने कहा था कि प्रदेश को आई आई टी दिए जाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

लेकिन बजट में प्रदेश में आई आई टी का जिक्र तक नहीं है। प्रधानमंत्री द्वारा किए गए वायदे को पूरा नहीं किए जाने से इस धारणा को बल मिल रहा है कि केन्द्र द्वारा राज्य के हितों की अनदेखी करने के क्रम का कोई अंत नहीं है। केन्द्र सरकार के मंत्री कहा करते थे कि यदि केन्द्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार हो तो प्रदेश का विकास तेज हो जाता है। ऐसा कहकर वे चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश करते रहे हैं। लेकिन इस बजट ने यह साबित कर दिया है कि केन्द्र और प्रदेश दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार रहने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता।

विझिंजन बंदरगाह परियोजना पर भी यह आम बजट चुप है। उसकी यह चुप्पी लोगों के गुस्से को और भी बढ़ा रही है। इसके कारण विपक्षी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेताओं के स्वर विरोध में उठने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता वी एस अच्युतानंदन आरोप लगा रहे हैं कि तमिलनाडु के ट्यूटिकाॅरिन परियोजना को 250 करोड़ रुपये आबंटित करने के लिए केरल के विझिंजम परियोजना की उपेक्षा कर दी गई। दूसरे नेता भी कह रहे हैं कि ट्यूटिकोरिन परियोजना से विझिंजम परियोजना को नुकसान होगा।

केरल को निराशा आयुर्वेद के मोर्चे पर भी मिली है। केरल में आयुर्वेद के लिए बहुत स्कोप है। यहां परंपरागत रूप से आयुर्वेद का बहुत बोलबाला रहा है। लोगों के पास पहले से इसके बारे में काफी जानकारी है। उस जानकारी को और सुदृढ़ करने के लिए और आयुर्वेद के विकास के लिए प्रदेश में एक आयुर्वेद शोध संस्था की स्थापना की मांग की जा रही थी। केन्द्र सरकार में अलग से आयुर्वेद मंत्रालय के गठन की मांग की जा रही थी, लेकिन कोई अलग से आयुर्वेद मंत्रालय बना है और न ही केरल में कोई आयुर्वेद शोध संस्थान या केन्द्र बना है।

यह सच है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आयुष विभाग को 1069 करोड़ रुपये की राशि आबंटित की गई है, लेकिन इस राशि का कितना हिस्सा केरल को मिलता है, इसके बारे में किसी को नहीं पता।

केरल के लाखों लोग विदेशों में काम करते हैं और वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा वापस देते में लाते हैं। वे विदेशी मुद्रा अर्जित करने में देश को बहुत सहायता पहुंचा रहे हैं। लेकिन उसका फायदा केरल को कैसे ज्यादा से ज्यादा पहुंचाया जाय, इसके बारे में भी बजट भाषण में एक शब्द तक नहीं कहा गया है। केरल के बैंकों में उस कमाई का 62 हजार करोड़ रुपया जाम पड़ा हुआ है।

महंगाई आज देश की सबसे बड़ी समस्या है, जिसका शिकार पूरे देश के लोग हो रहे हैं। गरीब इससे ज्यादा त्र्रस्त हैं, लेकिन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने अपने बजट में इस समस्या को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। सप्लाई चेन को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित करने के अलावा और किसी तरह की बात इसमें नहीं कही गई है और महंगाई की समस्या पर निजात कैसे पाई जाय, इसका भी कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

कोच्चि मेट्रो को जरूर कोष उपलब्ध कराए गए हैं। इससे लोगों को कुछ संतोष हो रहा है, लेकिन जितनी मांग थी, उससे कम मिला है। 294 करोड़ रुपये की मांग की जा रही थी, लेकिन बजट ने मात्र 130 करोड़ रुपये ही दिए हैं। प्रदेश मंे नारियल उत्पादन बढ़ाने के लिए भी कुछ बजट प्रावधान किए गए हैं। (संवाद)