भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की वह बैठक मोदी का शो साबित हुई। यह साफ देखा जा सकता था कि पार्टी में नीचे से ऊपर तक मोदी को जबर्दस्त समर्थन हासिल है। यदि किसी ने सोचा होगा कि इसी बैठक में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा, तो उन्हें निराशा हाथ लगी है, क्योंकि प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में नरेन्द्र मोदी के नाम की घोषणा एक प्रक्रिया के तहत ही की जा सकती है और यह प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है।

यह प्रक्रिया तीन स्तरों की होगी। पहले स्तर पर भाजपा के अंदर चर्चा होगी और उसके नेता तय करेंगे कि किसे प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया जाय। दूसरे स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में इस पर चर्चा होगी और उसमंे निर्णय होगा। तीसरा स्तर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का होगा। अंत में उसमें तय होगा कि राजग का प्रधानमंत्री उम्मीदवार किसे घोषित किया जाए।

तथ्य यह है कि अभी पहले स्तर की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है। भाजपा में प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षा पालने वाले और लोग भी हैं, लेकिन वे अभी फिलहाल चुप हैं, लेकिन जब निर्णय का समय आएगा, तब भी वे चुप रहेंगे, ऐसा मानना गलत होगा। सच कहा जाय तो आधा दर्जन लोग और भी हैं, जो प्रधानमंत्री बनने की तमन्ना अपने मन में संजोए हुए हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दूसरा स्तर काफी महत्वपूर्ण है। संघ का समर्थन पाना नरेन्द्र मोदी के लिए बहुत ही जरूरी है, पर संघ के नेताओं से मोदी की पटरी नहीं बैठ रही है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने संघ के नेताओं को बहुत तवज्जो नहीं दिया है, जिसके कारण अधिकांश संघ नेता उनसे नाराज हैं। इसलिए उन्हें मनाने के लिए नरेन्द्र मोदी को बहुत मेहनत करनी होगी।

जहां तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बात है, तो जनता दल(यू) नरेन्द्र मोदी को पसंद नहीं करता है। नीतीश कुमार की नरेन्द्र मोदी से अपनी समस्या है। वे कई बार मोदी के प्रति अपनी नापसंदगी दिखा चुके हैं। जनता दल(यू) के अलावा शिवसेना और अकाली दल राजग के घटक दल हैं। उन दोनों दलों का समर्थन मोदी को मिल जाएगा, हालांकि शिवेसना नरेन्द्र मोदी के राज ठाकरे से संबंधों को लेकर उनसे परेशान भी है।

शायद भाजपा जनता दल (यू) को राजग से बाहर जाने की कीमत पर भी नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश करना चाहे, पर सवाल उठता है कि भाजपा के पास सरकार बनाने के लिए नंबर कहां से आएगा? जनता दल (यू) को बाहर रखकर और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश कर भाजपा को ज्यादा से ज्यादा 180 सीटें मिल सकती हैं। नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से जयललिता की एआइएडीएके और नवीन पटनायक का बीजू जनता दल भी राजग में आ सकता है, पर उन दोनों को मिला देने से भी राजग को बहुमत मिलता दिखाई नहीं पड़ रहा है।

इस सबके बावजूद नरेन्द्र मोदी का सबसे मजबूत पक्ष यह है कि पार्टी के अंदर उन्हें जबर्दस्त समर्थन हासिल है। पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में यह देखने को मिला। यह बैठक पार्टी अध्यक्ष के रूप में राजनाथ सिंह के नाम की परिषद द्वारा पुष्टि के लिए बुलाई गई थी, लेकिन राजनाथ सिंह के बदले इस बैठक का केन्द्र नरेन्द्र मोदी बने रहे। उनकी आगवानी और स्वागत करने वालों का नेतृत्व खुद पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ही करते दिखाई पड़ रहे थे।

लेकिन अग्रिम पंक्ति में बैठे कुछ पार्टी नेताओं का चेहरा देखने लायक था। उनके चेहरे से यह साफ दिखाई पड़ रहा था कि नरेन्द्र मोदी को दिया जा रहा महत्व उन्हें नहीं भा रहा था। उन नेताओं मंे पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी थे, जो खुद भी प्रधानमंत्री बनने की लालसा अभी तक संजोए हुए हैं। (संवाद)