इलेनाबाद विधानसभा सीट का उपचुनाव ओम प्रकाश चैटाला के इस्तीफे के कारण हो रहा है। श्री चैटाला दो क्षेत्रों से चुनाव जीते थे। उन दो क्षेत्रों में उन्होंने उचाना सीट को अपने पास रखा और इलनाबाद से इस्तीफा दे दिया। गौरतलब है कि उन्होंने उचाना से पूर्व मंत्री वीरेन्द्र सिंह को पराजित किया था।

बहुत संभव है कि ओम प्रकाश चैटाला उचाना से अपने दूसरे बेटे अभय चैटाला को उम्मीदवार बनाएं। उस सीट पर चैटाला के उम्मीदवार को हराना मुख्यमंत्री के लिउ बहुत बड़ी चुनौती होगी। चैटाला के इंडियन नेशनल लोकदल ने पिछले आमचुनाव में 31 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो 2004 की 9 सीटों पर विजय की तुलना में बहुत ज्यादा थी। खुद चैटाला ने भी उतनी ़बड़ी जीत की उम्मीद नहीं की थी।

पिछले आमचुनाव के बाद भले ही श्री हुड्डा ने सरकार का गठन कर लिया हो, लेकिन इसका उन्हें अब भी अफसोस होगा कि उनकी पार्टी को उस चुनाव में बहुमत हासिल नहीं हुआ था। 90 सीटों में कांग्रेस की जीत मात्र 40 सीटों पर ही हुई थी। 5 निर्दलीय विधायकां का समर्थन हासिल कर उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। बाद में भजनलाल की पार्टी के 6 विधायकों में से 5 को कांग्रेस में मिलाकर अपनी पार्टी को विधानसभा में बहुमत की रेखा पर पहुंचा दिया।

यदि उचाना विधानसभा का चुनाव कांग्रेस जीत लेती है तो कांग्रेस का हरियाणा विधानसभा में अपने बूते पूर्ण बहुमत हासिल हो जाएगा। यही कारण है कि श्री हुड्डा उचाना विधानसभा का उपचुनाव जीतने के लिए कोई कसर उठा नहीं रखेंगे। दूसरी तरफ चैटाला के लिए भी उचाना का यह चुनाव काफी प्रतिष्ठा का है। इसमें जीत हासिल कर वे अपनी स्थिति हरियाणा की वर्तमान राजनीति में और भी मजबूत कर लेंगे।

मंत्रिमंडल का विस्तार भी श्री हुड्डा के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है। वे सीमित संख्या में ही मंत्री बना सकते हैं, जबकि मंत्रिपद के दावेदार बहुत ज्यादा हैं। जो उनकी पिछली सरकार में मंत्री थे और इस बार भी चुनाव जीतकर आ गए हैं, वे सब के सब मंत्री बनने का दावा कर रहे हैं। निर्दलीयों का समर्थन लेने के लिए भी उन्होंने कुछ वादे किए होगे। उनपर उन वायदो को पूरा करने की जिम्मदारी भी है। भजनलाल के जनहित कांग्रेस के विधायको को कांग्रेस में मिलाते समय भी उन्होंने कुछ वायदे किउ होगे। उन्हें उनका भी ध्यान रखना होगा। जाहिर है मंत्रिमंडल का विस्तार करना उनके लिए कोई आसान कदम नहीं होगा। (संवाद)