गणेश कुमार का इस्तीफा ही इसलिए लिया गया, क्योंकि मंत्रिमंडल में उनका बना रहना चांडी सरकार पर भारी पड़ रहा था। मंत्रिमंडल के अधिकांश संदस्यों ने मुख्यमंत्री पर दबाव बनाकर गणेश कुमार का इस्तीफा करवा दिया, लेकिन इस्तीफे से सरकार की समस्या समाप्त होने के बजाय और भी बढ़ गई है।
गणेश कुमार को यह इस्तीफा इसलिए देना पड़ा, क्योंकि उनकी पत्नी यामिनी ने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा कानून के खिलाफ पुलिस मंे मुकदमा दर्ज किया है। उन्होंने मुकदमे में अपने पति गणेश कुमार पर आरोप लगाया है कि शादी के बाद पिछले 16 साल से वह अपने पति की हिंसा की शिकार रही हैं और अपने बच्चें के हित को ध्यान में रखते हुए वह यह सब बर्दाश्त कर रही थीं।
दूसरी तरफ गणेश कुमार ने भी अपनी पत्नी पर मुकदमा दायर किया है और आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी उन्हें पीटा करती थीं। पत्नी द्वारा पीटे जाने को आधार बनाकर उन्होंने अपनी पत्नी से तलाक के लिए अदालत में गुहार भी लगाई है।
पति पत्नी के उस झगड़े में मुख्यमंत्री चांडी भी उलझ गए हैं। इसका कारण यह है कि मंत्री पत्नी यामिनी ने मुख्यमंत्री से मिलकर उनकी शिकायत की थी। उन्होंने एक शिकायत पत्र भी मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिसमें पति द्वारा किए गए अत्याचार का जिक्र था और मुख्यमंत्री से मांग की गई थी कि उनके साथ इंसाफ किया जाय और उनके पति के खिलाफ कार्रवाई की जाय।
पर तब मुख्यमंत्री ने औपचारिक रूप से यह इनकार कर दिया कि उन्हें कोई शिकायती पत्र मिला था। यदि वे उस शिकायत को स्वीकार करते तो उसे पुलिस के पास जांच के लिए भेजना पड़ता और पुलिस जांच शुरू होने के साथ मंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता। पर मुख्यमंत्री नहीं चाहते थे कि उनके मंत्री गणेश कुमार अपने मंत्रिपद से इस्तीफा दें, क्योंकि श्री कुमार वैसी स्थिति में विधायक के पद से भी इस्तीफा देने की धमकी दे रहे थे और मुख्यमंत्री नहीं चाहते थे कि उनकी सरकार का बहुमत एक विधायक के समर्थन को खोकर थोड़ा और नाजुक हो जाय। उन्होंने सोचा था कि मामला शांत हो जाएगा और मंत्री गणेश कुमार अपनी पत्नी के साथ समझौता करने मे सफल हो जाएंगे।
पर वैसा हो नहीं सका। गणेश कुमार ने उल्टे अपनी पत्नी से तलाक लेने का मुकदमा दायर कर दिया। फिर तो उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ पुलिस में मुकदमा कर दिया और उन्होंने अपने पति पर ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री पर भी वादाखिलाफी का आरोप लगा दिया। आरोप के अनुसार मुख्यमंत्री ने यामिनी को विश्वास दिलाया था कि वे उनके पति को समझाएंगे और दोनों के बीच संबंध सामान्य करने की हर संभव कोशिश करेंगे, पर मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं किया, उल्टे वे यामिनी की शिकायत दबाकर बैठे रहे और इस बीच मंत्री गणेश कुमार को अपनी पत्नी के ऊपर ही मारपीट का मुकदमा दायर करने का मौका दे दिया।
गणेश कुमार की दुर्गति उस समय शुरू हुई, जब एक महिला के पति ने उनकी पिटाई कर दी। उस व्यक्ति का आरोप था कि मंत्री गणेश कुमार का उनकी पत्नी के साथ अवैध शारीरिक रिश्ता था। उस घटना के बाद प्रदेश भर में मंत्री गणेश कुमार की थू थू होने लगी थी। उनका अपनी पत्नी यामिनी के साथ रिश्ता पहले से ही खराब चल रहा था और उसका एक बड़ा कारण था उनका अन्य महिलाओ ंके साथ अवैध शारीरिक संबंध।
मंत्री पति की पिटाई के बाद यामिनी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और पूरा विपक्ष उनके साथ खड़ा दिखाई पड़ा। यामिनी के मामले की गूंज विधानसभा में उठने लगी और मंत्री गणेश कुमार की ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री चांडी के इस्तीफे की मांग भी जोर पकड़ने लगी। विधानसभा में सरकार की स्थिति बहुत ही दयनीय होने लगी। मुख्यमंत्री अपने मंत्री का बचाव करना चाहते थे, पर अन्य अनेक मंत्रियों ने उन्हें सलाह दी कि गणेश कुमार को सरकार से बाहर का रास्ता दिखा दिया। आखिरकार चांडी ने उन्हें इस्तीफा देने को कहा और गणेश कुमार ने इस्तीफा दे भी दिया।
लेकिन अब गणेश कुमार के इस्तीफ के बाद पूरी सरकार पर ही संकट आ गया है। घरेलू हिंसा से संबंधित एक अध्यादेश के अनुसार यदि कोई महिला अपने परिवार में घरेलू हिंसा की शिकायत करती है, तो उस शिकायत को दबाकर रखना भी एक कानूनी अपराध है, जिसके लिए कानून में जेल की सजा का भी प्रावधान किया गया है। चूंकि मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री के खिलाफ उनकी पत्नी की शिकायत को दबाकर अपने पास रखा और उसे कार्रवाई के लिए पुलिस के पास नहीं भेजा, इसलिए उस कानून के उल्लंघन के लिए उन पर भी मुदकमा चलाने की मांग हो रही है और पूरा विपक्ष कर रहा है कि उन्हें अब अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। (संवाद)
संकट में केरल की यूडीएफ सरकार
मुख्यमंत्री चांडी फंस सकते हैं कानूनी पचड़े में
पी श्रीकुमारन - 2013-04-04 16:23
तिरुअनंतपुरमः केरल के वनमंत्री गणेश कुमार के इस्तीफे के बाद प्रदेश की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया और ओमन चांडी की यूडीएफ सरकार अपने कार्यकाल के सबसे गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। खुद मुख्यमंत्री चांडी की प्रतिष्ठा को काफी ठेस पहुंची है और वे खुद कानूनी पचड़े में फंसने की कगार पर खड़े दिखाई दे रहे हैं।