मध्य प्रदेश के चारों प्रमुख महानगरों में के मेयर पदों पर भाजपा का कब्जा हो गया है। ये चार प्रमुख महानगर हैं- भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर और जबलपुर। भोपाल में मेयर पद पर भाजपा की जीत खास मायने रखती हैए क्योंकि 15 सालों के बाद इस पर भाजपा का कब्जा हुआ है। अब भोपाल की मेयर कृष्णा गौर हो गई हैं।
कृष्णा गौर राज्य के वरिष्ठतम मंत्री बाबूलाल गौर की पुत्रवधू हैं। उनके पति की मौत के बाद बाबूलाल गौर ने उन्हें राजनीति में सक्रिय किया। बहुत कम समय में उन्होेने राजनीति में अपनी धाक बना ली। भाजपा ने उन्हें मेयर पद का उम्मीदवार बना दिया और उन्होंने तजीत भी हासिल कर ली।
लेकिन कृष्णा गौर के लिए मेयर की कुर्सी संभालना एक बड़ी चुनौती है। इसका कारण यह है कि भोपाल नगर निगम में कांग्रेस का बहुमत है। वार्ड आयुक्त की संख्या के लिहाज से भाजपा यहां कांग्रेस से पिछड़ गई है। मेयर के सीधें चुनाव के प्रावधान के बाद एैसा बहुत बार होता है कि मेयर किसी एक पार्टी का बनता है और नगर निगम में बहुमत किसी दूसरी पार्टी को प्राप्त हो जाता है। इसके कारण मेयर को काम करने में परेशानी होती है।
भाजपा ने नगर निगमों में ही नहीं, बल्कि नगरपालिकाओं और नगर पंचायतो में भी अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ दिया है। 13 नगर निगमों में 8 में भाजपा के मेयर निर्वाचित हुए हैं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ दो नगर निगमों में ही यह सफलता हासिल हुई है। दो नगर निगमों के मेयर बसपा के हैं। सागर के मेयर पद पर लोगों ने एक उभयलिंगी को मेयर के पद पर चुना है। कमला बुआ ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में यह जीत हासिल की है। कटनी के लोगों ने भी अपना मेयर एक उभयलिंगी को ही चुना था।
भारतीय जनता पार्टी ने 19 नगरपालिकाओं पर कब्जा किया है, जबकि कांग्रेस ने 17 में अपनी जीत दर्ज की। बसपा, सपा और सीपीएम को एक एक नगरपालिकाओं में अपने अध्यक्ष के उम्मीदवार को जिताने में कामयाबी हासिल हुई। दो अन्य नगरपालिकाओं के अध्यक्ष पदों पर निर्दलीय जीते हैं।
नगर पंचायतों के ज्यादातर अध्यक्ष पदों पर भी भाजपा के उम्मीदवारों की ही जीत हुई है। नगर निकायों के वार्ड आयुक्तो की जीत के बारे में भाजपा और कांग्रेस के अलग अलग दावे हैं। दोनों पार्टियां ज्यादातर नगर निकायों में अपने अपने बहुमत का दावा कर रही है। (संवाद)
भारत: मध्य प्रदेश
नगर निकायों के चुनाव में भाजपा की बढ़त बरकरार
एल एस हरदेनिया - 2009-12-23 11:20
भोपालः नगर निकायों के लिए हुए चुनावों में जीत हासिल कर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के ऊपर अपनी बढ़त बरकरार रखी है। इन चुनावों में कांग्रेस की हालत और भी खराब हो गई है, जबकि बहुजन समाज पार्टी ने जहां तहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इन चुनावों की एक खासियत एक हिजड़े का मेयर बन जाना भी है।