सपा और बसपा ने प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के ऊपर चुनाव की तैयारियों के मामले में बढत्रत हासिल कर ली हैं। मुलायम सिंह ने तो लोकसभा की अधिकांश सीटों के लिए अपने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं। मायावती ने सभी लोकसभा क्षेत्रों में पर्यवेक्षक भेज रखे हैं और उनकी रिपोर्ट आने के बाद कभी भी वे लोकसभा के अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती हैं। ये दोनों पार्टियां लोकसभा चुनावों की तिथियों के सामने आने का इंतजार करने को भी तैयार नहीं हैं।

चुनाव तैयारियो के मामले में देश की दो मुख्य पार्टियां- कांग्रेस और भाजपा - बहुत ही पिछड़ी हुई हैं।

मायावती और मुलायम लोकसभा चुनाव के बाद त्रिशंकु लोकसभा की उम्मीद कर रहे हैं। किसी भी एक पार्टी के बहुमत न आने के बारे में तो वे आश्वस्त हैं ही, उन्हें यह भी लगता है कि किसी भी मोर्चे को चुनाव के बाद बहुमत नहीं मिले। वैसी स्थिति में प्रदेश के ये दोनों नेता सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भुमिका निभाने का सपना संजाए हैं।

मुलायम सिंह यादव को लगता है कि यदि प्रदेश की 80 में से 60 सीटों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार जीत गए, तो वे केन्द्र की सरकार में प्रधानमंत्री भी हो सकते हैं। अपनी इस बात को वे लगातार दुहरा रहे हैं और पार्टी कार्यकत्र्ताओं और नेताओ ंको बार बार कह रहे हैं कि वे इसके लिए कड़ी मेहनत करें।

मुलायम सिंह यादव अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकत्र्ताओं को कह रहे हैं कि वे अखिलेश सरकार की उपलब्ष्धियों की जानकारी लोगों तक ले जाएं। दूसरी तरफ वे अखिलेश की सरकार को भी कह रहे हैं कि वह पार्टी के नेताओं और कार्यकत्र्ताओं की अनदेखी नहीं करें और उनकी बातों को सुनें व उनकी हर संभव सहायता करें, ताकि वे लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रतिबद्ध होकर काम कर सकें।

मुलायम को पता है कि यदि पार्टी के कार्यकत्र्ताओं में अखिलेश सरकार के प्रति असंतोष उमड़ा, तो वे लोकसभा चुनाव में उत्साह नहीं दिखा पाएंगे और इससे पार्टी को नुकसान हो जाएगा। श्री यादव ऐसी स्थिति पैदा होने देना नहीं चाहते हैं। इसलिए उन्होनंे अखिलेश सरकार के मंत्रियों को कह रखा है कि पार्टी कार्यकत्र्ताओं की किसी भी कीमत पर उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।

मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश की अधिकांश लोकसभा सीटों के पार्टी उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और उन्हें अपने अपने क्षेत्रों मंे अभी से लग जाने के लिए कहा गया है। सभी लोकसभा क्षेत्रों के अंदर के विधायकों को भी कहा गया है कि पार्टी उम्मीदवार की जीत के लिए वह हर संभव कोशिश करें और अपने प्रयासों में कहीं भी किसी तरह की कोई कोताही नहीं करें।

पूर्व मुख्यमंत्री बसपा की नेता मायावती ने भी लोकसभा की तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी है। उनकी मंशा भी प्रधानमंत्री बनने की है और इसके लिए वे उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जीतते देखना चाहती हैं।

उन्हें भी लग रहा है कि आने वाले चुनाव के बाद लोकसभा का स्वरूप त्रिशंकु होगा, जिसमें किसी भी पार्टी अथवा मोर्चे को बहुमत नहंी होगा। उन्हें लगता है कि ऐसी स्थिति में वे देश की प्रधानमंत्री भी बन सकती हैं। पर इसके लिए पर्याप्त संख्या में लोकसभा की सीटें भी पार्टी के पास होनी चाहिए। इसलिए वह भी चुनाव की तैयारियों में किसी तरह की ढील देना नहीं चाहतीं। (संवाद)