ताजा विवाद कृषि मंत्री केपी मोहनन द्वारा विधानसभा क सभी 141 विधायकों को दिया गया एलसीडी टीवी का उपहार है। प्रत्येक टीवी की कीमत 20 हजार रुपये है।
इस पर कोई विवाद पैदा नहीं होता, यदि पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के वर्तमान नेता वीएस अच्युतानंदन ने भी यह उपहार स्वीकार कर लिया होता। पर उन्होंने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि जब प्रदेश की वित्तीय हालत बहुत खराब है और लोग सूखे व गर्मी का सामना कर रहे हैं, वैसी स्थिति में प्रदेश सरकार के खजाने से किया गया यह खर्च अनावश्यक ही नहीं, बल्कि प्रदेश के गरीब लोगों की भावनाओं के प्रति असंवेदनशीलता दिखाने के समान है।
वीएस के इस निर्णय को प्रदेश की जनता ने सराहा है। उन्हें भी लगता है कि विधायकों को मुफ्त में उपहार देकर सार्वजनिक कोष के एक हिस्से को गैर जरूरी काम में खर्च करना गलत ही नहीं, बल्कि एक आपराधिक कार्रवाई है। उपहार स्वीकार करने से इनकार करके वीएस अच्युतानंदन ने एक बार फिर अपने आपको नैतिकता के उच्च धरातल पर स्थापित कर दिया है।
यह कोई पहला मौका नहीं है, जब वीएस अच्युतानंदन ने इस तरह का उपहार लेने से इनकार कर दिया है। इसके पहले भी वे इस तरह का काम कर चुके हैं। उद्योग मंत्री पीके कुन्हालिकुट्टी ने पिछले साल सभी विधायकों को एक एक आइपैड उपहार स्वरूप दिया था, जिसे लेने से वीएस ने इनकार कर दिया था।
अच्युतानंदन द्वारा उपहार लेने से इनकार करने के बाद विपक्षी एलडीएफ विधायकों की स्थिति भी दयनीय हो गई है। वे अब यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे क्या करें। उनकी खुद की सीपीएम इस मसले पर विभाजित दिखाई पड़ रही है। सीपीएम के विधानसभा में उपनेता कोडियेरी बालाकृष्णन का कहना है कि मंत्री से उपहार लेने में कुछ भी गलत नहीं है। उनका कहना है कि पहले की सरकारें भी इस तरह के उपहार विधायकों को देती रही हैं और विधायक पहले भी बिना किसी झिझक के इस तरह के उपहार लेते रहे हैं।
जाहिर है कि वीएस ने उपहार लेने का वह निर्णय अपनी पार्टी के लोगों से सलाह मशविरा किए बिना ही ले लिया है। इसके कारण पार्टी के अंदर दरार और भी गहरा होने की आशंका है। उनके विरोधियों को उनके खिलाफ एकतरफा निर्णय करने का आरोप लगाने का मौका मिल गया है।
अभी यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि अन्य विपक्षी पार्टियों के विधायक क्या करते हैं। क्या वे भी उपहार को वापस कर देंगे या उपहार को अपने पास ही रखेंगे? किसी भी पार्टी से इस मसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है। सिर्फ सीपीआई विधायक वी एस सुनील कुमार ने कहा है कि इसके बारे मंे कोई निर्णय पार्टी ही करेगी और उसका जो भी निर्णय होगा, पार्टी के विधायक उसका पालन करेंगे।
यूडीएफ सरकार इस विवाद को गंभीरता से नहीं ले रही है। इसके कारण उसके कान पर जूं भी नहीं रेंग रहा है। इसका पता वित्त मंत्री के एम मणि द्वारा अपनी तरफ से भी उपहार देने की योजना बनाने से लगता है। अब वे प्रदेश विधानसभा के सभी विधायकांे को आइफोन का सबसे ताजा संस्करण देने जा रहे हैं। जाहिर है, उनकी दिलचस्पी एक और विवाद खड़ा करने की है। (संवाद)
चांडी सरकार गिफ्ट विवाद की गिरफ्त में
अच्युतानंदन ने इसे लौटाकर अपनी पार्टी विधायकों को भी मुश्किल में डाला
पी श्रीकुमारन - 2013-04-18 12:11
तिरुअनंतपुरमः केरल की चांडी सरकार एक के बाद एक विवाद में लगातार फंसती जा रही है और इसने विवाद में फंसने का एक नया रिकार्ड बना लिया है।