एक बार फिर झारखंड में त्रिशंकु विधानसभा ही उभरी है। झारखंड में कोई भी एनडीए का कोई भी चुनावी मुद्दा-महंगाई, भ्रष्टाचार और स्थाईत्व नहीं चल पाया।

बिहार के उप विधानसभा चुनावों में मिली बढ़त के बाद ढींग हांकने वाले राजद प्रमुख लालू यादव को सिर्फ 5 सीटें ही झारखंड मे मिली है।वह भी उस क्षेत्र से जहां नक्सलवाद चरम पर है और जहां उसे जद यू से कड़ी टक्कर थी।सबसे ज्यादा फायदे में कांग्रेस रही है।उसे आश्चर्यजनक रूप से 14 और उसकी सहयागी पार्टी झाविमो को 11 सीटें मिली हैं।कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के जादू यहां भी चल गया।मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा के चुनाव हारने वाले शिबू सोरन का उदय तो पुनर्जन्म के समान है। लोकसभा चुनाव में बुरी तरह परास्त होने वाली शिबू सोरेन की पार्टी झामुमो को इस चुनाव में 18 सीटें मिली है और वह सत्ता की चाबी अपने हाथों में लेकर सत्ता के मैदान में आकर दांव पेंच खेलने में लगे हुए हैं।

अपने नए अध्यक्ष और संसदीय दल के चेयरमैन की ताजपोशी में लगी बीजेपी के लिए झारखंड के विधानसभा के चुनाव परिणाम बिजली के करंट के समान है।इतना तेज झटका की उम्मीद बीजेपी के नेताओं को नहीं थी।

झारखंड में एनडीए का कब्र खुद गया है।लेकिन जद यू नेता व सांसद शरद यादव इसे स्वीकारते नहीं हैं।उन्होंने बताया कि हमने झारखंड में अपनी हार स्वीकार कर ली है,लेकिन बिहार में एनडीए की स्थिति अच्छी है।हार के कारण पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि झारखंड में कोई भी चुनावी मुद्दा नहीं चला।मंहगाई,भ्रष्टाचार और स्थायी सरकार-ये तीनों मुद्दा लेकर एनडीए चुनाव मैदान में कूदी थी।उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि झारखंड की जनता चुनाव के पूर्व जहां खड़ी थी आज वहीं खड़ी है।कोई भी पार्टी स्थाई सरकार देने की स्थिति में नहीं है।

एक प्रश्न के उत्तर में शरद यादव ने कहा कि वह मानते हैं कि झारखंड के चुनाव में बिहार के नीतिश का जादू नहीं चला।उन्होंने कहा कि हार के लिए न तो बीजेपी दोषी है और न जद यू कसूरवार है। जब केाई मुद्दा ही नहीं चल पाया तो हार निश्चित होनी है।

फिलहाल झारखंड मे मुख्यमंत्री के पद को ले कर लड़ाई चल रही है।सत्ता की चाबी गुरु जी के पास है। इसके पहले बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में झारखंड में एनडीए की सरकार बनने की बात हो रही थी।वहीं कांग्रेस में केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय का नाम चल रहा था।#