प्रदेश संगठन में फेरबदल को अंजाम दिया केन्द्रीय मंत्री ए के एंटोनी ने। वे केन्द्रीय आलाकमान के इशारे पर ऐसा करने को प्रेरित हुए। इस फेरबदल का मुख्य तौर पर दो उद्देश्य था। पहला उद्देश्य तो नायरो और उनके संगठन नायर सर्विस सोसायटी से संबंध सुधारना था। उनकी ओमन चांडी सरकार से शिकायत है कि उनके हितों की अनदेखी यह सरकार कर रही है। नायर सिर्फ अपनी उपेक्षा की ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समुदाय की उपेक्षा का आरोप चांडी सरकार पर लगा रहे हैं। फेरबदल का दूसरा उद्देश्य कांग्रेस में गुटबाजी को विराम देना था।

एक विचार तो रमेश चेनिंथाला को राज्य कैबिनेट में शामिल करवाने का भी था। रमेश फिलहाल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष हैं और नायर समुदाय से आते हैं। उन्हें प्रदेश सरकार में मंत्री बनाकर नायरों को शांत करने की योजना थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका। रमेश को मंत्रिमंडल में शामिल करने के प्रयास का विरोध न केवल कांग्रेस के अंदर से किया गया, बल्कि सहयोगी दलों ने भी इसकी मुखालफत की।

अब एंटोनी ने हारकर अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। उन्होंने आपस में लड़ रहे गुटों के नेताओं को कहा है कि पहले वे आपस में किसी सहमति पर पहुंच जायं और उसके बाद केन्द्रीय आलाकमान से संपर्क करें। फिर उनकी समस्याओं के हल के बारे में कुछ किया जा सकता है।

दरअसल एंटोनी असंभव को संभव करने के काम में जुटे हुए थे। राहुल गांधी की एक बैठक में प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने अपनी समस्याएं उठाई थीं और राहुल गांधी की उसी बैठक में एंटोनी को यह जिम्मा दिया गया था कि वे उन समस्याओ ंको हल करें। पर जो नेता एंटोनी से समस्या हल करने का आग्रह कर रहे थे, वे नेता ही एंटोनी के काम में अड़ंगा भी डालने लगे। वे एंटोनी की सलाह मानने को तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि अब एंटोनी ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं और मामला फिर से एक बार केन्द्रीय आलाकमान के पास चला आया है।

अब रमेश चेनिंथाला गुट के नेता कह रहे हैं कि मंत्री नहीं बनेंगे, क्योंकि ओमन चांडी गुट के लोग उनका विरोध कर रहे हैं। वे रमेश को अपमानित करने की भी कोशिश कर रहे हैं और अपमानित होकर रमेश चांडी सरकार का हिस्सा नहीं बनना चाहते। खुद रमेश ने भी कह दिया है कि वे मंत्री बनने के लिए कोई मरे नहीं जा रहे हैं।

यह समस्या इसलिए खड़ी हुई है कि रमेश चेनिंथाला को पहले गृहमंत्री बनाने का प्रस्ताव था, पर यह मंत्रालय अभी चांडी गुट के राधाकृष्णन के पास है और वे इस मंत्रालय को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। एक दूसरा विकल्प यह आया कि चेनिंथाला को उपमुख्यमंत्री बना दिया जाय और उन्हें गृह मंत्रालय के अलावा किसी और मंत्रालय का जिम्मा दे दिया जाय।

लेकिन यहां सहयोगी दलों ने अड़ंगेबाजी कर डाली। उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद के सृजन के एकतरफा निर्णय का विरोध किया और कहा कि मोर्चे के सभी घटक दलों के विचार विमर्श के बाद ही इस पद का सृजन किया जा सकता है। केरल कांग्रेस (मणि) के नेता के एम मणि ने तो उपमुख्यमंत्री के पद पर खुद अपना दावा ठोंक दिया। इस समय वे प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री हैं। मुस्लिम लीग के नेताओं ने भी कहा कि कांग्रेस एक साथ मुख्यमंत्री ओर उपमुख्यमंत्री के पद अपने पास नहीं रख सकती।(संवाद)