सबसे पहले स्मारक के निर्माण का मामला लें। अकाली नेतृत्व स्वर्ण मंदिर परिसर में आपरेशन ब्लू स्टार का स्मारक बनाना चाहता था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इस तरह के स्मारक के निर्माण का प्रस्ताव पास किया था। इस समिति पर सत्तारूढ़ अकाली दल के समर्थकों का ही कब्जा है। लेकिन इस प्रस्ताव की आलोचना हुई। आलोचकों ने कहा कि इस तरह के स्मारकों से उन आतंकवादियों का महिमामंडन होगा, जिनके खिलाफ आपरेशन ब्लू स्टार हुआ था। इस आलोचना के बाद इस मामले को ठंढे बस्ते में डाल दिया गया।

यदि ब्लूस्टार के दौरान और उसके पहले मारे गए निर्दोष लोगों की याद में स्मारक बनाया जाता, तो किसी को इस पर आपत्ति नहीं हो सकती थी। यह सच है कि इस आपरेशन के दौरान अनेक निर्दोष लोग सेना की गोलियों के शिकार हुए थे। आपरेशन के पहले आतंकवादियों ने अनेक निर्दोष लोगों के खूद बहाए थे। उन सबकी याद में यदि कोई स्मारक बने, तो उसका कोई विरोध क्यों करेगा, लेकिन पता चला कि स्मारक तो जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके आतंकवादी समर्थकों की याद में बनाए जाने का प्रस्ताव था। जाहिर है, इस प्रस्ताव की आलोचना हुई।

जब अकाली दल ने चुनाव में उग्रवादी तबकों का समर्थन हासिल करना शुरू किया, तो एक बार फिर स्मारक बनाने का दबाव बनने लगा और ठंढे बस्ते में पड़े इस प्रस्ताव को फिर सामने लाया जा रहा है। इसके निर्माण का जिम्मा एक घार्मिक संगठन को दिया गया। उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह ने इस स्मारक के निर्माण का समर्थन किया, पर बाद में इसकी बढ़ती आलोचना को देखते हुए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि स्मारक के रूप में स्वर्ण मंदिर परिसर में एक गुरुद्वारे का निर्माण किया जाएगा और उसमें किसी प्रकार की तस्वीर नहीं रहेगी और न ही उसमें कुछ लिखा जाएगा।

लेकिन इसके आलोचकों का डर सही साबित हुआ। गुरुद्वारे को जरनैल सिंह भिंडरावाले को समर्पित कर दिया गया। स्मारक पर भिंडरावाले की तस्वीर डाल दी गई और दीवार पर आपरेशन ब्लूस्टार के बारे में लिखा गया। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और अकाली दल के नेता इस बात से अपनी अज्ञानता दिखाते रहे कि वहां भिंडरावाले की तस्वीर लगाई गई है अथवा दीवार पर कुछ लिखा गया है। अब इस पर सभी लोग एक दूसरे की ओर देख रहे हैं। यदि इस मामले में तेजी से फैसला नहीं लिया गया तो डर है कि यथा स्थिति बनी रह जाएगी।

पिछले 15 जून को मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि यदि आतंकवादियो द्वारा माए गए लोगों की याद में स्मारक बनाया गया, तो प्रदेश की शांति को खतरा पहुंच सकता है। पर सवाल उठता है कि निर्दोष लोगों को मारने के जिम्मेदार भिंडरावाले को एक स्मारक समर्पित कर दिया जाता है, तो उससे शांति नहीं बिगड़ती, पर यदि मारे गए निर्दोष लोगों की याद में स्मारक बनता है, तो शांति कैसे बिगड़ जाएगी? इसका कोई भी जवाब अब तक मुख्यमंत्री ने नहीं दिया है। इसका कारण यह है कि अकाली दल नेतृत्व अपने नये उब्रवादी समर्थकों का समर्थन खोना नहीं चाहता।

भारतीय जनता पार्टी सत्तारूढ़ अकाली दल का सहयोगी है। इस स्मारक के मामले पर उसकी स्थिति दयनीय हो गई है। उसने इसका विरोध किया था। उसके विरोध के बावजूद यह बन गया। वह आतंकवाद के शिकार लोगों का स्मारक बनाने चाहती थी, लेकिन वह स्मारक बना नहीं। अब वह चुप है। इसका कारण यह है कि वह पंजाब में सत्ता में बनी रहना चाहती है। इसके अलावा वह अकाली दल के समर्थन से केन्द्र की सत्ता में भी आना चाहती है। (संवाद)