प्रधानमंत्री बनने के लिए अपनी ताल ठोक रहे सभी नेताओं को पता है कि 80 लोकसभा सीटों वाला उत्तर प्रदेश उनकी गद्दी नशीनी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।

भारतीय जनता पार्टी को पिछले लोकसभा चुनाव में मात्र 10 सीटें ही प्राप्त हुई थी, पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों लखनऊ में घोषणा की कि पार्टी ने यहां इस बार कम से कम 40 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य बनाया है।

गौरतलब है कि प्रदेश की अगड़ी जातियां, खासकर ब्राह्मण चुनावों में भाजपा का समर्थन राम मंदिर निर्माण के मसले पर कर रहे थे। लेकिन अब उन्हें महसूस हो रहा है कि इस मसले पर भाजपा बहुत ईमानदार नहीं है और सत्ता में अनेक साल रहने के बाद भी उसने राममंदिर नहीं बनवाया।

इस समय ब्राह्मण मत पाने के लिए समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के बीच भारी प्रतिस्पर्धा चल रही है। बसपा ने इस मामले में अन्य पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है। वह प्रदेश भर में ब्राह्मण भाइचारा सम्मेलन आयोजित करवा रही है।

पिछली 8 जुलाई को बसपा प्रमुख ने भी एक ब्राह्मण भाइचारा सम्मेलन संबोधित किया। वह सम्मेलन लखनऊ में हुआ था। उन्होंने उस सम्मेलन में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने योग्य नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि जब उत्तराखंड में देश भर के तीर्थयात्री फंसे हुए थे, तो नरेन्द्र मोदी सिर्फ गुजरातियों को बचाने का दावा कर रहे थे। इससे पता चलता है कि वे सिर्फ अपने राज्य के बारे में ही सोचते हैं।

प्रदेश भर में 32 ब्राह्मण भाइचारा सम्मेलन आयोजित करने के अलावा बहुजन समाज पार्टी ने अगड़ी जातियों को उनकी आबादी के अनुपात से कहीं ज्यादा टिकट बांट डाले हैं। वे 2014 लोकसभा चुनाव में अगड़ी जातियों का वोट ज्यादा से ज्यादा हासिल करना चाहती हैं।

उसी तरह समाजवादी पार्टी भी अगड़ी जातियों के लोगों का वोट पाने के लिए काफी गंभीर है और वह भी ब्राह्मण, राजपूत व अन्य जातियों के सम्मेलन आयोजित करवा रही है।

पिछली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कुल 220 सीटें हासिल हो गईं। इससे पता चलता है कि सभी बड़ी जातियों एवं समुदायों ने उसके पक्ष में मतदान किया था। अगड़ी जातियों का समर्थन बनाए रखने के लिए सपा ने अनेक कल्याण योजनाओं की घोषणा की है।

उन्होंने उन योजनाओं में ब्राह्मण व अन्य अगड़ी जातियों को भी फायदा पहुंचाने की कोशिश की है और उन्हें काफी महत्व दिया गया है। यह सब आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।

मुलायम सिंह यादव और उनके मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश यादव कह रहे हैं कि नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश में किसी तरह का प्रभाव नहीं पैदा कर पाएंगे। अखिलेश यादव ने तो कहा कि उत्तर प्रदेश के लोग सिर्फ मोदीनगर को जानते हैं, मोदी को नहीं।

राहुल गांधी भी 2014 के लोकसभा चुनाव को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और उन्होंने मधुसूदन मिस्त्री को उत्तर प्रदेश का जिम्मा सौंप रखा हैं

मधुसूदन मिस्त्री भी गुजरात से ही है, इसलिए उनको पता है कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह कौन सी रणनीति वहां अपनाने वाले हैं।

इसमें शक नहीं कि खाद्य सुरक्षा अध्यादेश से यूपीए को लोकसभा चुनाव मे मदद मिलेगी। इसके कारण कांग्रेसियों के हौसले बुलंद रहेंगे। (संवाद)