गौरतलब है कि कुछ सप्ताह पहले राजखोबा को पुलिस ने अदालत में पेश किया था और तब से वे न्यायिक हिरासत में हैं। अदालत में उन्हें पेश करने के पहले यह कहा जा रहा था कि उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है, लेकिन अदालत में पेश होने के पहले उन्होंने कहा कि उन्होने आत्मसमर्पण नहीं किया है।
श्री राजखोवा ही नहीं, बल्कि उनके परिवार को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था। यह बात भी सामने आई थी कि उन्हे बांग्लादेश की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यार्पण संघि नहीं है, इसलिए बांगलादेश ने उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया और पकड़कर चुपचाप भारतीय सुरक्षा बलों के सुपुर्द कर दिया।
कुछ लोगों ने दावा किया कि भारतीय सुरक्षा बलों ने ही राजखोवा को बांगलादेश के पास भारतीय सेीमा के अन्दर गिरफ्तार किया था। खुद राजखोवा ने अपने आपको भारतीय सुरक्षा बलों के गिरफ्त में आने के तरीेके पर विस्तार से नहीं बताया और सिर्फ इतना कहा कि उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया है।
राजखोवा को अपनी पकड़ में लेने के बाद केन्द्र सरकार ने उनसे उल्फा उग्रवाद की समस्या के हल के लिए बातचीत की पेशकश की। केन्द्रीय गृहमंत्रालय के अधिकारी उल्फा की संप्रभुता की मांग के अलावा अन्य मसलों पर बातचीत को तैयार थे, लेकिन राजखोवा ने संप्रभुता के मसले को छोड़कर अन्य मसलों पर बातचीत से इनकार कर दिया। उसके बाद उन्हे अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया।
राजखोवा ही नहीं, बल्कि उल्फा के अन्य अनेक नेता पुलिस के कब्जे में आ चुके हैं। बड़े नेताओं में से एक परेश बरुआ ही है।, जिन्हें गिरफ्तार किया जाना बाकी है। जब से बांग्लादेश में शेख हसीना वाजेद की सरकार आई है, बांग्लादेश उल्फा उग्रवादियों का सुरक्षित पनाहगाह नहीं रहा। उसके पहले उन्हें वहां कोई रोकने टोकने वाला नहीं था।
भूटान भी कभी उल्फा उग्रवादियों के लिए अभयारण्य का काम करता था। लेकिन वहां की सरकार ने सैनिक कार्रवाई के द्वारा उन्हे वहां से खदेड़ दिया था। उसके बाद वे मुख्य रूप से बांग्लादेश को अपना अड्डा बनाकर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। लेकिन हसीना सरकार के गठन ने उन्हें बांग्लादेश भी छोड़ना पड़ रहा है। यही कारण है कि आज अनेक उल्फा नेता जेल में हैं।
परेश बरुआ के बारे में कहा जाता है कि वे म्यान्मार और चीन की सीमा के आसपास कहीं है। कहा यह भी जा रहा है कि उल्फा नेता चीन में पनाह ढूंढ़ रहे हैं। उल्फा नेताओ की गिरफ्तारी और उनके कमजोर होने के बावजूद समस्या के समाधान के लिए किसी प्रकार की बातचीत नहीं हो रही है। गिरफ्तार नेताओ से बातचीत हो भी पाएगी अथवा नहीं, इस पर भ्रम बरकरार है। (संवाद)
भारत
उल्फा केन्द्र के बीच बातचीत पर भ्रम
राजखोवा ने आत्मसमर्पण से किया इनकार
आशीष बिश्वास - 2009-12-29 11:03
कोलकाताः बांग्लादेश और भारत सरकारों द्वारा उल्फा नेता अरबिंद राजखोवा की गिरफ्तारी अथवा आत्मसमर्पण पर स्थिति स्पष्ट नहीं किए जाने के कारण इस संगठन से भारत की केन्द्र सरकार की बातचीत आगे नहीं बढ़ पा रही है।