केजरीवाल से ज्यादा चिंतित भारतीय जनता पार्टी ही थी, क्योंकि कांग्रेस विरोधी मतों का एक ऐसा जो सामान्य परिस्थिति में भाजपा के पास आता, केजरीवाल की पार्टी में जाने का भय था। पर भाजपा नेताओं को लग रहा था कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ दिल्ली के लोगों का मोह जल्द ही भंग हो जाएगा और उसके समर्थक अंततः कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा के साथ हो जाएंगे।
अनेक राजनैतिक विश्लेषकों को भी यही लग रहा था कि आम आदमी पार्टी के कुछ उम्मीदवार जहां तहां कुछ वोट लाएंगे और उनमें से शायद एकाध कोई जीत जाएं। पर दिल्ली विधानसभा चुनाव के जो सर्वे आ रहे हैं, उनके अनुसार केजरीवाल ने अपनी जड़ दिल्ली में जमा ली है।
कांग्रेस पार्टी केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के कारण बहुत खुश थी। यदि कांग्रेस के नेता दिल्ली में सत्ता में आने को लेकर अभी भी आशान्वित हैं, तो उसका एकमात्र कारण अरविंद कुमार केजरीवाल का चुनाव में भाग लेना ही है। भारतीय जनता पार्टी मध्यवर्ग की पार्टी हैं और केजरीवाल को भी उस वर्ग का समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस को लग रहा था कि जो भी वोट आम आदमी पार्टी को आएगा, इससे उसे की फायदा होगा, क्योंकि भाजपा के वोट उसके कारण बंट जाएंगे। कांग्रेस नेताओं का भी आकलन था कि अरविंद की पार्टी को सीटें नहीं मिलेगी, सिर्फ उसे कुछ वोट जहां तहां मिलेंगे और उसके उम्मीदवार कांग्रेस की जीत सुनिश्चित कराएंगे।
पर अब तक हुए सारे सर्वेक्षणों में केजरीवाल एक बड़ा फैक्टर बनकर उभरे हैं। अलग अलग सर्वेक्षणों में उनकी पार्टी को 7 से 14 तक सीटें आती दिखाई गई हैं। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के रूप में दिल्ली की एक चैथाई जनता की पसंद बनकर उभर रहे हैं।
यह हाल उस समय है, जब आम लोगों को भी लग रहा है कि केजरीवाल की पार्टी कमजोर है। इसके बावजूद सर्वे में आम आदमी पार्टी के प्रति इस तरह निष्कर्ष आना आम लोगांे को भी चैंका रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा है, लोग केजरीवाल को दिल्ली सरकार बनाने के लिए एक मजबूत विकल्प के रूप में देख रहे हैं। और इसके कारण केजरीवाल का समर्थन और भी बढ़ते जाने की संभावना है।
अब भाजपा बुरी तरह परेशान हो गई है। उसे लगने लगा है कि कंाग्रेस विरोधी वोटों को पाने के लिए इस बार उसे बहुत संघर्ष करना पड़ेगा। पहले वह सोच रही थी कि उसे ऐसा करने के लिए ज्यादा कुछ करना नहीं होगा। सरकार बदलने के लिए लोग उसे बिना ज्यादा कोशिश के ही वोट दे डालेंगे और उसकी सरकार बन जाएगी, क्योंकि दिल्ली की जनता किसी भी हालत में शीला सरकार से छुटकारा चाहती है। पर केजरीवाल के कारण उसके नेताओं की नींद खराब हो रही है।
भाजपा की समस्या यह है कि उसके पास केजरीवाल जैसी लोकप्रियता वाला कोई नेता भी नहीं है। अभी हाल मे किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि केजरीवाल की लोकप्रियता भाजपा के किसी भी दिल्ली प्रदेश के नेता से ज्यादा है। चुनाव अंत में कहीं शीला बनाम केजरीवाल का रूप न ल ेले यह डर भाजपा को सता रहा है।
केजरीवाल को शहरी सफेदपोशों की पसंद समझने वाली कांग्रेस को डर लगा रहा है कि मध्य निम्न वर्ग और अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले लोग कहीं केजरीवाल की ओर न खिसक जाएं। पानी और बिजली की बढ़ी दरों को केजरीवाल मुद्दा बना रहे हैं और इसके लिए वे गरीब लोगों की कालोनियों में ज्यादा समय दे रहे हैं। वहां लोगों का उन्हें समर्थन भी मिल रहा है। इसके कारण कांग्रेस की भी नींद हराम हो गई है।
कांग्रेस के लिए एक खतरा और है। अन्ना कह चुके हैं कि अक्टूबर महीने में वे फिर दिल्ली में लोकपाल के अनशन पर बैठ सकते हैं। चुनाव के समय इस तरह का आयोजना कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकता है। अन्ना ने साफ कर दिया है कि वे केजरीवाल के साथ नहीं हैं, लेकिन अन्ना के आंदोलन के साथ यदि केजरीवाल जुड़ते हैं, तो वे मना भी नहीं कर सकते। वैसी हालत में अन्ना की लोकप्रियता का लाभ केजरीवाल की पार्टी को जरूर मिलेगा और कांग्रेस की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। जाहिर है कांग्रेस भी भाजपा की तरह केजरीवाल फैक्टर से अब परेशान दिख रही है। (संवाद)
चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों से कांग्रेस और भाजपा में हड़कंप
अरविंद केजरीवाल बन चुके हैं एक बड़ा फैक्टर
उपेन्द्र प्रसाद - 2013-09-20 10:20
नई दिल्लीः दिल्ली की राजनीति दो ध्रुवीय रही है। हमेशा मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही होती रही है। जब कांग्रेस की स्थिति खराब होती है, इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को अपने आप हो जाता है और जब भारतीय जनता पार्टी खस्ताहाल होती है, तो फिर कांग्रेस की बन आती है। पर इस बार केजरीवाल फैक्टर ने दोनों की नींद उड़ा दी है।