भाग लेने वाले सभी कार्यकत्र्ता को 5 - 5 रुपये जमा करने के लिए कहा गया था। 5 रूपये की अदायगी के बाद उन्हें एक रशीद जारी की गई थी। इस रशीद का इस्तेमाल वे अपने भोजन की सुविधा उठाने के लिए करते थे। जिला प्रभारियों को कहा गया था कि अपने अपने जिला के कार्यकत्र्ताओं का प्रवेश शुल्क वे सुनिश्चित कराएं।
जब एक वरिष्ठ मंत्री से पूछा गया कि इस बड़े आयोजन का श्रेय किसे दिया जाय, तो उन्होंने कहा कि इसके लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रतिबद्ध कत्र्ताओं को ही श्रेय दिया जाना चाहिए।
सम्मेलन को संबोधित करने वाले अधिकांश नेता विशेष विमानों से आए थे। भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी अदानी समूह के विमान से आए थे। सभा मंच तक नेताओं को लाने के लिए हेलीकाॅप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा था। शुरू में उमा भारती के भाषण देने का प्रोग्राम नहीं था। उनका नाम अंत में जोड़ा गया।
नेताओं के बोलने का क्रम क्या हो, इस पर बहुत माथापच्ची हुई। पहले की बनी योजना के अनुसार सबसे अंत में नरेन्द्र मोदी को भाषण देना था और उनके ठीक पहले लालकृष्ण आडवाणी द्वारा संबोधन होना था। लेकिन इस योजना को बदल दिया गया। आडवाणी खुद नहीं चाहते थे कि वे नरेन्द्र मोदी के अंतिम भाषण के पहले बोले। इसलिए उन्होंने सुझाव रखा कि उन्हें सबसे पहले बोलने दिया जाय। उनके सुझाव को मान लिया गया और सबसे पहले वही बोले।
पर लालकृष्ण आडवाणी का भाषण छोटा था। इसका एक कारण तो यह था कि जब वे बोलने के लिए उठे तो लोगों ने मोदी जाप शरू कर दिया। वे सिर्फ मोदी को ही सुनना चाहते थे और चारों तरफ से मोदी मोदी की आवाज आ रही थी। उसके कारण आडवाणी ने ज्यादा देर तक बोलना उचित नहीं समझा और अपनी बात जल्द समाप्त कर दी।
मोदी के अलावा सिर्फ शिवराज सिंह चैहान को ही लोगों ने सुनना पसंद किया। उनके भाषण के दौरान लोग शांत रहे। उमा भारती ने भी लंबा भाषण किया। सच कहा जाय तो उनका भाषण जरूरत से कहीं ज्यादा लंबा था। पहले उनके भाषण देने की कोई योजना नहीं थी, लेकिन उनका नाम अंतिम समय में जोड़ दिया गया। अपने भाषण में सुश्री उमा अपने बारे में ही ज्यादा बोलती रहीं। उन्होंने लोगो को याद दिलाया कि कैसे उनके नेतृत्व में 10 साल पहले भाजपा ने कांग्रेस को पराजित कर मध्यप्रदेश की सत्ता हासिल की थी। उन्होंने अपने समय में भाजपा सरकार की उपलब्धियों का ब्यौरा भी दिया। किन परिस्थितियों में उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था, इसका भी उल्लेख किया। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक के हुबली में तिरंगा फहराने के कारण उनपर एक मुकदमा था। उस मुकदमे की सुनवाई शुरू होने के कारण उन्होंने इस्तीफा दिया था। उन्होनें बताया कि इस्तीफा देते वक्त उन्होंने आडवाणी जी को कहा था कि तिरंगा फहराने के लिए वे कोई भी कुर्बानी करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यदि समय आए, तो वे कराची और इस्लामाबाद में भी भारतीय तिरंगा फहराने में नहीं झिझकेंगी।
मोदी के भाषण को लोगों ने बहुत ही ध्यान से सुना। सबसे ज्यादा तालियां भी उन्हीें को मिलीं। उन्होंने कहा कि गांधीजी चाहते थे कि कांग्रेस को अब समाप्त हो जाना चाहिए। उन्होंने लोगों से कहा कि गांधी जी की वह इच्छा अभी भी अधूरी है और उसे पूरी करने के लिए भाजपा के कार्यकत्र्ता संकल्प लें और बूथ स्तर से ही भारत को कांग्रेस मुक्त करने की शुरूआत हो।
मोदी ने यह भी कहा कि अब चुनाव कांग्रेस नहीं, बल्कि सीबीआई लड़ेगी। उनका इशारा केन्द्र सरकार द्वारा सीबीआई का दुरूपयोग किए जाने की ओर था।
एक खास बात यह देखने को मिली कि सुषमा स्वराज ने अपने भाषण में नरेन्द्र मोदी का जिक्र नहीं किया। आडवाणी सहित सभी भाजपा नेताओ ने नरेन्द्र मोदी का जिक्र किया, लेकिन सुषमा स्वराज अकेली ऐसी वक्ता थीं, जिन्होंने उनका नाम लेना जरूरी नहीं समझा। जाहिर है, नरेन्द्र मोदी के उत्थान को वे अभी तक पचा नहीं पाई हैं। (संवाद)
भाजपा की भोपाल रैली: अभूतपूर्व कार्यकर्ता महाकुम्भ
एल एस हरदेनिया - 2013-09-28 09:43
भोपालः इसमें कोई शक नहीं कि भोपाल में भाजपा ने 24 सितंबर को जो आयोजन किया वह बहुत ही विशाल था। सच कहा जाय, तो विशाल शब्द भी उसके सामने छोटा महसूस होता है। भारतीय जनता पार्टी ने इसे कार्यकत्र्ता महाकुम्भ का नाम दिया था। इसमे 5 लाख से भी ज्यादा लोग शामिल थे। इस तरह का इतना बड़ा कार्यकत्र्ता सम्मेलन देश में किसी भी पार्टी का अभी तक कहीं भी आयोजित नहीं हुआ था। मानना पड़ेगा कि यह एक अभूतपूर्व आयोजन था।