रायबरेली के लालगंज में फोर्जड व्हील संयंत्र, उत्तर प्रदेश के रेल कोच फैक्टरी के समीप स्थापित किया जाएगा और पहले चरण में लगभग 1100 करोड़ रुपये के निवेश से रेल इंजन व उच्च गति वाली रेलों’ के लिए 1 लाख फोर्जड व्हील प्रतिवर्ष बनाये जायेंगे। दूसरे चरण में 2 लाख से अधिक पहियों के निर्माण के लिए संयंत्र की क्षमता दुगुनी की जाएगी।

इस्पात मंत्री ने आरआईएनएल और भारतीय रेलवे, दोनों को बधाई देते हुए कहा कि इस समझौते से भारतीय इस्पात उद्योग एवं रेलवे के बीच सहयोग का नया अध्याय आरंभ होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ‘इस समझौते से आरआईएनएल और भारतीय रेलवे, दोनों ‘एश्यो र्ड ऑफ-टेक’ और ‘भूमि-पट्टा’ करार से परस्पर लाभान्वित होंगे। इस्पात मंत्रालय की इस पहल से उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति मिलेगी और आर्थिक विकास को गति प्रदान करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
रेल मंत्री ने इस्पात मंत्रालय की इस पहल के लिए श्री वर्मा को बधाई दी। इससे भारत में इस्पात उद्योग का विकास होगा और दोनों मंत्रालयों के बीच सहयोग बढ़ेगा। उन्होंने आरआईएनएल विशाखापट्टनम को परियोजना कार्य समय पर पूरा करने की सलाह दी, ताकि भारतीय रेलवे के लिए आवश्यक पहियों की देशीय आपूर्ति हो सके।

देश की जीवन रेखा के रूप में वर्णित भारतीय रेल, देश भर में बुनियादी ढांचे के विकास और वृद्धि हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान में फोर्जड व्हील की लगभग सारी माँग, आयात के माध्यम से पूरी की जाती है। स्वदेश निर्मित फोर्जड व्हील की आपूर्ति से भारतीय निर्माताओं और निर्यातों के लिए एक नया बाजार खुल जाएगा।

फैक्टरी आदेश देने की तिथि से 36 महीनों में प्रचालित होगी और लगभग 500 से 600 लोगों को रोजगार देगी। इस इकाई को रायबरेली के रेल कोच फैक्टरी के समीप होने के कारण स्थानीय लाभ प्राप्त होगा। आरआईएनएल, विशाखपट्टणम में जर्मन प्रौद्योगिकी से स्थापित किये जा रहे अत्याधुनिक तकनीक के नये कॉस्टर से व्हील फैक्टरी को कॉस्ट राउंड्स की आपूर्ति करेगा।