पिछले सप्ताह लीग के नेता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से शिकायत कर रहे थे कि किस तरह कांग्रेस की आपसी मथफुटव्वल से सत्तारूढ़ फ्रंट को नुकसान हो रहा है, लेकिन अब इसने खुद ऐसा कदम उठाया है, जिससे यूडीएफ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कल्याणमंत्री मंजालमकुझी अली ने 1000 युवकों को भर्ती करने का फैसला किया है और वे युवक मुसलमानों के बीच घूमघूमकर उनके लिए सरकार द्वारा उठाए कदमों की जानकारी देंगे। लगता है कि मुस्लिम लीग कोटे से बने कल्याणमंत्री अली समझते हैं कि मुसलमानों के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी ही नहीं है।
विपक्ष ने मंत्री के इस फैसले पर तुरंत प्रतिक्रिया जाहिर की है। उसका कहना है कि सरकार के इस कदम से प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तेज होगा। इसके कारण सरकार के ऊपर व्यर्थ का आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है। सीपीएम के नेता पूर्व वित्तमंत्री थामस इसाक ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि इसके कारण पहले से ही हो रहा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और भी तेज हो जाएगा।
केरल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के महासचिव के सुरेन्द्रन भी थामस के सुर में सुर मिला रहे हैं। उन्होंने कहा है क इस निर्णय से पता चलता है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ आक्रामक तरीके से अपने सांप्रदायिक एजेंडे पर चल रहा है, जिसके तहत मुस्लिमों का तुष्टिकरण हो रहा है।
इसमें शक नहीं कि मंत्री के इस फैसले से हिंदुओं में काफी गुस्सा फैल रहा है। वे पहले से ही केरल सरकार से इस बात को लेकर नाराज चल रहे हैं कि यह सरकार हिंदुओं के हितों का ध्यान नहीं रख रही है और अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण कर रही है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के मंत्री के इस फैसले का कांग्रेस की ओर से भारी विरोध किया गया था, लेकिन लीग के मंत्री ने उस विरोध की परवाह नहीं की। उसने अपने इस कदम से यूडीएफ की एकता के बारे में व्यक्त किए गए अपने विचारों को भी हल्का कर दिया है। लीग की शिकायत थी कि कांग्रेस के अंदरूनी झगड़े से यूडीएफ को नुकसान पहंुच रहा है, लेकिन उसके इस कदम से यूडीएफ को कितना नुकसान पहुंचेगा, उसकी चिंता उसे नहीं है। यूडीएफ को सांसत में डालने वाला उसका यह कोई पहला कदम नहीं है। समय समय पर लीग के नेता कुछ न कुछ ऐसा करते रहते हैं, जिससे यूडीएफ को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
लीग के मंत्री के इस कदम से यदि कोई सबसे ज्यादा खुश है, तो वह है भारतीय जनता पार्टी। उसे एक नया मुद्दा मिल गया है, जिसे लेकर वह हिंदुओं के बीच जा रही है और उन्हें यह बताने की कोशिश कर रही है कि वही उनके हितों का ध्यान रख सकती है।
नायर सर्विस सोसाइटी और श्री नारायाण धर्म परिपालन योगम जैसे संगठन भी अब मुखर हो गए हैं। ये दोनों संगठन केरल की दो बड़ी जातियों के लोगों द्वारा बनाए गए हैं और वे बहुत ही ताकतवर भी हैं। उनकी शिकायत पहले से ही रही है कि अल्पसंख्यकों के हितों को बढ़ाने के लिए उनके हितों को कुर्बान किया जा रहा है। जाहिर है कांग्रेस द्वारा लीग के सामने आत्मसमर्पण कर देने से प्रदेश में सांप्रदायिक विभाजन बढ़ता जा रहा है।
यह पहली बार नहीं है, जब लीग ने एकतरफा निर्णय लिया हो और अपने सहयोगियों के सामने समस्या पैदा कर दिया हो। उसने कांग्रेस को पहले भी परेशान किया है। पहली बार उसने अपनी तरफ से एलान कर दिया था कि उसके कोटे सें पांचवें मंत्री भी बनेंगे। ऐसा करके उसने मुख्यमंत्री की सत्ता को ही चुनौती दे दी थी। (संवाद)
मुस्लिम लीग ने गठबंधन धर्म तोड़ा
यूडीएफ के सामने एक नई मुश्किल
पी श्रीकुमारन - 2013-10-07 14:58
तिरुअनंतपुरमः यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के एक ताकतवर घटक इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने एक बार फिर कुछ ऐसा कर डाला है, जिससे पूरा प्रदेश ही आंदोलित हो सकता है।