जांच टीम ने पिछले सप्ताह की मुख्यमंत्री से इस मसले पर पूछताछ की थी, हालांकि इसे गुप्त रखा गया था। इस पूछताछ की खबर उस समय आई, जब राज्य के महाधिवक्ता के पी दंडपाणि ने केरल हाई कोर्ट को इसके बारे में सूचना दी।

हाई कोर्ट में एक याचिका पर चर्चा के दौरान यह बताया गया। उस याचिका में याचिकाकर्ता ने मांग की है कि मुख्यमंत्री के कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे और कम्प्यूटरों के हार्ड डिस्क को सीज कर लिए जायं। और ऐसा करने का आदेश अदालत जारी करे।

मुख्यमंत्री से पूछताछ एक व्यापारी की शिकायत के बाद की गई। श्रीधरन नाम के उस व्यापारी ने कोन्नी थाने मे ंसोलर पैनल घोटाले की मुख्य अभियुक्त सरिता नायर की शिकायत की थी। उसकी शिकायत थी कि सरिता ने सोलर पैनल के नाम पर उसे लाखों रुपये का चूना लगाया है। उससे वायदा किया गया था कि उसके घर पर सोलर पैनल लगाया जाएगा। उसकी तरह अन्य सैकड़ों लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई थी।

मुख्यमंत्री कार्यालय पर लगे सीसीटीवी कैमरे और कंप्यूटर हार्ड डिस्क का सीज किया जाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसके बाद ही यह पता चलेगा कि सरिता नायर ने मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी या नहीं।

मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि उनके कार्यालय में लगे सीसीटीवी में स्थित सभी जानकारियों को हासिल करना असंभव है, जबकि एजी की रिपोर्ट में इससे उलटी बात की गई है। एजी ने अदालत को बताया कि यदि हार्ड डिस्क से जानकारियों को उड़ा भी दिया गया होगा, तब भी वैज्ञानिक तरीके से यह पता लगाया जा सकता है कि क्या उड़ाया गया था।

याचिकाकर्ता ने अदालत में आरोप लगाया था कि विशेष जांच टीम सबूतों को समाप्त करने में लगी है और वह हार्ड डिस्क के डेटा को फिर से प्राप्त करने की कोई कोशिश नहीं कर रही है।

क्रिमिनल प्रोसेज्युर कोड की धारा 164 के तहत दिए गए अपने बयान में श्रीधरन नायर ने कहा है कि वह 9 जुलाई, 2012 को मुख्यमंत्री के दफ्तर में गया था। उस समय सरिता नायर भी वहां थी। श्रीधरन नायर की बात सही है या गलत, इसका पता उस दिन की सीसीटीवी के फुटेज देखकर लगाया जा सकता है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने इस बात का खंडन किया है कि उन्होंने श्रीधरन नायर और सरिता नायर से कभी एक साथ मुलाकात की थी। लेकिन उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने किसी और सिलसिले में श्रीधरन से मुलाकात की थी। उस समय श्रीधरन व्यापारियों के एक शिष्टमंडल के साथ उनसे मिले थे।

श्रीधरन और सरिता नायर ने सोलर पैनल के लिए 25 जून, 2013 को अनुबंध पर दस्तखत किए थे और श्रीधरन के अनुसार उनकी और सरिता की मुख्यमंत्री से मुलाकात 9 जुलाई, 2012 को हुई। जब अनुबंध पहले हुआ और बैठक बाद में हुई, तो फिर उस बैठक का क्या महत्व था? अदालत द्वारा यह सवाल पूछे जाने के बाद श्रीधरन के वकील ने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद ही सरिता को चेक जारी किए गए थे। उस बैठक में मुख्यमंत्री ने सोलर पैनल के प्रोजेक्ट को पूरा समर्थन देने का वायादा किया था और उस वायदे के बाद ही सरिता को चेक जारी किए गए और उन चेकों को भुनाया गया।

महाधिवक्ता ने बहुत कोशिश की कि वह अदालत में मुख्यमंत्री का नाम न लें, लेकिन बार बार अदालत द्वारा पुछे जाने पर उन्हें मुख्यमंत्री का नाम लेना पड़ा। महाधिवक्ता ने अदालत को सिर्फ यह कहा था कि उस बैठक के लिए जिम्मेदार एक व्यक्ति से विशेष जांच टीम ने पूछताछ की। वह व्यक्ति कौन था, इसी को सरकारी वकील छिपा रहे थे, लेकिन अंत में उन्हें कहना पड़ा कि वह व्यक्ति मुख्यमंत्री चांडी थे। (संवाद)