आज नई दिल्ली में गृह पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री डॉ0 फारूख अब्दुल्ला ने ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि अब जीवाष्म र्इंधन से मुक्त विश्व-निर्माण का समय आ गया है। अब या तो हम जग जायें या हमेशा के लिए सो जायें। इस अवसर पर नवीन तथा नवीकरणीय उर्जा सचिव श्री दीपक गुप्त भी मौजूद थे। श्री गुप्त ने बताया कि समेकित पर्यावास आकलन के लिए हरित मानक (गृह) देश के विभिन्न क्षेत्रों में सभी प्रकार की इमारतों के लिए उपयुक्त है।

केन्द्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग ने हाल ही में फैसला किया है कि इसके सभी भवनों का निर्माण गृह के स्तर पर किया जाना चाहिए और वे गृह की कसौटी पर खरे उतरने चाहिए। केन्द्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने हाल ही में गृह मानकों को पूरा करने वाली 100 सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की इमारतों को पंजीकरण के समय पंजीकरण और अन्य शुल्क के अग्रिम भुगतान से छूट दे दी है।

हरित भवनों के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए टेरी के महानिदेशक डॉ0 आर.के. पचौरी ने बताया कि गृह अन्य समुद्रपारीय देशों की तुलना में भारतीय परिस्थितयों के अपेक्षाकृत अधिक अनुकूल है और भारत, भवन निर्माण क्षेत्र में विश्व के अन्य देशों को पर्याप्त सहायता दे सकता है।

यह ऐसा पहला गृह राष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसे केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा टेरी ने मिलकर आयोजित किया है। इसमें ऐसे तीन सौ विशेषज्ञों ने भाग लिया जो वास्तुकला, अभियांत्रिकी, तथा केन्द्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग, एनबीसीसी, आईईएल, एनटीपीसी आदि विभिन्न विभागों से थे।

इस अवसर पर हरित भवन निर्माण सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों पर आधारित एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इस समय गृह से संबद्ध लगभग 40 परियोजनाएं पंजीकृत हैं।#